राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा उत्तर प्रदेश में तीन दिन तक चली। इसमें राहुल गांधी 30 घंटे तक UP में रहे और 120 किमी. पैदल चले। भले ही राहुल ने यहां 3 लोकसभा और 11 विधानसभा सीटों को कवर किया हो। लेकिन, सियासी माहौल पूरे पश्चिमी यूपी का गरम रहा। यहां की 125 विधानसभा सीटों और 25 लोकसभा सीटों पर कम से कम कांग्रेसियों को तो नई ऊर्जा जरूर मिली है।
पूरी यात्रा में राहुल महिलाओं और युवाओं से खूब मुखातिब हुए, उन्हें इमोशनली कनेक्ट करने की कोशिश की। युवाओं के करियर पर भी खुलकर बात की। अपनी टीशर्ट का जिक्र करके किसानों के बच्चों का दर्द साझा किया, उनसे जुड़ने का प्रयास किया। कैराना में पलायन पर कोई चर्चा न कर यात्रा को हिंदू-मुसलिम जैसे विषय से अलग कर दिया। राहुल की इस यात्रा को आने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। रालोद और भाकियू के खुलकर साथ आने और सपा-बसपा के समर्थन मिलने से वे 2024 में यूपी में विपक्ष के नए गठबंधन की एक नई उम्मीद जगा गए हैं।
1– अग्निवरी भर्ती रद्द करने की घोषणा कर युवाओं काे उम्मीद जगाई
देश की तीनों सेनाओं में यूपी सर्वाधिक जवान देता है। रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, देश की तीनों सेनाओं में वर्तमान समय में 13.40 लाख जवान हैं। इनमें 2.18 लाख जवान उत्तर प्रदेश से आते हैं। बड़ी बात यह है कि यूपी के इन जवानों में भी 40% युवा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं। खासकर जाट और गुर्जर बेल्ट के। देश में अग्निवीर स्कीम की घोषणा के बाद सर्वाधिक विरोध भी पश्चिम यूपी में ही हुआ था। राहुल ने बागपत में युवाओं से मिलकर सीधे घोषणा की कि जब हम सत्ता में आएंगे तो अग्निवीर भर्ती रद्द कर देंगे।
राहुल ने कहा “यहां के युवा सुबह चार बजे उठकर दौड़ते हैं ,उनका सपना देश की रक्षा करना है। 15 साल देश की सेवा करना चाहते हैं। अब उन्हें चार साल में बेरोजगार कर दिया जाएगा। यह गलत फैसला है।” राहुल के इस भाषण का युवाओं ने स्वागत किया। दरअसल, पश्चिम यूपी में ही सेना की हर भर्ती में 2 से 3 लाख युवा आवेदन करते हैं। ऐसे में राहुल ने इस मुद्दे को उठाकर भावनात्मक रूप से युवाओं को जोड़ने की कोशिश की।
2– अपनी टी-शर्ट के सवाल पर किसानों का दर्द साझा किया
“लोग मेरी टीशर्ट की बात करते हैं, उन्हें किसानों के बच्चों के फटे हुए कपड़े दिखाई नहीं देते है। ये बच्चे अच्छे कपड़े नहीं पहन पाते सर्दी में ठिठुरते रहते हैं। महंगाई इतनी है कि किसान की फसल से उसका खर्च नहीं चल रहा है। ऐसे कैसे किसानों की जिंदगी में बदलाव आएगा।” राहुल गांधी ने शामली में कही इन बातों से छोटे और सीमांत किसानों को भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की। राहुल ने इस मुद्दे को इसलिए भी उठाया कि यह वही पश्चिमी यूपी है जिसने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को दोबारा जिंदा कर दिया था।
26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद पूरा किसान आंदोलन खत्म माना जा रहा था। लेकिन राकेश टिकैत के आंसुओं ने पूरे आंदोलन में नई जान फूंक दी। इसके बाद दिल्ली के बॉर्डर पर बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, सहारनपुर, बिजनौर, बुलंदशहर, हापुड़, मुरादाबाद, अमरोहा समेत आसपास के कई जिलों के किसान गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंच गए।
