कहीं परशुराम तो कहीं बुद्धम शरणम् गच्छामि का फॉर्मूला अपना रही है। इसके जरिए पार्टी घर की सीट बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। इतना ही नहीं, मंच सज्जा से लेकर उपहारों में भी संबंधित क्षेत्र की जातीय स्थिति का ध्यान रखा जा रहा है। जनसभाओं में सिर्फ नेताजी ही नहीं, उनके दिवंगत साथियों की भी याद दिलाई जा रही है।
मैनपुरी में सियासी वैतरणी पार करने के लिए सपा प्रतीकों का सहारा ले रही है। कहीं परशुराम तो कहीं बुद्धम शरणम् गच्छामि का फॉर्मूला अपना रही है। इसके जरिए पार्टी घर की सीट बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। इतना ही नहीं, मंच सज्जा से लेकर उपहारों में भी संबंधित क्षेत्र की जातीय स्थिति का ध्यान रखा जा रहा है। जनसभाओं में सिर्फ नेताजी ही नहीं, उनके दिवंगत साथियों की भी याद दिलाई जा रही है।
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आ रही है, वहां सियासी समर रोचक होता जा रहा है। भाजपा ने सत्ता और संगठन की ताकत झोंक दी है तो सपा भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। पार्टी के विधायक और संगठन के जुड़े लोग अपनी बिरादरी की बहुलता वाले बूथों पर डटे हैं। चुनाव की कमान खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह ने संभाल रखी है।
मैनपुरी सदर विधानसभा क्षेत्र में हुए आशीर्वाद सम्मेलन के बहाने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अनदेखी का मुद्दा उठाया गया। पंडित जनेश्वर मिश्र पार्क का बखान करते हुए संस्कृत विद्यालय के उत्थान से लेकर परशुराम जयंती पर दिए गए अवकाश का मुद्दा उठाया। खास बात यह है कि बैनर में छपी तस्वीर से लेकर मंच पर बैठने वाले सभी नेता ब्राह्मण समाज के थे। सम्मेलन के बहाने सपा ने ब्राह्मण समाज के लिए किए कार्यों को गिनाते हुए भाजपा को कटघरे में खड़ा किया।
इसी तरह शाक्य बहुल इलाके में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का सम्मान बुद्ध प्रतिमा से किया गया। कार्यक्रम के दौरान मंचासीन नेताओं के सामने बुद्ध प्रतिमा रखी रही। बुद्ध के उपदेश के जरिए भाजपा पर निशाना साधे गए। मंच पर अखिलेश के बगल में शिवपाल, उनके बाद केसी त्यागी के साथ पार्टी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजपाल कश्यप को स्थान दिया गया। यहां शाक्य, निषाद, कश्यप सहित अन्य बिरादरी के लिए सपा शासनकाल में किए गए कार्यों को गिनाया गया। इतना ही नहीं, अति पिछड़े वर्ग के विभिन्न नेताओं का नाम बार-बार दोहराया गया, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी और नेताजी के रिश्तों की याद दिलाई गई। बृहस्पतिवार को दलित बहुल इलाके में होने वाली जनसभाओं में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा रखी गई।
रामपुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में आजम खां भावनात्मक अपील कर रहे हैं। वह जनसभाओं में कह रहे हैं कि इस्लाम में खुदकुशी हराम है, नहीं तो मैं यह भी कर लेता। वे मुझे हरा नहीं सके तो मुझे ही हटा दिया। इन शब्दों के जरिए जहां अपनी सियासत को बचाने की अपील कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बृहस्पतिवार को अखिलेश यादव के बगल में चंद्रशेखर आजाद को बैठाकर दलित वोटों की लामबंदी का भी प्रयास किया गया है। जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने आजाद को तवज्जो नहीं दी गई थी। मंच पर लगे बैनर में आसिम राजा को सपा, रालोद और आजाद समाज पार्टी का संयुक्त उम्मीदवार बनाया गया।
रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने खतौली में डेरा डाल दिया है। वह अपने समर्थकों के साथ दो दिसंबर तक यहीं रहेंगे। यहां भी चंद्रशेखर आजाद की टीम डटी हुई है। जनसभाओं में यहां एक तरफ गन्ना किसानों की समस्याएं उठाई जा रही हैं तो दूसरी तरफ चौधरी अजित सिंह की याद दिलाकर वोट मांगा जा रहा है।