आइये जानते हैं पहली इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर ब्यूटी क्वीन नाज के बारे में , पूरी खबर पढ़िए

क्या ट्रांसजेंडर्स भी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेते हैं? जवाब है हां। दुनिया की पहली इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर ब्यूटी क्वीन भारत की ही हैं। नाम है नाज जोशी। नाज 7 इंटरनेशनल और 2 नेशनल ब्यूटी कॉन्टेस्ट जीत चुकी हैं। मॉडल हैं, ट्रांसजेंडर फैशन आइकॉन भी हैं और एक फिल्म में भी भूमिका निभा चुकी हैं।
मगर, यहां तक का नाज का सफर सिहरन पैदा करने वाला था। जब ये पैदा हुईं तो माता-पिता ने खुशियां मनाई कि घर में बेटा हुआ है। ये खुशियां ज्यादा दिन नहीं टिक सकीं। जैसे-जैसे बड़ी हुईं, आदतें और शरीर दोनों लड़कियों से होते गए। फिर शुरू हुआ ताने और जिल्लत का दौर। जिसे बेटा समझ रहे थे, दरअसल वो किन्नर था। घरवालों के सपने टूट गए और उसे अपने से अलग कर मुंबई में दूर के रिश्ते के एक मामा के घर भेज दिया।
मामा के यहां कजिन के दोस्तों ने शारीरिक शोषण किया। फिर अस्पताल में छोड़ दिया। वहां से कुछ किन्नर इन्हें अपने साथ ले गए। उन्होंने ताली बजाकर पैसे मांगने के काम में लगा दिया। वो उससे बचीं तो डांस बार में नाचने का काम दिया। बार डांसर से धीरे-धीरे प्रोस्टिट्यूशन में आ गईं। फिर, फैशन डिजाइन का कोर्स करके ऋतु कुमार और ऋतु बैरी के साथ काम भी किय।
फिर, सेक्स चेंज कराने की सोची तो पैसे की दिक्कत आई। इसके लिए मसाज पार्लर में नौकरी की लेकिन यहां भी मिला प्रोस्टिट्यूशन। काफी जद्दोजहद के बाद ऑपरेशन हो सका। किन्नर से लड़की बनीं। ये जिंदगी बदल देने वाला समय था। सेक्स चेंज के बाद 2012 से अब तक 7 इंटरनेशनल और 2 नेशनल ब्यूटी कॉन्टेस्ट जीते हैं। अब ये फैशन शोज की शो स्टॉपर भी हैं, मैगजींस की कवर फोटो में भी।
मेरा जन्म 31 दिसंबर, 1984 को दिल्ली में हुआ। मैं पैदा हुई, तब डॉक्टर ने मेरे माता-पिता को बताया कि आपको लड़का हुआ है। ये खबर सुनकर पूरा परिवार खुश था क्योंकि मैं घर में पहली संतान थी। बचपन से मेरे अंदर एक लड़की थी। खुद को लड़की ही समझती थी, लेकिन उसे बहुत देर बाद पहचान पाई।मेरा दिल्ली के सेंट जोसफ एकेडमी स्कूल में एडमिशन हुआ। मैं स्कूल में लड़कियों के साथ ही खेलती थी। स्कूल के फंक्शन में भी मैं लड़की बनती थी। कई बार मेरी मम्मी स्कूल में मेरे लिए खाना लेकर आती थीं। वहां पर दूसरे बच्चों के पैरेंट्स जब मेरी मम्मी से मिलते थे, तब बोलते थे कि आपको नहीं लगता कि आपका बेटा थोड़ा अलग है। यह लड़कियों जैसा रहता है।
धीरे-धीरे स्कूल के ताने घर में भी शुरू हो गए, क्योंकि आसपास के जो बच्चे थे, उनके घरवाले मेरी मां से कहते थे कि आपका बेटा लड़कियों के बीच रहता है, उन्हीं के साथ खेलता है। आप हमें झूठ तो नहीं बोल रहे हो। कहीं आपने किन्नर तो नहीं पैदा कर दिया है। आप इसको किन्नर समाज से बचाना चाहते हैं, इसलिए हमसे झूठ बोल रहे हैं।