3– कैराना से संदेश…यात्रा को हिंदू-मुस्लिम विषय से अलग रखा
राहुल गांधी कैराना के ऊंचा गांव में करीब 5 घंटे तक रहे। वह यहां कई स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिले, कव्वाल और कैराना कांड को समझा भी। 5 घंटे के मंथन के बाद यात्रा पर निकलने पर उन्होंने कैराना और मुजफ्फरनगर के पलायन पर कोई बात नहीं की। यानी उन्होंने पूरी यात्रा को हिंदू-मुसलिम विषय से अलग रखा। उनका कहना है कि हम प्रेम की बात करने निकले हैं, हिंसा और नफरत फैलाने वाली कोई बात नहीं होगी।
यह वही कैराना और मुजफ्फरनगर का एरिया है जहां 2013 में जमकर दंगे और बवाल हुआ था। इसके बाद कैराना के व्यापारियों ने पलायन किया था। वर्ष 2016 में पूर्व सांसद हुकुम सिंह ने कैरान के पलायन का मुद्दा उठाया था और 394 व्यापारियों के पलायन की लिस्ट जारी की थी। इसी को मुद्दा बनाकर बीजेपी विधानसभा चुनाव में उतरी और पश्चिम यूपी की 125 में से 100 सीटें जीती थी।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला गाजियाबाद में यात्रा में शामिल हुए। उन्होंने राहुल गांधी को गले लगा लिया और कुछ दूर तक साथ भी चले।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला गाजियाबाद में यात्रा में शामिल हुए। उन्होंने राहुल गांधी को गले लगा लिया और कुछ दूर तक साथ भी चले।
4– पब्लिक कनेक्ट: यात्रा में लोगों से इमोशनली जुड़ते गए
3 दिन की यात्रा के दौरान राहुल गांधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अलावा आम जनता से भी मेल मुलाकात करते चल रहे थे। वे आम लोगों से हाथ मिलाते, गले मिलते दिखे। ज्यादातर जगहों पर वह महिलाओं को बीच में बुला लेते। नुक्कड़ सभा हो या बड़ी सभा, राहुल ने अपना भाषण भी इमोशनल रखा। राजनीति मुद्दों पर बात की, लेकिन स्पीच में ज्यादातर समय यात्रा के अनुभवों पर चर्चा की। प्रेम बांटने की बात कही जिसे पब्लिक ने पसंद किया।
यात्रा में आई एक युवती गुलाब का फूल लिए दूर दिख रही थी, वह उनके पास तक जाने का प्रयास कर रही थी। राहुल की नजर उस पर पड़ी तो सीधे उसे अपने पास बुला लिया। बागपत में एक बुजुर्ग महिला को गले लगाया।
5- जाटलैंड में रालोद-भाकियू को जोड़ा, यूपी में नए गठबंधन की राह
राहुल की यात्रा को पश्चिम यूपी में जब रालोद और भाकियू का साथ मिला तो हाथ मजबूत होता दिखाई दिया। यात्रा में रालोद कार्यकर्ताओं और किसानों की संख्या अच्छी खासी दिखाई देने लगी। साथ ही पीस पार्टी और भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी यात्रा में पहुंचे। सपा और बसपा का पत्र से समर्थन मिला। रालोद, भाकियू, पीस पार्टी और भीम आर्मी का खुलकर समर्थन मिलने और सपा-बसपा का पत्र से समर्थन हासिल होने से आने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष के एकजुट होने के संकेत जरूर मिल रहे हैं।
2024 के चुनाव में यह एक नया गठबंधन खड़ा हो सकता है। पश्चिम यूपी की 25 लोकसभा सीटों पर तो इसका प्रभाव जरूर दिखाई पड़ सकता है। यह वही पश्चिम यूपी है, जहां कभी सपा और रालोद बहुत मजबूत दिखाई देती थी। लेकिन पिछले दो चुनाव से भाजपा यहां बढ़त बनाए हुए है। 2017 में भाजपा यहां 100 सीटें जीती थी।