तमिलनाडु के वेल्लोर के कटपाडी इलाके के भरमपुरम का एक घर पिछले 10 महीने से पुलिस की छावनी बना हुआ था। घर में एंट्री के चारों पॉइंट्स बैरिकेड लगाकर ब्लॉक कर दिए गए। बिना इजाजत न कोई अंदर जा सकता था और न ही कोई बाहर आ सकता था।
21 मई 1991 को एक धमाका हुआ, जिसमें PM राजीव गांधी का शरीर टुकड़ों में बिखर गया। इसी केस में दोषी और अब सजा माफी के बाद बाहर आई नलिनी श्रीहरन इसी घर में ठहरी हुई थीं। नलिनी किसी भी भारतीय जेल में सबसे ज्यादा समय तक रहने वाली महिला कैदी हैं और एक बार फिर अंडरग्राउंड हैं।
नलिनी नवंबर 2021 से इस घर में अपनी मां पद्मावती, भाई एस. भाग्यनाथन, भाभी भवधरानी और तीन बच्चों के साथ रह रही थीं। पिछले हफ्ते ही उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने बरी किया है। नलिनी के साथ उनके पति मुरुगन श्रीहरन, संथन, जयकुमार और रॉबर्ट पायस को भी रिहा कर दिया गया है। हालांकि, श्रीलंका का नागरिक होने के कारण उन्हें स्पेशल कैंप में रखा गया है
महिला जेल से रिहा होने के बाद नलिनी सेंट्रल जेल गईं। वहां उन्होंने पति श्रीहरन (लंबी दाढ़ी में) से मुलाकात की। वैन में बाईं तरफ एक और आरोपी संथन है।सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार के बाद अब कांग्रेस ने भी नलिनी और दूसरे दोषियों की रिहाई के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला लिया है। 18 नवंबर को नलिनी से मिलने मैं उनके घर पहुंचा तो न वहां पुलिस थी और न कोई भीड़। नलिनी यहां से जा चुकी हैं।
घर के तीन दरवाजों पर ताले थे और सिर्फ एक खुला था। दरवाजा खटखटाया तो एक महिला बाहर आईं। उन्होंने बताया कि नलिनी और उनके भाई परिवार के साथ कहीं चले गए हैं। पता पूछा तो बताने से इनकार कर दिया।
काफी रिक्वेस्ट करने के बाद नलिनी के भाई का फोन नंबर मिला। मैंने पहले नलिनी से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे फोन पर नहीं आईं। इसके बाद नलिनी के भाई भाग्यनाथन उनकी तरफ से बोलने के लिए तैयार हुए।
भाग्यनाथन ने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले के बाद हमने तय किया है कि अब वे मीडिया से बात नहीं करेंगी। हमें देश की सबसे बड़ी अदालत पर भरोसा है। वह जो भी फैसला देगी, हमें मंजूर होगा। हालांकि, उनकी बातों से साफ था कि पूरे परिवार को नलिनी के फिर से जेल जाने का डर सता रहा है।
भरमपुरम में नलिनी का घर, यहां वे परिवार के साथ करीब 10 महीने से रह रही थीं। इस घर को छोड़ने के बाद वे कहां चली गई हैं, कोई नहीं जानता।
जेल में इतना चिल्लातीं कि गले से खून बहने लगता था
भाग्यनाथ ने साफ कर दिया कि वे इस पिटीशन को लेकर कोई बात नहीं करना चाहते। मेरे मन में दूसरा सवाल ये था कि आखिर इतने साल नलिनी ने जेल में किया क्या? इसके जवाब में भाग्यनाथन बताते हैं कि नलिनी के लिए जेल के शुरुआती दिन किसी भयानक सपने से कम नहीं थे। उन्हें सबसे अलग एक सेल में जंजीरों से जकड़ कर रखा जाता था।
वे जेल में इस कदर रोतीं और चिल्लाती थीं कि उनके गले से खून निकलने लगता था। कई बार उन्हें हॉस्पिटल में भी एडमिट करवाना पड़ा। भाग्यनाथन बताते हैं कि नलिनी सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि राजीव गांधी के लिए भी रोया करती थीं। 31 साल के दौरान हमने जो झेला अब उसे सोचने में भी डर लगता है। हम उसे एक बुरा सपना सोच भुलाने की कोशिश कर रहे हैं।
जेल में हुए टॉर्चर को याद करते हुए भाग्यनाथन ने बताया कि जेल में एक अधिकारी ने नलिनी को धमकाते हुए कहा था कि वे उसकी बेटी को बड़ी होने पर सेक्स रैकेट में धकेल देंगे। इस घटना के बारे में नलिनी ने अपनी आत्मकथा मे भी लिखा है।