मेरी मां मुस्लिम परिवार से थीं और टीचर थीं। उन्होंने मेरी परवरिश के लिए टीचिंग छोड़ दी थी। आस-पास के लोगों की तानों की वजह से घरवालों ने मुझे मुंबई में कजिन मामा के पास भेज दिया। मेरी परवरिश के लिए उन्हें 50 हजार रुपए भी दिए गए। मैं साल 1991 में मुंबई आ गई।
जब मुंबई आई तो उस वक्त मैं सात साल की थी। यहां अनकंफर्टेबल लगता था, क्योंकि मामा का घर अंधेरी के चॉल में छोटा-सा था। वे काफी गरीबी में रह रहे थे। यहां आकर मामी ने कहा कि झाड़ू-पोछा लगाओ, बर्तन साफ करो क्योंकि उनके आठ बच्चे थे, जो बाहर काम करने के लिए जाते थे। कोई गुब्बारा बेचता था तो कोई कुछ करता था। मैं मामा से बोलती थी कि मुझे स्कूल जाना है। वो पैसे ना होने का बहाना करके मना कर देते थे।
मामा ने कहा कि अगर स्कूल जाना है, तब तुम्हें एक जगह काम करना होगा। मैं मान गई। उन्होंने मुझे फिल्मसिटी के एक छोटे से ढाबे पर काम पर लगवा दिया।
ढाबे का मालिक अच्छे थे। वो मुझे छोटा बच्चा समझ कर ज्यादा काम नहीं देते थे। ढाबे पर काम करने का 250 रुपए महीने मिलते थे। उससे मैंने सेंट जोसेफ, वडाला स्कूल में एडमिशन ले लिया। मेरी फीस 100 रुपए महीना थी। ढाबे पर काम करती और वहीं पर स्कूल होम वर्क भी करती थी।
मैं बचपन से लड़की जैसी दिखती थी। लड़के मेरी तरफ अट्रैक्ट होते थे। मुझे गलत तरीके से छूने की कोशिश भी करते थे। यह सब फिल्मसिटी में होता था, जो लोग शूटिंग देखने आते थे, वे भीड़ का फायदा उठाकर ऐसा करते थे। मैं इग्नोर कर देती थी। मुझे गांव से ज्यादा मुंबई में रहना मुश्किल हो रहा था। यहां लोग हिजड़ा, छक्का कहकर चिढ़ाते थे। यहां पर बस एक ही चीज अच्छी थी कि फिल्म सिटी में रहकर स्टार्स से मिलने का मौका मिल रहा था। मैंने श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, रवीना टंडन, सलमान खान आदि से मुलाकात की है।
बात 1995-96 की है, तब मैं शायद 11 साल की थी। एक दिन स्कूल से घर आई, तब देखा कि घर पर कोई नहीं है। घर में डिस्को लाइट जल रही हैं और कजिन के साथ कुछ लोग शराब पी रहे हैं। मुझे बोला गया कि खाने के लिए कुछ बना दो। मैंने पकौड़े तल दिए। पकौड़े देकर मैं सोने के लिए जाने लगी, तभी घर में शराब पी रहे लोगों ने बोला कि हमारे साथ बैठकर ड्रिंक करो। तुम दारू पिया करो, इससे मर्द बनते हैं।
उनमें में से एक ने जबरदस्ती मुझे पेप्सी पीने के लिए दी। मैंने जैसे ही पी, मेरा सिर चकराया और नींद आ गई। अगले दिन उठी तो देखा कि सरकारी अस्पताल के बेड पर पड़ी हूं। मुझे ग्लूकोज चढ़ रहा था और बहुत ज्यादा दर्द था। मुझे नहीं पता कि मेरे साथ पिछली रात को क्या हुआ? खैर, अस्पताल में मुझे देखने के लिए मामा आए। उन्होंने बताया कि तुम्हारा एक्सीडेंट हो गया है, तुम्हें लेने दो-तीन दिन बाद आएंगे। तीन दिन बीत गए पर कोई नहीं आया। डॉक्टर ने मुझे डिस्चार्ज भी कर दिया।
