नोएडा उच्चतम न्यायालय आदेश के बाद नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डरों पर बकाया अपने पैसे की गणना कर ली है। लगभग 75 बिल्डर परियोजनाओं पर 16 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं। अब इन बिल्डरों से बकाया वसूली के लिए प्राधिकरण ने तैयारी शुरू कर दी है। बहुत जल्दी सारे बिल्डरों को नोटिस जारी किया जाएगा। अगले सप्ताह सोमवार और मंगलवार से नोटिस जारी होंगे। बिल्डरों को 15 दिनों में बकाया चुकाने की हिदायत दी जाएगी।
नोएडा अथॉरिटी उन बिल्डरों को अभी नोटिस नहीं भेजेगा, जिनकी परियोजनाओं से जुड़े मामले उच्चतम न्यायालय, एनसीएलटी या किसी अन्य न्यायालय में विचाराधीन हैं। इन परियोजनाओं में आम्रपाली, सुपरटेक और यूनिटेक आदि बिल्डर की परियोजनाएं हैं। आपको बता दें कि दस दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने अपने पुराने आदेश को निष्प्रभावी करते हुए नोएडा प्राधिकरण के हक में नया फैसला सुनाया है। जिसके मुताबिक अथॉरिटी को अपनी ब्याज दर के हिसाब से बकाया वसूली का हक दे दिया है। इसके बाद प्राधिकरण ने बकाया धनराशि का आंकलन शुरू कर दिया। प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि बकाए की गणना 11.5 प्रतिशत साधारण ब्याज और 3 प्रतिशत दंड ब्याज के साथ की गई है। यह दरें 30 जून 2020 तक लगाई गई हैं। इसके बाद 1 जुलाई 2020 से अलग गणना की गई है। यह 9 जून 2020 को आए शासनादेश के मुताबिक की गई है। इस शासनादेश में बकाए पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एमसीएलआर के मुताबिक ब्याज दरें और 1 प्रतिशत प्रशासनिक शुल्क लेने के निर्देश सरकार ने दिए थे।
बिल्डरों के 100 प्रोजेक्ट पर 16 हजार करोड़ रुपये बकाया
प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि ग्रुप हाउसिंग की 116 परियोजनाएं हैं। इनमें से करीब 16 परियोजनाओं पर कोई बकाया नहीं है। जबकि 100 परियोजनाओं पर बकाया चल रहा है। इनमें से करीब 75 परियोजनाओं पर प्राधिकरण के 16 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं। इन परियोजनाओं के बिल्डरों को बकाया देने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। नोटिस का ड्रॉफ्ट भी प्राधिकरण ने तैयार करवा लिया है। अधिकारियों का कहना है कि ड्रॉफ्ट को मंजूरी मिलते ही नोटिस जारी हो जाएंगे। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने जुलाई 2020 में पुराना आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि प्राधिकरण एसबीआई की एमसीएलआर को आधार बनाकर हिसाब जोड़े। 1 जनवरी 2010 से एमसीएलआर पर एक प्रतिशत अतिरिक्त प्रशासनिक चार्ज जोड़कर ब्याज वसूल करे। इसके साथ ही साधारण ब्याज रखे और दंड ब्याज न लगाए। इसके बाद नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने पुर्नविचार याचिका दायर की। इस याचिका पर 7 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने नोएडा प्राधिकरण के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अपने पुराने आदेश को निष्प्रभावी कर दिया।
इस समय नोएडा प्राधिकरण की एकमुश्त समाधान योजना चल रही है। जो 31 दिसंबर 2022 तक रहेगी। ऐसे में बिल्डर इस योजना का फायदा उठा सकते हैं। प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो योजना में संशोधन किया जाएगा। अफसरों का कहना है कि अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद बकाया की वसूली तेज होगी। जो बिल्डर प्राधिकरण का पैसा नहीं चुकाएंगे, उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। वसूली करने के लिए बिल्डरों के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन को आरसी भेजी जाएंगी।