सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस पर बयान देकर चर्चाओं में हैं। शुक्रवार को मौर्य ने ट्वीट कर सवाल उठाते हुए कहा है कि अभी हाल में दिए गए मेरे बयान पर कुछ धर्म के ठेकेदारों ने मेरी जीभ काटने व सिर काटने वालों को इनाम घोषित किया है। अगर, यही बात कोई और कहता तो यही ठेकेदार उसे आतंकवादी कहते, किंतु अब इन संतों, महंतों, धर्माचार्यों व जाति विशेष लोगों को क्या कहा जाए आतंकवादी, महाशैतान या जल्लाद।”
दरअसल, 24 जनवरी को अखिल भारत हिंदू महासभा के एक नेता ने स्वामी प्रसाद मौर्य की जभी काटने वाले को 51,000 रुपए का इनाम देने की घोषणा की थी। महासभा के जिला प्रभारी सौरभ शर्मा ने कहा, “कोई साहसी व्यक्ति, अगर वह सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की जीभ काट देता है, तो उसे 51,000 रुपए का चेक दिया जाएगा। उन्होंने हमारे धार्मिक ग्रंथ का अपमान किया है। हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।”
रामचरितमानस पर जो टिप्पणी स्वामी प्रसाद मौर्य ने दी थी वो उस पर कायम हैं। उन्होंने गुरुवार को कहा, “हमने किसी धार्मिक पुस्तक पर उंगली नहीं उठाई है। हमने तो तुलसीदास की लिखी रामचरितमानस के चौपाई के कुछ अंश पर बात की है। स्वाभाविक रूप से मैं सच के साथ खड़ा हूं, सच हमेशा विजयी होता है। जनता भी हमारे साथ है। मैं किसी धर्म का विरोध नहीं कर रहा हूं, मैं किसी के आराध्य देव पर हमला नहीं कर रहा हूं।
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर बयान से संत समाज में नाराजगी है। प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के सम्मेलन में आए भैरव दास उर्फ कोतवाल बाबा ने कहा, ”स्वामी प्रसाद मौर्य गाजर-मूली बेचने वाले हैं, उन्हें रामचरित मानस, वेद और पुराण का महत्व कैसे मालूम होगा। उन्हें देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है, उन्हें पाकिस्तान भेज देना चाहिए।”
बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर के बाद अब यूपी में समाजवादी पार्टी के MLC स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया है। मौर्य ने रविवार को कहा- कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को रामचरित मानस के आपत्तिजनक अंश हटाना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।\
बदायूं से बीजेपी सांसद डॉ. संघमित्रा मौर्य ने अपने पिता सपा नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को मौन स्वीकृति दे दी है। सांसद का कहना है कि उनके पिताजी ने रामचरित मानस की चौपाइयों को लेकर जो कहा है, उस पर बहस नहीं, बल्कि विश्लेषण होना चाहिए। उन्होंने जो कहा है, उसके पीछे तर्क है।