हॉस्पिटल में किन्नर समुदाय का एक आदमी बैठा हुआ था। उसने बोला कि तुम्हारे मामा बोलकर गए हैं कि आज से हम तुम्हारे गार्जियन हैं। तुम हमारे साथ रहोगे। मैं उन्हें देखकर डर गई। उन्होंने बोला कि डरो नहीं, मेरे साथ चलो।
उनके घर गई। वहां बहुत सारे लोगों को देखा, जो दिखने में लड़की लगते थे। उन लोगों ने मुझे बड़ा प्यार किया कि एक बच्चा आया है। लेकिन वहां गुरू मां जो थीं, वो बड़ी सख्त स्वभाव की थीं। उन्होंने कहा कि इसको भी काम करना होगा। मैंने कहा कि मुझे स्कूल जाना है। उन्होंने कहा कि स्कूल तब जा पाओगे, जब काम करोगे।
वहां के लोगों ने मुझे सलवार-कमीज पहनाकर रेड लाइट एरिया पर ले गए। मुझे कहा गया कि ताली बजाकर पैसे मांगो। मुझे ये काम पसंद नहीं था। यहां एक साल बीत गया। मैं स्कूल नहीं जा पा रही थी।
एक दिन जोर-जोर से रोते हुए बोली कि मुझे यहां नहीं रहना है। मैं जब रोती थी, तब आसपास के लोग देखने आ जाते थे, तब गुस्सा होकर गुरु मां मेरी पिटाई भी कर देती थीं। लेकिन आखिर में गुरु मां परेशान हो गईं। उन्होंने थक-हारकर मेरा नया ठिकाना बनाया और वह था- डांस बार।
1996 में डांस बार पहुंची। वहां पर एक अंकल मिले, जो साउथ इंडियन थे। मैंने उनको बताया कि मुझे पढ़ना है। वो मेरे स्कूल गए, वहां जाकर बोले कि मैं इसका गार्जियन हूं। इसकी फीस मैं भरूंगा, इसका एडमिशन कर दो। उन्होंने मुझे अपने घर में रहने की जगह दी।
एक दिन मैं नीचे देखने चली गई। वहां देखा कि बहुत सारी किन्नर लड़कियां हैं। मैंने अंकल से बोला कि मुझे भी डांस करने का मौका दो। उन्होंने कहा कि नहीं, नहीं। यह अच्छी चीज नहीं है। तुम्हें नहीं करना है, तुम जाओ। मैंने अंकल से जिद्द करके एक गाने पर डांस किया, तब मेरे ऊपर ढेर सारे नोट बरसाए गए। इस तरह से डांस बार में काम करना शुरू हुआ।
14 साल की उम्र में एक लड़के से मेरी दोस्ती हुई। उसने मेरा नाजायज फायदा उठाया, शारीरिक शोषण किया और दोबारा कभी लौटकर नहीं आया। उस समय मैं बहुत रोई। बहुत कम उम्र थी और लोगों ने मुझे प्रोस्टिट्यूशन के लिए उकसाया।
मुझे भी ये काम डांस बार में नाचने से आसान लगा। मैं इस दलदल में फंस गई। मैं डांस बार में बहुत पॉपुलर हो गई। हीरोइनों की तरह रहती थी इसलिए मेरा नाम बार की बॉलीवुड क्वीन रख दिया गया। यहां पर 1996 से लेकर 2002 तक काम किया।
2002 में मैं 18 साल की थी। तब मुंबई में डांस बार बंद होने की खबर आई। इस दौरान मेरी मुलाकात कजिन सिस्टर से हुई जिन्होंने मेरी मुलाकात एक बाबा से करवाई। उन्होंने सुझाव दिया कि मुझे दिल्ली जाकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) में एडमिशन लेना चाहिए। उन्होंने ही मुंबई में मेरी कोचिंग करवाई। मैंने NIFT के एग्जाम में टॉप किया। इसी दौरान मेरी मुलाकात दिल्ली की LGBT कम्यूनिटी से हुई। 2005 तक मैंने NIFT में पढ़ाई की।
