विधानसभा सत्र में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव 91 मिनट बोले। धारदार तेवर के साथ नेता सदन से कई मुद्दों पर सवाल किए। राजनीतिक जानकर कहते है जातीय जनगणना के जरिए विपक्षी दलों और सत्तापक्ष के सहयोगी दलों को एक करने का प्रयास किया है। अखिलेश ने जहां एक तरफ पिछड़ों की राजनीति करने वाली पार्टियों की गोलबंदी की। तो वही दूसरी तरफ गन्ना और आलू की खरीद न होने के साथ किसानों के मुद्दे को भी उठाया।
अखिलेश ने जातीय जनगणना के साथ राष्ट्रीय लोक दल, अपना दल (कमेरावादी) ही नहीं, 2022 के चुनाव के बाद साथ छोड़कर अलग हुए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर से भी सहमति जताई। यही नहीं अखिलेश ने तंज कसते हुए बसपा के विधायक उमाशंकर सिंह से भी पूछा। अखिलेश ने सत्ता के सहयोगी दल के मंत्री, निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद से भी जातीय जनगणना में एक साथ होने का सवाल किया। अखिलेश यहीं नहीं रुके, उन्होंने पिछड़े की राजनीति के बूते यूपी के तीसरे सबसे बड़े दल अपना दल (एस) के कोटे से मंत्री आशीष पटेल से भी जातीय जनगणना कराए जाने में साथ होने की सहमति मांगी। फिलहाल सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के सहयोगी दलों ने कहा समय आने पर इसका जवाब सदन में ही दिया जाएगा। अखिलेश ने सदन में कहा कि सबका साथ सबका विकास की बात करने वाली सरकार अगर सच में प्रदेश का विकास चाहती है तो सबसे पहले जातीय जनगणना कराए।
20 फरवरी को सदन के पहले दिन राज्यपाल के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के समय अखिलेश यादव ने जातीय जनगणना कराए जाने की मांग की तख्ती के साथ वेल में आकर प्रदर्शन किया था।
2014 लोकसभा, 2017 विधानसभा, 2019 लोकसभा और 2022 के विधानसभा चुनाव में सत्ता पर काबिज होने वाली भारतीय जनता पार्टी मुख्य वोट बैंक का केंद्र पिछड़े वर्ग की जातियां का एक साथ होना माना जाता है। अखिलेश यादव ने सदन में बोलते हुए व्यापक पिछड़ी जातियों की राजनीति पर फोकस किया। अखिलेश ने जातीय जनगणना के जरिए सभी पिछड़ी जातियों के नेताओं को एक साथ लाते दिखाई दिए। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि अखिलेश ने नेता विरोधी दल के तेवरों के साथ पिछड़ी जातियों की एकता पर फोकस किया। ये तय है कि वो आने वाले समय में सिर्फ पिछड़ी जातियों की ही राजनीति करेंगे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीते कई दिनों से गन्ने को लेकर किसान आंदोलित है। अखिलेश यादव ने सदन में साफ कहा कि एक तरफ गन्ना किसानों की समस्याओं का अभी तक सरकार ने कोई हल नहीं किया। उनके गन्ने न खरीदे जा रहे हैं ना उनका भुगतान किया जा रहा है। अखिलेश यादव ने आलू की खरीद न होने पर भी सवाल उठाए हैं। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस मानते हैं कि अखिलेश ने एक तीर से किसानों की समस्याओं को लेकर दो निशाने लगाए हैं। कन्नौज, अलीगढ़, आगरा और फिरोजाबाद जैसे जिलों में सबसे ज्यादा आलू की पैदावार होती है। अखिलेश ने मुद्दा उठाकर, वहां के लोगों को साधने का प्रयास किया।
यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली। बीजेपी की सरकार आने के बाद से अब तक आवारा जानवरों को लेकर आए दिन समस्याएं होती रहती हैं। अखिलेश यादव ने इस समस्या को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस वादे से जोड़ते हुए सदन में कहा कि अगर सरकार प्रधानमंत्री के आश्वासन को पूरा नहीं कर सकती, तो वह क्या करेगी। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि आवारा पशुओं का मामला बहुत ही विकट है। अखिलेश यादव ने बहुत सादगी के साथ इस मुद्दे को उठाया है।
अखिलेश यादव ने योगी सरकार के बीते 6 साल के उन सभी विकास कार्यों को गिनाते हुए उसकी शुरुआत खुद की सरकार में किए जाने की बात कही। अखिलेश ने खुद की विकास की छवि को याद दिलाते हुए अपने सरकार में किए गए कई कामों को बार-बार सदन में गिनाया। अखिलेश ने एक्सप्रेस-वे के लिए पैसा नहीं मिलने का तंज भी कसा। केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच तालमेल ठीक नहीं होने की बात करीब 5 बार सदन में अखिलेश ने कही।