फिल्म ‘RRR’ के गाने ‘नाटू-नाटू’ को बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग कैटेगरी में ऑस्कर अवॉर्ड मिला है। आखिरी बार 2008 में फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ के गाने ‘जय हो’ के लिए एआर रहमान को बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का ऑस्कर मिला था। इसके 15 साल बाद भारत को ये अवॉर्ड मिला है। ‘जय हो’ गाने को ऑस्कर तो मिला, लेकिन ये ब्रिटिश फिल्म थी।
ऐसे में ‘नाटू- नाटू’ ऑस्कर पाने वाला पहला ऐसा गाना है जो भारतीय फिल्म का है। इसे जूनियर एनटीआर और रामचरण पर फिल्माया गया, जिसका हुक स्टेप बनाने के लिए कोरियोग्राफर प्रेम रक्षित ने 110 मूव्स तैयार किए थे। इस गाने को पहले ही गोल्डन ग्लोब मिल चुका है। यह गोल्डन ग्लोब हासिल करने वाला पहला भारतीय और एशियन गाना भी है।
इस गाने के बनने और बनाने वाले लोगों की कहानी काफी इंट्रेस्टिंग है। जिन कंपोजर एमएम कीरवानी को ऑस्कर मिला है, वो कभी असमय मृत्यु के डर से डेढ़ साल तक संन्यासी बनकर रह चुके हैं। इतना ही नहीं, वे बिना मुहूर्त देखे अपनी कार से भी नहीं उतरते। इस गाने को उन्हीं के बेटे काल भैरव ने आवाज दी है। वहीं गाने के स्टेप्स जिन पर दुनियाभर के लोग थिरक रहे हैं, उन्हें बनाने वाले कोरियोग्राफर प्रेम रक्षित भी सुसाइड करते-करते रुके थे।
फिल्म का गाना नाटू नाटू दोस्ती पर बनाया गया है। इस गाने को बनने में पूरे 19 महीने लगे थे। चंद्रबोस ने फिल्म के लिए 20 गाने लिखे थे, लेकिन उन 20 में से नाटू-नाटू को फाइनल किया गया था। गाने का 90% हिस्सा सिर्फ आधे दिन में तैयार हो चुका था, हालांकि इसका 10% बचा हुआ भाग पूरा करने में 19 महीने लगे थे।
कोरियोग्राफर प्रेम रक्षित ने गाने के स्टेप तैयार किए। फिल्म के डायरेक्टर एसएस राजामौली को ऐसे स्टेप्स चाहिए थे, जो दो दोस्त साथ में कर सकें, लेकिन स्टेप्स इतने पेचीदा भी न हों कि दूसरे इसे कॉपी न कर सकें। कोरियोग्राफर ने इस गाने का हुक स्टेप करने के लिए 110 मूव्स बनाए थे।
गाना बनने के बाद इसकी शूटिंग अगस्त 2021 में यूक्रेन के कीव में स्थित प्रेसिडेंट के घर मारिंस्की पैलेस में हुई थी। 4 मिनट 35 सेकेंड के इस गाने की शूटिंग करीब 20 दिन में 43 रीटेक्स के बाद कंप्लीट हुई थी। गाने को कोरियोग्राफ करने में दो महीने लगे थे। जिसमें 50 बैकग्राउंड डांसर और करीब 400 जूनियर आर्टिस्ट थे।
नाटू-नाटू तेलुगु गाना है, हालांकि हिंदी में इसका ट्रांसलेशन नाचो-नाचो है। तमिल में गाने को नाट्टू-कूथू टाइटल के साथ रिलीज किया गया, वहीं कन्नड़ में इसका नाम है हाली नाटू और मलयालम में कारिनथोल।
नाटू-नाटू गाने को 10 नवंबर 2021 को रिलीज किया गया था। रिलीज के महज 24 घंटों बाद ही इसके तमिल वर्जन को यूट्यूब पर 17 मिलियन व्यूज मिले थे। वहीं सभी 5 भाषाओं में इसके कुल व्यूज 35 मिलियन थे। ये सबसे पहले 1 मिलियन लाइक्स पूरे करने वाला तेलुगु गाना था। फिलहाल सिर्फ हिंदी वर्जन के यूट्यूब पर 265 मिलियन व्यूज और 2.5 मिलियन लाइक्स हैं।
नाटू-नाटू गाने के कोरियोग्राफर प्रेम रक्षित के पिता एक समय हीरे के व्यापारी थे। पारिवारिक मतभेद के चलते 1993 में उनके परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। परिवार इतना गरीब हो चुका था कि पिता फिल्मों में डांस असिस्टेंट बन गए और प्रेम टेलर की दुकान में काम करने लगे। एक दिन गरीबी से तंग आकर प्रेम आत्महत्या करने चेन्नई के मरीना बीच चले गए थे। उन्हें लगा था कि आत्महत्या करने से डांस फेडरेशन के लोग परिवार को 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद देंगे
