लखनऊ के यूपी प्रेस क्लब में गुरुवार को बच्चों के प्रारम्भिक विकास और देखरेख में यूपी सरकार के बजट के रोल पर विस्तार से चर्चा हुई। इसका आयोजन बच्चों की क्रेच और सेवा करने वाली संस्था यूपी फोर्सेस ने किया। जिसमें सलभ कुमार, चिराश्री घोष, भूपेंद्र शांडिल्य, रामायण यादव, जेपी शर्मा और प्रीति राय ने पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपने विचार रखे।
इस दौरान संस्था की ओर से बताया गया कि यूपी की 19.98 करोड़ की जनसंख्या में 15.41 % जनसंख्या 0–6 आयु वर्ष के बच्चों की है। ये बच्चों की उम्र का महत्त्वपूर्ण समय होता है। इसलिए बच्चों का इस समय ध्यान रखना बहुत जरूरी है। सरकारी बजट, बाल देखभाल और विकास योजनाओं से ये पता चलता है कि सरकार प्रारम्भिक बाल देखभाल और विकास को लेकर क्या प्रयास कर रही है।
संस्था ने बताया कि सरकार का 2023-24 बजट स्वागत के लायक है। सरकार ने नेशनल न्यूट्रिशन मिशन के बजट में 158.76% की बढ़ोतरी की है। साथ ही पीएम मातृत्व वंदना योजना में 12.39% की बढ़ोतरी की है। इसके अलावा 2023–24 यूपी सरकार के बजट में भी मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का बजट दोगुना हुआ है।
वहीं यूपी सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य बीमा के लिए भी धन आवंटित किया है। जिसमें मातृत्व शिशु एवं बालिका मदद योजना के तहत रजिस्टर्ड महिलाओं को संस्थागत प्रसव होने पर 1000 रुपये के मेडिकल बोनस का प्रावधान है। साथ ही उन्हें तीन महीने के वेतन जितनी राशि भी मिलेगी।
यूपी फोर्सेस ने नेशनल फोर्सेस और हक संस्था के साथ मिलकर साल 2023–24 के बजट का गहराई से एनालिसिस किया। जिसमें पाया की सरकार के कुछ कदम स्वागत योग्य हैं। लेकिन प्रारम्भिक बाल देखरेख और विकास के लिए और काम करने चाहिए। यूपी राज्य के 2023–24 बजट में प्रारम्भिक देखरेख का हिस्सा 1.73% है, जो की पिछली बार 1.82% था। संस्थान ने बच्चों के लिए क्रेच खोले जाने और संचालन आदि के लिए बजट की मांग की है।