2005 में मुझे बेस्ट डिजाइनर का अवार्ड और 10 हजार रुपए का चेक भी मिला। मैं बहुत खुश हुई। मुझे कैंपस प्लेसमेंट ऋतु कुमार के यहां मिला। इतनी बड़ी डिजाइनर के साथ काम करने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी। उस समय रितु कुमार फेमिना मिस इंडिया के लिए काम कर रही थीं। उनके साथ 2005 से 2007 तक काम किया। हमारी पहली सैलरी 25 हजार रुपए थी। मैंने पहली बार किराए पर घर लिया।
यहां पर भी मुझे लोगों के ताने सुनने को मिलने लगे। लोग कहते थे कि पहले तो हमें औरतों से ऑर्डर लेने पड़ते थे, अब क्या जमाना आ गया है कि हिजड़ों से भी ऑर्डर लेने पड़ेंगे। उसके बाद 2007 में ऋतु बेरी के पास आ गई। वहां 2009 तक काम किया। वहां पर भी सेम प्रॉब्लम आई। मैं हताश हो गई।
मैंने सोच लिया कि अब जॉब नहीं करनी है। एक दिन दिल्ली में गे-पार्टी में चली गई। वहां पर बहुत खूबसूरत महिला आई हुई थी। मैंने पूछा कि मैम आप यहां क्या कर रही हैं। उन्होंने कहा- एक दिन मैं भी तुम्हारे जैसे ही थी लेकिन बाद में मैंने अपना जेंडर चेंज करवा दिया। उन्होंने एक्सप्लेन करते हुए बताया कि इसकी सर्जरी होती है। साथ ही उन्होंने अपना फोन नंबर भी दिया।2010 में सोचा कि कुछ काम करके पैसा इकट्ठा करते हैं। एक दिन अखबार में विज्ञापन देखा कि मसाज पार्लर में वर्क है। 2009 से लेकर 2010 तक बेरोजगार थी। साल 2011 में IMT गाजियाबाद में एडमिशन ले लिया। वहां पर मसाज समझकर गई थी, लेकिन वहां भी प्रॉस्टिट्यूशन होता था।
उस समय हजार रुपए की मसाज होती थी, पर उसमें से हमें 200 रुपए दिया जाता था। लेकिन विदेशी मुझे 100 डॉलर टिप देकर गया। उस समय शायद डॉलर की कीमत 35-40 रुपए हुआ करती थी। मैंने चेंज करवाया, तब मुझे चार हजार रुपए मिले। मैंने सोचा कि यह तो सही है, चार हजार रुपए एक साथ में मिल रहे हैं।
फिर तो इसमें इंटरेस्ट बढ़ गया। मैंने 2013 तक यह काम किया लेकिन इस काम में रिस्क भी था कि कोई मुंह पर शराब फेंक देता था तो कोई सिगरेट से जला देता था तो कोई हंटर से मारता था। मुझे जल्दी से जल्दी पैसे कमाने थे, क्योंकि सर्जरी करवानी थी।
2011 में मेरी मुलाकात एक फोटोग्राफर से हो गई। वो ट्रांसजेंडर प्रॉस्टिट्यूट पर एक बायोपिक बनाना चाहते थे। उन्होंने बताया कि हर शूट का 1500 रुपए देंगे। शूटिंग 2012 से शुरू हुई और 2013 तक मैंने इसे शूट किया। इस तरह से 2013 तक पांच लाख रुपए इकट्‌ठा हो गए।
2011 से मेरी हार्मोन थैरेपी शुरू हो गई थी। डॉक्टर के पास गई और कहा कि अब मेरी सर्जरी कर दो। उन्होंने पूछा कि तुम्हारे साथ कोई आया नहीं है। मैंने बताया कि अकेली हूं। उन्होंने कहा कि कोई साथ में नहीं होगा, तब हम सर्जरी नहीं करेंगे। अगर कुछ हो गया, तब हम किसे बताएंगे। मैंने कहा कि कुछ हो जाए तो तुम लोग ही मेरी लाश को जला देना।
मेरा कोई नहीं है, मेरे साथ कोई आ नहीं सकता। वहां पर सिस्टर बोलने लगीं कि तुम बहुत हिम्मतवाली हो। वैसे तो यहां लड़कियां अपने अपोजिट के साथ, अपने गुरुओं और फ्रेंड के साथ आती हैं, पर तुम अकेली आई हो।
