149 करोड़ से हुई 71 साल पहले शुरुआत, तब से कितना बढ़ा बजट , जानिए

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना बुधवार को लगातार 7वीं बार उत्तर प्रदेश का बजट पेश करेंगे। यह अब तक का सबसे बड़ा बजट होगा। साथ ही पिछली बार की तरह इस बार भी पेपरलेस बजट पेश किया जाएगा। मतलब, बजट भाषण के वक्त सुरेश खन्ना के हाथ में कोई कागज नहीं, बल्कि टैबलेट होगा। चमड़े के बैग से निकले रजिस्टर से आज टैबलेट तक की इस बजट यात्रा को 71 साल लग गए। आज इस पूरी यात्रा की 5 बड़ी और जरूरी बातें जानेंगे।

योगी सरकार ने पिछले साल सरकार बनने के बाद 6 लाख 15 हजार 518 करोड़ 97 लाख रुपए का बजट पेश किया। उसके पहले योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल का आखिरी बजट यानी वित्त वर्ष 2021-22 का बजट 5 लाख 50 हजार करोड़ का पेश किया था। उसके पहले यानी 2020-21 का बजट 5.13 लाख करोड़ रुपए का था। ऐसे में इस बार का बजट साढ़े छह से सात लाख करोड़ रुपए का हो सकता है। यह यूपी का 71वां बजट है। पहला बजट 1952 में उस समय के सीएम गोविंद वल्लभ पंत ने पेश किया था।
आजादी के बाद यूपी में पहली बार 1951 में विधानसभा का चुनाव हुआ। कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत हासिल किया और गोविंद बल्लभ पंत प्रदेश के पहले सीएम बने। उन्होंने 14 मार्च, 1952 को यूपी का पहला बजट पेश किया। यह बजट 149 करोड़ रुपए का था। उस वक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने पर विशेष जोर दिया गया। चीनी मिलों के लिए सरकार ने फंड जारी किया। 1952 के बजट और 2023 के बजट की तुलना करें, तो पता चलता है कि यह बजट उस बजट से करीब 4 हजार गुना बड़ा हो गया है।
पहला बजट पेश करते हुए गोविंद बल्लभ पंत चमड़े का बैग लेकर सदन में पहुंचे थे। उसके बाद सीएम चंद्रभानु गुप्ता, सम्पूर्णानंद, सुचेता कृपलानी भी चमड़े का ही बैग लेकर सदन पहुंचे और बजट पेश किया। 1970 में लोकदल के चौधरी चरण सिंह सीएम बने, तो थोड़ा-सा बदलाव हुआ। वह पहली बार सूटकेस लेकर सदन पहुंचे। उसके बाद वीपी सिंह, मुलायम सिंह, कल्याण सिंह, राजनाथ, मायावती, अखिलेश यादव और अब सुरेश खन्ना सूटकेस लेकर बजट पेश करने पहुंचे। लेकिन 2022 में सुरेश खन्ना ने यह रिवाज भी बंद किया और पहली बार टैबलेट लेकर बजट पेश करने सदन में पहुंचे।
दरअसल, 1860 में भारत पर ब्रिटिश का राज था। उस वक्त ब्रिटेन के चांसलर ऑफ दि एक्सचेकर चीफ विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन ने पहली बार बजट पेश किया। बजट से जुड़े कागजात को सदन तक ले जाने के लिए ब्रिटेन की क्वीन ने ग्लैडस्टन को एक चमड़े का बैग दिया था। यह इतना प्रसिद्ध हुआ कि बजट से जुड़े पेपर को इसी चमड़े के बैग में लेकर जाने की परंपरा बन गई। ब्रिटेन में यह 2010 तक चला। सूटकेस जब जर्जर हो गया, तो इसे म्यूजियम में रखवा दिया गया। फिर एक नए लेदर बैग का इस्तेमाल किया जाने लगा।
पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी ने सबसे ज्यादा 11 बार यूपी का बजट पेश किया। वह पहली बार 21 जनवरी, 1976 को सीएम बने। मार्च, 1976 में पहली बार बजट पेश किया। तीन बार वह सीएम रहे। इस दौरान 4 बार बजट पेश किया। 7 बार उन्होंने वित्त मंत्री रहते हुए यूपी का बजट पेश किया। 2017 में एनडी तिवारी ने बेटे साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वॉइन कर ली। 18 अक्टूबर, 2018 को दिल्ली में उनका निधन हो गया।
एनडी तिवारी के बाद मुलायम सिंह यादव ने सबसे ज्यादा 9 बार बजट पेश किया। उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2012 से 2017 के बीच लगातार 5 बार बजट पेश किया। बसपा प्रमुख मायावती ने 4 बार बजट पेश किया है। सीएम योगी के कार्यकाल में सुरेश खन्ना अब तक 6 बार बजट पेश कर चुके हैं।वित्त वर्ष 2021-22 के बजट से पहले बजट बुक छपनी बंद हो गई। किताब छपवाने का नियम 1952 के पहले बजट से ही चला आ रहा था। इसमें पूरे बजट की जानकारी होती थी। किताब बंद करवाने के पीछे की वजह यूपी बजट ऐप है। यह प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। इस ऐप के जरिए बजट संबंधी सभी जानकारी मिल जाती है। 2020-21 तक के बजट का पूरा डेटा इस ऐप पर उपलब्ध है।
यूपी के भारी भरकम बजट को तैयार करने में करीब 4 महीने का वक्त लगता है। जैसे यह इस बार फरवरी में पेश हो रहा है, तो इसकी तैयारी अक्टूबर 2022 से ही शुरू हो चुकी थी। बजट बनाने वाली टीम पूरी प्रक्रिया के वक्त मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से इनपुट लेती रहती है। बजट बनाने और इसे पेश करने से पहले इंडस्ट्री ऑर्गेनाइजेशन और इंडस्ट्री के जानकारों से भी वित्त मंत्री चर्चा करते हैं।