यूपी की गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार स्लम एरिया के बच्चे शामिल होंगे। लखनऊ में होने वाले कल्चरल प्रोग्रामों में हिस्सा भी लेंगे। ऐसे 40 से ज्यादा बच्चे पुलिस लाइन परेड ग्राउंड में 13 जनवरी से लगातार प्रैक्टिस कर रहे हैं। ये गरीब बच्चे चौराहों पर गुब्बारे बेचने और पैसे मांगने का काम करते थे। परेड प्रैक्टिस में इन बच्चों के साथ सेना, पुलिस के जवान और लखनऊ के 10 से ज्यादा स्कूलों के बच्चे भी शामिल हो रहे हैं।
इन बच्चों को 26 जनवरी की परेड में शामिल होने का मौका कैसे मिला? ये बच्चे कहां से आए हैं? इन बच्चों की तरफ मदद का हाथ किसने बढ़ाया? ऐसे कई सवालों के जवाब जानने दैनिक भास्कर खुद इन बच्चों के पास पहुंचा। आइए, इन बच्चों की जिंदगी के और करीब चलते हैं।
26 जनवरी के प्रोग्राम में हिस्सा लेने की प्रैक्टिस कर रही रूपा ने बताया, “3 महीने पहले तक मैं लखनऊ के अलग-अलग चौराहों और पार्कों में बलून बेचती थी। रात तक कुछ पैसे इकट्ठे हो जाते तो मां को देती थी। घर पर मेरी मां और छोटा भाई है। मैं उनका सहारा बनने के लिए ऐसा करती थी। लेकिन अब सरकार के SMILE प्रोजेक्ट ने हमारी जिंदगी बदल दी। कम संसाधनों के साथ ही सही लेकिन हम डांस प्रैक्टिस कर रहे हैं। 26 जनवरी की परेड में परफॉर्म करेंगे।
12 साल की मानसी ने कहा, “हम परेड का हिस्सा बनने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं। लेकिन ये मेहनत रेडलाइट पर गाडियां साफ करने और पैसे मांगने से बहुत कम है। पापा स्वीपर हैं। रहने के लिए घर भी नहीं। लखनऊ के चिनहट के चौराहों में भीख मांगना हमारी मजबूरी थी। हमने पहले ऐसा कभी देखा और सोचा भी नहीं था कि हम इतने लोगों के बीच परेड की प्रैक्टिस करेंगे।”10 साल के रितिक ने कहा, “हम गरीब हैं, झोपड़ी में रहते हैं। पापा मजदूरी करते हैं। कभी-कभी घर में खाना तक नहीं होता। इसलिए हमें सड़कों पर गुब्बारे और बबल बेच कर पैसे कमाने पड़ते थे। जब से SMILE प्रोजेक्ट वाले सर हमें सड़क से उठा कर यहां लाए हैं, हमारी जिंदगी बदल गई है। हमारे सामने सेना के जवान भी प्रैक्टिस करते हैं। उन्हें देख कर लगता है मैं भी सेना में जाऊं।
13 साल की माहीं ने कहा, “हमने आज तक स्कूल नहीं देखा है। परेड की प्रैक्टिस के लिए यहां लाया गया तो हमने पहली बार इतने सारे स्कूली बच्चे देखे। सब अच्छे से बात करते हैं। अच्छे से रहते हैं। यहां हमें बहुत अच्छा लग रहा है। हाल ही उम्मीद संस्था ने हमें हमारी झोपड़ियों में आकर पड़ाना शुरू किया है। सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक प्रैक्टिस करते हैं फिर हमारी स्मार्ट क्लासेस लगती हैं। पहले हमारा पूरा दिन रेड लाइट पर ही बीतता था।