कुछ सिस्टर मुझसे प्यार करने लगीं। वे नारियल पानी लाकर पीने के लिए देती थीं, दवा खा लो। सप्ताह- दस दिन मेरा बहुत ख्याल रखा। मुझसे पूछा गया कि तुम्हें कैसा लग रहा है। मैंने कहा कि ऐसा लग रहा है, जैसे सिस्टर ने मुझे नई जिंदगी दे दी है। मेरी यही बॉडी और यही शक्ल होनी चाहिए थी। यह सब होने के बाद अपने घर गुड़गांव आ गई।घर आकर सोचने लगी कि अब क्या करूं। उसी दौरान राजस्थान डिजाइनर फैशन फेस्टिवल से फोन आया। उन्होंने बताया कि राजस्थान में राजस्थान डिजाइनर फैशन फेस्टिवल हो रहा है। क्या तुम रैंप पर मॉडलिंग करने जाओगी? उन्हें लंबी लड़की चाहिए। मैंने कहा कि जाऊंगी।
मैं जयपुर प्रतियोगिता में भाग लेने गई। उन्हें लगा कि ट्रांसजेंडर वॉक करेंगी, तब हमारा शो सुपरहिट हो जाएगा। जयपुर में मुझे तीन शो करने थे, जिसके लिए 5000-5000 रुपए मिलने वाले थे। एक डिजाइनर की नजर मेरे ऊपर पड़ी, तब उन्होंने कहा कि तुम तीन शो मत करो। तुम सिर्फ हमारा शो करो, हम तुम्हें 30 हजार रुपए देंगे।
मैं उनके लिए शो स्टॉपर बन गई। उस शो में जानी-मानी एक्ट्रेस, मॉडल अदिति गोवित्रिकर भी आई थीं। रैंप वॉक पर उतरी, तब पूरी तरह ब्लैक आउट हो गई, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, क्योंकि यह मेरा पहला अनुभव था। खैर, लोगों को बहुत अच्छा लगा। यह साल 2013 की बात है। उस समय हमारी फोटो वायरल होनी शुरू हो गई। फिर तो मुझे शो मिलने स्टार्ट हो गए
मैंने कई कंपनियों और इवेंट के लिए कैटलॉग शूट किया। इसमें अच्छे पैसे मिलने लग गए। मैं चाहती हूं कि हमारी कम्यूनिटी के अगली जनरेशन को वह भेदभाव सहन न करना पड़े, जो भेदभाव हमारे साथ हुआ है। हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इंडिया की पहली ट्रांसजेंडर मॉडल या ट्रांसजेंडर क्वीन बनूं, जो कि हूं
खैर, 2014 बहुत सारे यंग बच्चे मेरे पास सीखने के लिए आने लगे। मैं उन्हें अपने घर के छोटे-से रूम में सिखाना शुरू किया कि कैसे फोटोशूट करना है, कैसे कोलैबरेशन करना है। यह सब हुआ। उनमें से कुछ बच्चों को अच्छा ब्रेक भी मिला। मुझे लगा कि कुछ और बड़ा करना चाहिए। एक दिन बैठकर टीवी देख रही थी। 2015 में मुझे एक मैग्जीन से ऑफर आया।
उन्होंने कहा कि हम आपको कवर पर छापना चाहते हैं। दूसरा फोन मुझे CNN IBN से आया। उन्होंने कहा कि हम आपके ऊपर डॉक्यूमेंट्री बनाना चाहते हैं। खैर, जून 2015 में जब मैग्जीन के कवर पर मेरी फोटो छपी। वह मेरा पहला फ्रेम था। इधर डॉक्यूमेंट्री भी इतनी हिट हुई कि मेकर्स ने सटर-डे और संडे को मिलाकर पांच बार चलाया।
यह डॉक्यूमेंट्री मेरे पिताजी ने देख ली, तब उन्होंने चैनल से मेरा नंबर लेकर मुझे फोन किया। उन्होंने कहा कि घर आ जाओ। मैं घर से निकली थी, तब लड़का थी, पर जब लौटी थी लड़की। इसे लेकर बहुत डरी हुई थी।
