पूरनपुर। नियम कायदों को ताक पर रखकर विकास कार्यों के नाम पर कथित ठेकेदारों के माध्यम से ग्राम पंचायत में विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य करवाकर सरकारी धन ठिकाने लगाने की जद्दोजहद में जुटे ग्राम प्रधान से लेकर ग्राम पंचायत अधिकारी, अवर अभियंता, यहां तक की सभी जिम्मेदार अधिकारी अपना-अपना कमीशन लेकर मानकों को दरकिनार करने के मामले में छूट प्रदान करने में तनिक भी संकोच नहीं कर रहे हैं। नतीजतन सरकारी धन से बनाई गई सड़के हो या फिर नाली खड़ंजा तमाम विकास कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर कुछ दिन भी अपनी उपस्थिति को कायम रखने में सफल नहीं हो पायेंगे। फिर शिकायतों का दौर शुरू होने पर नीचे से ऊपर तक चेन प्रक्रिया में लेनदेन के चलते शिकायतों का फर्जी निस्तारण कर दिया जाता है और हर बार फिर मामला रफा-दफा कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाता है।
जनपद में आमद करते ही जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार द्वारा भ्रष्टाचार पर ताबड़तोड़ किए गए हमलों से जनपद वासियों में एक उम्मीद की किरण ने जन्म लिया है कि अब जनपद के समस्त विभागों जिसमें प्रमुख रूप से विकास विभाग से भ्रष्टाचार भले ही खत्म ना हो सके लेकिन उसमें भारी कमी जरूर आएगी। लेकिन जनपद वासियों की आशा की यह एक किरण मिथ्या साबित होती दिखाई दे रही है। भ्रष्टाचार या यूं कहें कि विकास विभाग में ठेका प्रथा ना होने के बावजूद भी ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों के माध्यम से कराए जाने वाले कार्यों के प्रति सख्ती कर ठेका प्रथा पर चलाए गए चाबुक के बावजूद विकास खंड पूरनपुर अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में ना ही ठेका प्रथा रुकने का नाम ले रही है और ना ही भ्रष्टाचार के मामलों में कहीं कमी आई है। ऐसा ही एक ज्वलंत उदाहरण विकास खंड पूरनपुर की ग्राम पंचायत माधोटाण्डा में हर जगह आसानी से देखने को मिल जायेगा। यहां इंटरलॉकिंग सड़क हो या खड़ंजा अथवा सीसी मार्ग सभी सड़कों के के अलावा ओडीएफ प्लस अन्र्तगत कराये जाने वाले समस्त निर्माण में घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किए जाने की दर्जनों मौखिक या लिखित शिकायतों के बावजूद भी आज तक कोई ठोस कार्यवाही ना किए जाने के चलते शिकायतकर्ता ग्रामीण मनोबल टूटने के कारण शिकायतें ही करना छोड़ चुके हैं। जिसका फायदा उठाकर ग्राम प्रधान के चहीते कथित ठेकेदार ग्राम पंचायत अधिकारी, अवर अभियंता से सांठ-गांठ कर मानकों को दरकिनार करते हुए मनमाने तरीके से वर्तमान में नाला, नाली, सिल्ट कैचर, स्लैव, कूड़ा निस्तारण प्रोजेक्ट के तहत नाडैप, पक्के कूड़ादान, प्लास्टिक बैंक आदि का निर्माण करा चुके हैं अथवा करा रहे हैं। यहां चैंकाने वाली बात यह है कि मांगे जाने पर मौके पर कोई भी जिम्मेदार निर्माण कार्यों का स्टीमेट नहीं दिखा पा रहा है बल्कि बताया जा रहा है कि अवर अभियंता द्वारा निर्माण कार्य की एमबी करते समय एस्टीमेट तैयार किया जाता है। ग्राम पंचायत माधोटाण्डा में मुख्य मार्ग पर स्थित मस्जिद के सामने अधोमानक के अन्तर्गत नाला निर्माण कराया गया है। मौके पर ग्रामीणों द्वारा नाम ना छापने की शर्त पर बताया गया कि उक्त नाला निर्माण के समय पूर्व में लगी गई हुई कुछ हिस्से की उखडी हुई ईंटो को लगाकर दो रद्दो की चुनाई कर प्लास्तर कर नये नाला निर्माण का रूप दे दिया़ गया है। ग्रामीणों के अनुसार मई 2021 से अब तक कराये गये सड़क निर्माण मे कहीं रोड़ा नही डाला गया और ना ही सड़क में बिल्कुल भी बालू उपयोग में लाई गई है। बताते हैं कि गांव माधोटाण्डा में मानकों को दरकिनार कर निर्माण कार्यो की औपचारिकता निभाकर अब उक्त समस्त निर्माण कार्यो की एमबी कराकर सरकारी धन को ठिकाने लगाने का ताना-बाना बुना जा चुका है। अब देखना यह है कि जिलाधिकारी की इतनी सख्ती के बावजूद भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले ग्राम पंचायत माधोटाण्डा के जिम्मेदार लोग नियम विपरीत तरीके से कराए गए कार्यों का भुगतान प्राप्त कर जिले के अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब हो जाते हैं या फिर कमीशनखोरी के खेल में नियमों को ताक पर रखकर काम कराने के मामले में ऐसे लोगों पर कार्रवाई की गाज गिरती है। यह बात समय के गर्भ में कैद है।