14 साल के हैप्पी ने कहा, “हम सब झोपड़ियों में रहते हैं। मेरी मां दूसरे घरों में बर्तन धोने जाती है। पापा सफाई का काम करते हैं। घर ठीक से चलता रहे इसलिए हमें सड़कों और पार्कों के सामने मजबूरी में बबल और छोटे खिलौने बेचने पड़ते थे। लोगों से पैसे भी मांगने पड़ते थे। लेकिन अब हम 26 जनवरी को सीएम के सामने परेड का हिस्सा बनेंगे। हम पढ़ने भी लगे हैं। इससे हमारे मम्मी-पापा भी खुश हैं।
प्रोजेक्ट को लीड कर रहे प्रताप विक्रम ने बताया, “हम पिछले डेढ़ साल से इन बच्चों के साथ काम कर रहे हैं। ये बच्चे उस समुदाय से हैं जो परंपरागत तरीके से भिक्षा वृत्ति से जुड़ा हुआ है। SMILE प्रोजेक्ट इन बच्चों को भिक्षावृत्ति से निकाल कर मुख्य धारा से जोड़ने का काम कर रहा है। उनको स्मार्ट शिक्षा देने और स्कूलों से जोड़ने का काम किया जा रहा है। अब हम इन्हें 26 जनवरी की परेड प्रैक्टिस में ला रहे हैं ताकि ये कुछ नया एक्सपीरियंस कर सकें।”
प्रताप विक्रम ने आगे कहा, “गणतंत्र दिवस परेड के लिए इस ग्राउंड में सेना और पुलिस के जवानों के साथ कई कान्वेंट और सरकारी स्कूलों के बच्चे प्रैक्टिस कर रहे हैं। उन्हीं का साथ यहां ये स्लम एरिया में रहने वाले बच्चे भी प्रैक्टिस कर रहे हैं। नगर निगम कमिश्नर इंद्रजीत सिंह के आदेश पर हम इन बच्चों को 13 जनवरी से लगातार यहां ला रहे हैं। ये सभी बच्चे चिनहट के स्लम में रहते हैं।”
डेढ़ साल पहले इन बच्चों से बात कर पाना भी मुश्किल था। ये किसी से बात भी नहीं करते थे। इनके साथ ट्रस्ट बिल्ड करने में हमें काफी वक्त लगा। हमने इन्हें खिलौने दिए। इनकी झोपड़ियों में जाकर स्मार्ट क्लासेस देनी शुरू की। फिर हमने उन्हें एक्सपोजर दिया। राजभवन ले जाकर गवर्नर से मिलवाया। डीएम आफिस में डीएम से मुलाकात हुई। कमिश्नर मैम रोशन जैकब भी इन बच्चों से मिल कर खुश हुईं। म्युनिसिपल कमिश्नर इंद्रजीत इनके घर जाकर मिले थे।फोन पर बात करते हुए नगर निगम कमिश्नर ने कहा, “ये बच्चे गरीबी के हालातों में रहने के बाद भी बहुत हुनरमंद और जुनूनी हैं। मैं अक्टूबर 2021 से ही इनसे जुड़ा हुआ हूं। मैंने ही इन बच्चों को परेड में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया और प्रैक्टिस में आने के लिए कहा। ये लगातार आ भी रहे हैं। 23 या 24 जनवरी को डीएम लखनऊ इन बच्चों का रिव्यू करने आएंगे। फिर इनके सिलेक्शन पर मुहर लगेगी।सिलेक्शन कमेटी के सदस्य अमित श्रीवास्तव ने बताया, “डीएम ने परेड में सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 24 में से 11 स्कूलों का सिलेक्शन कर लिया है। स्लम में रहने वाले बच्चों का रिव्यू होना बाकी है। 24 जनवरी को इन सभी की फाइनल रिहर्सल होगी। ये रिहर्सल चारबाग परेड रुट से केडी सिंह बाबू स्टेडियम तक होगी। 26 जनवरी की सुबह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य मुख्य अतिथि परेड की सलामी लेंगे और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखेंगे।”