मैंने अपने बालों को जूड़ा बनाकर कैप पहन लिया था। उसके ऊपर टी-शर्ट और जींस पहन लिया। घर पहुंची तो पापा गैलरी में बैठे थे, उन्होंने मुझे गले लगा लिया। वो बहुत रोए। उन्होंने मुझे रहने के लिए कमरा दिया लेकिन मेरी मां ने मुझे एक्सेप्ट नहीं किया।
मैंने साल 2015 में ट्रांसजेंडर लड़कियों को प्रजेंट करने के लिए एक शो स्टार्ट किया। उस समय असम, उड़ीसा आदि दूर-दराज से शहरों से लड़कियों को लाते थे और उन्हें इंटरनेशनल ब्यूटी प्रतियोगिता मिस यूनिवर्स कांटेस्ट में भेजते थे। साल 2016 में अमेरिका में मिस यूनिवर्स होने वाला था, उसके लिए मेरे असिस्टेंट ने मेरी फोटोज भेज दी।

वहां गए तो पता चला कि ट्रांस के लिए परमिशन नहीं है। मैंने बोला कि देखिए, इतनी दूर आए हैं, ऐसे वापस तो नहीं जाएंगे। मुझे मौका दीजिए। उन्होंने कहा कि आखिर हम आपको कैसे मौका दें। मैंने बताया कि साल 2012 में मिस यूनिवर्स ने नियम बदले कि अगर आप ट्रांसजेंडर हैं. आपकी सर्जरी हो चुकी है और लोग आपको फीमेल मानते हैं, तब आप भाग ले सकती हैं।
साल 2017 में सिंगापुर गई। वहां पर भी हमें टाइटल तो नहीं जीता, पर मिस रिपब्लिक इंटरनेशनल ब्यूटी एंबेसडर बनी। मैंने जितने भी इंटरनेशनल शोज किए हैं, वह सब फीमेल के साथ में ही किए हैं। हर जगह मिस यूनिवर्स का उदाहरण देकर एंट्री मिल जाती थी। मुझे 2017 में मिस वर्ल्ड डायवर्सिटी का खिताब मिला। यह प्रतियोगिता साउथ अफ्रीका में हुई थी। जब मैं जीती थी, तब उसके एक सप्ताह पहले मिस वर्ल्ड का खिताब मानुषी छिल्लर जीती थीं। इस तरह 2017 में भी मुझे किसी ने कवर नहीं किया।2018 में यह प्रतियोगिता जब दुबई में हुई, तब दोबारा मिस वर्ल्ड डायवर्सिटी जीतकर आई। उस समय कुछ लोगों ने कवर किया। साल 2019 में जब वापस तीसरी बार हैट्रिक मारी, तब बहुत लोगों ने कवर किया। क्योंकि उस समय पहली ऐसी इंटरनेशनल ट्रांस ब्यूटी क्वीन बन गई थी, जिसने औरतों को पछाड़कर एक ही टाइटल को तीन बार जीता।
उस समय बहुत फेम मिला। ऑटोमेटिक मेरे नाम से विकिपीडिया बन गया। लेकिन मैं यहीं पर रुकी नहीं। साल 2020 में कोरोना आया। मैंने मिस यूनिवर्स डायवर्सिटी के लिए अप्लाई किया, वह भी जीत गई। साल 2021 में मिस इम्प्रेस अर्थ हुआ, यह भी जीत अपने नाम की। 2022 में मिस यूनिवर्स डायवर्सिटी के लिए दुबई गई, वह जीती।
2022 में मिस ट्रांस ग्लोबल इंडिया का खिताब भी अपने नाम किया। ऐसा करके सात इंटरनेशनल कंप्टीशन और एक मिस ट्रांस क्वीन मिस इंडिया जीती। हर इंटरनेशनल कंप्टीशन जीतने के बाद अपने समाज के लिए कुछ न कुछ काम करना पड़ता है, इसलिए सोसायटी के लिए काफी कुछ काम किया।
2017 में मेरी शादी भी हुई थी, लेकिन 2019 में डिवोर्स हो गया, क्योंकि मेरे ससुराल वालों को मेरी उम्र से दिक्कत थी। मैंने 2018 में चार साल की एक बेटी मणिकर्णिका को एडॉप्ट किया। उसके साथ मेरी बॉन्डिंग बहुत स्ट्रांग है। हाल में अपना भी एक लड़का भी गोद लिया है, जिसका नाम सिद्धांत है।