संयुक्त राष्ट्र में शुक्रवार को महात्मा गांधी विशेष रूप से उपस्थित हुए। इस दौरान उन्होंने कुल 6:50 मिनट तक शिक्षा पर अपना संदेश साझा किया। दरअसल, पहली बार आदमकद होलोग्राम के जरिये उन्हें एक पैनल चर्चा में शामिल किया गया था। भारत के स्थायी मिशन और यूनेस्को महात्मा गांधी शांति और सतत विकास शिक्षा संस्थान (एमजीआईईपी) द्वारा अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर चर्चा का आयोजन किया गया।
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अहिंसा दिवस मनाए जाने के दौरान महात्मा गांधी के शिक्षा पर पुराने मौखिक विचारों को साझा किया गया। होलोग्राम के जरिये महात्मा गांधी तीन बार चर्चा में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने खड़े होकर और कुर्सी पर बैठकर अपना संदेश दिया।
- साक्षरता शिक्षा का अंत या यहां तक कि शुरुआत भी नहीं है। शिक्षा से मेरा तात्पर्य बच्चे या किसी व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा में उत्कृष्टता का सर्वांगीण संचार करना है। आध्यात्मिक प्रशिक्षण से मेरा तात्पर्य मन की शिक्षा से है।
- शिक्षित लोगों के चरित्र में सुधार के लिए हम शायद ही कोई विचार करते हैं। स्कूल और कॉलेज वास्तव में सरकार के लिए क्लर्क बनाने का एक कारखाना हैं। इसके विपरीत, वास्तविक शिक्षा में अपने आप को सर्वश्रेष्ठ से बाहर निकालना शामिल है। इससे बेहतर किताब और क्या हो सकती है। क्या मानवता की किताब से ज्यादा कुछ हो सकता है?
विश्व अहिंसा दिवस के अवसर पर यूनेस्को एमजीआईईपी के निदेशक अनंत दुरईअप्पा द्वारा चर्चा का संचालन हुआ। इसमें संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज, द किंग सेंटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बर्निस किंग और डिजिटल शिक्षा परिवर्तन की चैम्पियन इंडोनेशिया की राजकुमारी हायु ने भाग लिया। चर्चा में मानव विकास के लिए शिक्षा पर विशेष तौर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम अहिंसा व्याख्यान श्रृंखला का हिस्सा था।