सुसाइड से पहले प्रेम को ख्याल आया कि वो जिस साइकिल से बीच पर पहुंचे हैं वो उधार की है। अगर वो ऐसे ही मर गए तो साइकिल वाला परिवार को परेशान करेगा। इस सोच के साथ वो साइकिल रखने घर आ गए। घर आते ही उनके पिता का कॉल आया कि प्रेम को एक फिल्म में डांस एक्स्ट्रा का काम मिला है। काम मिलने ही प्रेम ने सुसाइड का ख्याल छोड़ दिया था।
सबसे पहले प्रेम ने विद्यार्थी फिल्म के लिए डांस कोरियोग्राफ किया। राजामौली वो गाना देखकर इतने खुश हुए कि उन्होंने कोरियोग्राफर का पता करवाया। जैसे ही पता चला कि गाने के कोरियोग्राफर प्रेम रक्षित हैं तो राजामौली ने खुद उन्हें कॉल कर पूछा कि क्या वो उनके बच्चों को डांस सिखा सकते हैं। इसके बाद राजामौली ने उन्हें फिल्म छत्रपति में बतौर कोरियोग्राफर काम दे दिया। इस फिल्म से ही जूनियर एनटीआर स्टार बने थे। वहीं प्रेम रक्षित को भी इसी फिल्म से पहचान मिली थी।
नाटू- नाटू गाने के कंपोजर एम.एम. कीरवानी को RRR के गाने नाटू-नाटू के लिए पहले ही गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड मिल चुका है। ‘तू मिले दिल खिले’, ‘तुम आए तो आया मुझे याद गली में आज चांद निकला’ और ‘जादू है नशा है’ ये कीरवानी की रची वो सदाबहार धुनें हैं, जो लंबे समय से हमारे कानों में मिठास घोलती रहीं हैं।
कीरवानी के जीवन में संगीत का सफर चार साल की उम्र में शुरू हुआ था। तब उन्होंने वायलिन सीखना शुरू किया था। बीच में एक दौर वह भी आया, जब जमा-जमाया नाम बदलकर उन्होंने एमएम करीम के नाम से संगीत दिया।
हुआ यूं था कि इनकी पत्नी एम.एम. श्रीवल्ली गर्भवती थीं। तब इनके गुरु ने बताया कि कीरवानी को असमय मृत्यु का खतरा है। यह खतरा तभी टल सकता है जब वे पूरे डेढ़ साल तक परिवार से दूर संन्यासी की तरह रहें। कीरवानी ने गुरु का आदेश मान लिया। गुरु के कहने पर ही नाम बदलकर काम किया। कीरवानी ने तमिल फिल्मों में मराकादमनी के नाम से संगीत दिया। वे ग्रह नक्षत्र और शुभ, अशुभ को बहुत मानते हैं।
कहा जाता कि अपनी कार में तब तक बैठे रहते हैं जब तक कि उतरने का सही समय नहीं हो जाता है। यही नहीं, मुहूर्त देखकर ही वे किसी समारोह में जाते हैं। उन्होंने तमिल, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया है।
RRR फिल्म के डायरेक्टर एसएस राजामौली 100% ट्रैक रिकॉर्ड रखते हैं, यानी इनकी बनाईं 10 की 10 फिल्में हिट रही हैं। ये बाहुबली और मक्खी जैसी बेहतरीन फिल्में दे चुके हैं। 2015 में बाहुबली से पैन इंडिया फिल्मों का ट्रेंड करने का क्रेडिट भी इन्हीं को दिया जाता है। 2012 की फिल्म मक्खी बनाने के लिए एसएस राजामौली ने खुद मक्खियों पर रिसर्च की थी। ये अपने फ्रिज में मक्खी रखते थे, जिससे उन्हें बारीकी से समझा जा सके।
रामचरण और एनटीआर के एक्शन सीन में 45 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आया था। जिसमें 2 हजार से ज्यादा लोग थे।
फिल्म के लिए जूनियर एनटीआर ने 18 महीनों की ट्रेनिंग ली थी और 9 किलो मसल्स गेन की थीं।
फिल्म के लिए 2500 क्रू मेंबर्स लंदन से हायर किए गए थे।
पूरी फिल्म की शूटिंग 300 दिनों में पूरी हुई थी।