जेल में नलिनी इतने साल तक क्या करती रहीं? पूछने पर भाग्यनाथन ने बताया- उनके दिन की शुरुआत जेल के मंदिर से होती थी। इसके बाद वे पहले योग और फिर एक्सरसाइज करती थीं। जेल में उनके पास चार किताबें थीं। ब्रेकफास्ट के बाद वे उनमें से एक पढ़ा करती थीं। 32 साल में नलिनी ने कभी कोई न्यूज पेपर नहीं पढ़ा। वे महाभारत और गीता पढ़ा करती थीं।
नलिनी एकांत कारावास (सॉलेट्री कनफाइंमेंट) में रह रहीं थीं, इसलिए उन्हें जेल में कोई काम नहीं दिया गया था। वे सिर्फ पूजा करतीं, खाना खातीं, पढ़ाई करतीं, कपड़े धोतीं और सोती थीं। जेल से बाहर आकर उन्हें अच्छा तो लग रहा है, लेकिन ये दुनिया उनके लिए काफी बदल गई है।
जेल में ही नलिनी ने एक बच्ची को जन्म दिया। वह दो साल तक वेल्लोर महिला जेल में रहीं। भाग्यनाथन बताते हैं कि एक साधारण महिला के लिए बाहर रहते हुए बच्ची को पालना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जेल में उसका पालन पोषण कैसे हुआ होगा। जेल में बच्ची कुपोषण का शिकार हो गई। इसके बाद उसे इलाज के लिए बाहर लाना पड़ा।
नलिनी की बेटी हरिद्रा श्रीहरन लंदन में डॉक्टर हैं। उसकी शादी हो चुकी है। शादी की तैयारी के लिए नलिनी को 30 दिन की परोल दी गई थी। प्रियंका गांधी नलिनी से मिली थीं, तो उसकी बेटी ने सोनिया और प्रियंका गांधी का शुक्रिया अदा किया था। उन्होंने कहा- सोनिया गांधी मेरे लिए भगवान की तरह हैं।
राजीव गांधी की हत्या के आरोप में नलिनी को जून 1991 में गिरफ्तार किया गया, तब वे 2 महीने की प्रेग्नेंट थीं। उन्होंने कुछ दिन पहले ही तिरुपति में मुरुगन से शादी की थी।टाडा कोर्ट ने नलिनी समेत 28 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी। इसमें से 19 लोगों को 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था। बचे हुए 7 में से 4 दोषी नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन को फांसी की सजा सुनाई गई। रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्रकैद की सजा मिली।
बाद में सोनिया गांधी ने नलिनी को माफ कर दिया था। इसके बाद उनकी फांसी को उम्रकैद में बदल दिया गया। सोनिया गांधी के बाद प्रियंका गांधी ने साल 2008 में वेल्लोर सेंट्रल जेल में नलिनी से मुलाकात की थी। कांग्रेस के कुछ नेता आज भी दोषियों की रिहाई का विरोध कर रहे हैं। राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी ने इस पर कुछ भी नहीं कहा है।
नलिनी के भाई ने कहा कि हम जानते हैं कि अपनों को खोने का क्या दर्द होता है। इसके बावजूद गांधी परिवार ने रिहाई का विरोध नहीं किया। इसके लिए हम उनके आभारी हैं और उन्हें पूरे परिवार की ओर से धन्यवाद करते हैं। अगर हमें मौका मिला तो हम उनसे जाकर मुलाकात करेंगे। पड़ोसी मानते हैं, रिहाई ठीक है; इतनी सजा किसी को न मिले
नलिनी के भाई से बात करने के बाद मैंने आस-पड़ोस के लोगों से बात की। जिस घर के बाहर 2 इंस्पेक्टर, 4 सब इंस्पेक्टर समेत 27 सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी लगी हो, वहां रह रहे लोगों से किसी का भी मिलना नामुमकिन ही है।
यहां मेरी मुलाकात आर्मी से रिटायर्ड हुए विनोद कुमार से हुई। उन्होंने बताया कि नलिनी 10 महीने से वहां रह रहीं थी। वे हमें सिर्फ पुलिस स्टेशन जाते और वहां से आते ही नजर आती थी।
अदालत के नलिनी को रिहा करने के सवाल पर विनोद ने कहा कि यह सरकार का फैसला है। उन्होंने कुछ सोच कर ही किया होगा। इस पर हम और कुछ नहीं कह सकते हैं।
