गरबा-डांडिया के साथ गुजरात में होता है नवरात्रि का आगाज़, जानें और क्या है खास

हिंदू फेस्टिवल बिना नवरात्रि के अधूरा है। वैसे तो इसे उत्तर भारत के ज्यादातर जगहों पर मनाया जाता है लेकिन गुजरात में इसकी अलग ही धूम देखने को मिलती है। यहां इस उत्सव को डांडिया और गरबा के रूप में मनाया जाता है जो पूरे दुनियाभर में मशहूर है। इस उत्सव की खासियत का अंदाजा आपको इसमें शामिल होने के बाद ही लगेगा। वसंत और शरद ऋतु की शुरूआत देवी दुर्गा के पूजन के लिए बहुत ही खास होता है। नौ दिनों तक मनाए वाले इस उत्सव में देवी दुर्गा के हर एक रूप की पूजा होती है। नौ रातों को तीन भागों में बांटा गया है। पहले तीन दिन मां दुर्गा को पूजा जाता है। उसके अगले तीन दिनों तक मां लक्ष्मी और अंत के तीन दिन मां सरस्वती की पूजा होती है। दसवें दिन विजया दशमी का उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

गुजरात के लोग गरबा द्वारा मां को प्रसन्न करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा को गरबा बहुत प्रिय है। मां दुर्गा की आरती के बाद शुरू होता है नवरात्रि उत्सव। नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी का घड़ा स्थापित किया जाता है जिसमें एक चांदी का सिक्का और दीपक रखा जाता है। गरबा और डांडिया दो अलग-अलग चीज़ हैं। जहां गरबा मां दुर्गा तो वहीं डांडिया कृष्ण और गोपियों को समर्पित है। गुजरात में अलग-अलग जगहों पर अलग प्रकार का गरबा देखने को मिलेगा। राजकोट में शेरी तो बड़ोदा का विशाल गरबा बहुत चर्चित है।

इन जगहों पर देखने को मिलती है नवरात्रि की अलग धूम

कच्छ में आशापुरा माता के मुख्य मंदिर ‘माता-नो-मढ़’, भावनगर के नज़दीक खोदियार मंदिर और अहमदाबाद-राजकोट नेशनल हाइवे पर चोटिला में चामुंडा मंदिर मशहूर हैं जहां नवरात्रि की अलग ही रौनक देखने को मिलती है।

बड़ोदरा की नवरात्रि भी है खास

वैसे तो नवरात्रि गुजरात से लेकर उत्तर भारत के ज्यादातर जगहों पर मनाया जाता है लेकिन वडोदरा को गुजरात का कल्चरल कैपिटल कहा जाता है जिसकी वजह से इस जगह देश-विदेश से आने वाले सैलानियों की ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। जो भक्ति से लेकर फिल्मी गानों पर थिरकते हुए नज़र आएंगे।

गुजरात घूमने के लिए ये सीज़न बिल्कुल परफेक्ट है। जब आप यहां की हर एक चीज़ का लुत्फ उठा सकते हैं।