आँवलखेड़ा (आगरा) । माता भगवती देवी राजकीय महिला महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वय का संयुक्त सप्त दिवसीय विषेष दिवा शिविर का शुभारम्भ धूमधाम के साथ सम्पन्न हुग । सर्वप्रथम सभी शिविरार्थियों को महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. यशोधरा शर्मा ने शुभकामनाएं देते हुए महाविद्यालय शिविर स्थल की ओर रवाना किया वहाँ से लक्ष्य गीत “स्वयं सजें, वसुन्धरा संवार दें” गाती हुई रैली शिविर स्थल ग्राम आँवलखेड़ा पहुँची । जहाँ पर स्वच्छता कार्य सम्पादित करते हुए शिविरार्थियों ने शिविर स्थल एवं उसके आस-पास सफाई कार्य किया। कार्यक्रम अधिकारी डा. उमेश कुमार शाक्य एवं डॉ. शुभा सिंह के संयुक्त मार्गदर्शन में आंवलखेड़ा ग्राम में आगे सभी सात दिनों में स्वच्छता के अतिरिक्त, सड़क सुरक्षा, मतदान जागरुकता, पर्यावरण संरक्षण, महिला स्वावलम्बन, स्वास्थ्य सुरक्षा आदि विषयों से संबंधित कार्य सम्पादित किया जाना प्रस्तावित है। शिविर के द्वितीय एवं उद्घाटन सत्र में ब्लाक प्रमुख खंदोली श्री आशीष शर्मा मुख्य अतिथि रहे। प्राचार्य डॉ. यशोधरा शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा ग्राम प्रधान श्री रवीन्द्र कुमार, महाविद्याल के समस्त प्राध्यापक डॉ. यशपाल चौधरी डॉ. अनीता, डॉ. मनोरमा यादव एवं श्री सुरेन्द्र कुमार पटेल उपस्थित रहे। शिविर मे श्री राकेश यादव श्री सतेन्द्र कुमार जैन,धर्मवीर चौहान एवं पंकज चौहान जी पत्रकार के रूप में उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि आशीष शमी ने विपरीत परिस्थितियों में सहनशील रहकर परिस्थितियों का सामना करने हेतु स्वयं सेविकाओं को जागरुक किया, जिससे जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें। ग्राम प्रधान श्री रवीन्द्र कुमार ने स्वयंसेविकाओं को हर संभव सहायता प्रदान कसे हेतु आश्वस्त किया। अधयक्षीय भाषण में प्राचार्य डॉ. यशोधरा शर्मा ने ‘धवल देश का माल करें ‘ जैसे कुलगीत में सम्मिलित सभी शब्दों को जीवन में आत्मसात करने हेतु प्रेरित किया शिविर में महाविद्यालय का उपरोक्त कुलगीत पहली बार सार्वजनिक तौर पर प्रस्तुत किया गया, जिसकी रचना मनमोहन भारद्वाज के द्वारा की गई। शिविर में ब्लाक प्रमुख श्री आशीष शर्मा द्वारा शिविरार्थी हिना को कुमारी को अध्ययन के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धि प्राप्त करने पर बधाई दी तथा सम्मानित किया। शिविर में कुल 102 स्वयंसेविकाओं ने प्रतिभाग किया। शिविर में आँवलखेड़ा के अनेक ग्रामवासी उपस्थित रहे। श्री जितेन्द्र मोहन शर्मा, श्री रफीक तथा श्री ओमकार जी का विशेष योगदान रहा।