पड़ोस में रहने वाली कुमारी भी इसी बीच आ जाती हैं। वे बताती हैं- पड़ोसी होने के बावजूद हमारी कभी मुलाकात नहीं हुई उनसे। पुलिस के कारण वे बाहर नहीं निकलती थीं। हमें खुशी है कि वे जेल से रिहा हुईं। ये भगवान की मर्जी है।
नलिनी के मोहल्ले में 22 साल से टिफिन सप्लाई करने वाले राजू ने बताया कि आज से 10 महीने पहले जब घर के बाहर भारी संख्या में फोर्स नजर आई, तब हमें पता चला कि नलिनी यहां रहने आईं हैं।
नलिनी के रहने से कभी किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई। हम रात को यहां कई बार खाना देने आते थे। पुलिस वाले हमारा आईकार्ड चेक करने के बाद ही हमें जाने देते थे। नलिनी की रिहाई पर राजू ने कहा कि मेरे हिसाब से नलिनी की रिहाई सही हुई। उन्होंने भले ही प्रधानमंत्री को मारा, लेकिन उनकी 30 साल से ज्यादा सजा यानी पूरी जिंदगी लगभग खत्म हो गई। अब उसे रिहा ही करना चाहिए था।नलिनी के जेल में बर्ताव को लेकर मैंने वेल्लोर सेंट्रल जेल के कई अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने भी ऑन रिकॉर्ड बोलने से मना कर दिया। एक अधिकारी ने नाम न देने की शर्त पर बताया कि नलिनी ज्यादातर समय अकेले और शांत रहती थीं। कभी उनके बारे में किसी तरह की शिकायत सुनने को नहीं मिली।
राजीव गांधी की हत्या में शामिल होने और अब इसको लेकर किसी तरह के पछतावे के सवाल पर नलिनी की ओर से उनके भाई ने कहा कि वे परिस्थितियों का शिकार हुईं। वे एक कांग्रेसी परिवार से आती हैं। उनके दादा फ्रीडम फाइटर थे। नलिनी इंदिरा गांधी की एक स्ट्रॉन्ग सपोर्टर थीं। उनके निधन के बाद वे कई दिनों भूखे रहीं और खूब रोईं थीं।
नलिनी राजीव गांधी की हत्या की साजिश में शामिल नहीं थीं। चार्जशीट में भी उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। CBI ने भी कभी नहीं कहा कि नलिनी इस साजिश में शामिल थीं। उनके खिलाफ सिर्फ 120(B) (आपराधिक साजिश और हत्या) का गुनाह साबित हुआ था। अपराध कबूल करने को लेकर कभी नलिनी ने कोई एफिडेविट नहीं दिया, लेकिन वे अपने आप को बेगुनाह साबित नहीं कर सकी।
जेल से रिहा होने के बाद नलिनी अपनी लाइफ कैसे जीना चाहती हैं? इसके जवाब में उनके भाई ने कहा कि वे 32 साल तक एक कोठरी में कैद रहीं। अब वे खुली हवा में सांस लेते हुए शांति से बेटी और पति के साथ रहना चाहती हैं। वह लंदन जाने की तैयारी कर रही हैं।
इसलिए हम भीड़-भाड़ से अलग रहने जा रहे हैं। सरकार की ओर से रिव्यू याचिका दायर करने के सवाल पर उनके भाई ने कहा कि हम इस पर कुछ नहीं बोलेंगे। हमें देश के संविधान और कानून पर पूरा भरोसा है।
नलिनी अब अपने परिवार के साथ रहना चाहती हैं। अगर रिव्यू पिटीशन की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई के आदेश पर रोक लगा दी, तो उन्हें फिर जेल जाना पड़ेगा।
उधर, कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने जेल से निकलने के लिए सावरकर के अंग्रेजों से माफी मांगने का फिर मुद्दा उठाया है। उनके बयान पर सावरकर के पोते नाराज हैं।
भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे कांग्रेस लीडर राहुल गांधी 17 नवंबर को महाराष्ट्र के अकोला में थे। यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने एक कागज दिखाया और कहा कि सावरकर ने ये चिट्ठी अंग्रेजों को लिखी थी। उन्होंने खुद को अंग्रेजों का नौकर बने रहने की बात कही थी। सावरकर के पोते रणजीत सावरकर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि राहुल अपनी राजनीति चमकाने के लिए सावरकर को गालियां दे रहे हैं।