32 फीसदी दलित-आदिवासियों पर गहलोत ने मायावती की काट के लिए खेला दांव, आइये जानते हैं

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के लिए राजनीतिक पिच तैयार करने में जुटे सीएम अशोक गहलोत प्रदेश के दलित-आदिवासियों को रिझाने की कवायद तेज कर दी है। सीएम अशोक गहलोत ने दलित-आदिवासी युवकों के भीमराव अंबेडकर राजस्थान दलित, आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना 2022 के प्रारुप का अनुमोदन कर दिया है। इसके तहत प्रदेश में आरक्षित वर्ग के लिए उद्योगों की राह आसन कर दी है। भूमि रुपांतरण शुल्क में 100 फीसदी रियायत मिलेगी। इसके अलावा उद्यमियों के लिए आवंटित भूखंडों की सीमा 4 हजार वर्गमीटर करने का निर्णय लिया है। इससे पहले SC-ST विकास योजनाओं को अनिवार्य रूप से लागू करने और इन इलाकों में विकास की गारंटी देने के लिए गहलोत सरकार ने अलग से फंड का कानून बनाया। राजस्थान एससी-एसटी विकास निधि (योजना,आवंटन और वित्तीय संसाधनों का उपयोग) विधेयक विधानसभा में पारित भी हो गया था। माना जा रहा है कि सीएम गहलोत का यह निर्णय बसपा प्रमुख मायावती की काट के लिए खेला है। विधानसभा चुनाव में मायावती हर बार कांग्रेस को सियासी तौर पर नुकसान पहुंचाती रही है।
राजस्थान में एससी-एसटी की प्रदेश में 32 फीसदी से ज्यादा आबादी है। कई जिलों में यह प्रतिशत और भी ज्यादा है। दलित-आदिवासी कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है, लेकिन यह वोट बैंक अब बीजेपी और दूसरी पार्टियों की तरफ भी जा रहा है। विकास योजनाओं को लागू करने की गारंटी वाला कानून लाकर सरकार इस बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है। राजस्थान में डेढ़ करोड़ दलित-आदिवासी वोटर है। हाल ही के दिनों में दलितों पर हुई अत्याचार की घटनाओं से गहलोत सरकार को काफी फजीहत का सामना करना पड़ा। जालौर प्रकरण ने गहलोत सरकार को मुश्किल में डाल दिया था। सीएम गहलोत चाहते हैं कि कांग्रेस का परंपरागत वोट छिटके नहीं। विधानसभा चुनाव 2023 में पार्टी को जीत हासिल हो।

योजना के अंतर्गत दलित इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की) और कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) सहित अन्य के सहयोग से एमएसएमई सेक्टर के विभिन्न ट्रेड/उत्पादों के संबंध में पूर्णकालिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना होगी। सेंटर में प्रशिक्षणार्थियों को उद्यम स्थापना से पूर्व सभी आवश्यक जानकारी, प्रोजेक्ट का चयन, प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करना, उद्यम स्थापित करने के लिए आधुनिक मशीनों पर प्रायोगिक प्रशिक्षण, तकनीकी और दक्षता संवर्द्धन, उद्यम के संचालन, उत्पादों की मार्केटिंग, वित्तीय लेन-देन के स्वरूप के साथ प्रक्रिया, लेखा संधारण आदि का आवासीय प्रशिक्षण मिलेगा। दलित और आदिवासी वर्ग के लोगों को निवेश करने में सक्षम बनाने के लिए अभिनव पहल की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत स्थापित किए जा रहे चयनित उद्योगों में रीको/राजस्थान वेंचर कैपिटल फंड की 10 प्रतिशत भागीदारी, अधिकतम 25 लाख रुपए प्रति इकाई किए जाने के विकल्प का प्रावधान होगा। इस तरह की साझेदारी से युवा उद्यमियों को तकनीकी और विभिन्न स्वीकृतियां लेने में सहयोग मिलेगा।
इस योजना के लागू होने पर रीको औद्योगिक क्षेत्रों में दलित और आदिवासी वर्ग के उद्यमियों को आवंटित होने वाले भूखंडों की निर्धारित सीमा 2000 वर्गमीटर से बढ़ाकर 4000 वर्गमीटर की जाएगी। साथ ही, उद्यमियों को वर्तमान में भूखंड आवंटन में देय आरक्षण की सीमा को भी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6 प्रतिशत किया जाएगा। भूमि आवंटन की देय राशि की किश्तों पर ब्याज में पूर्ण छूट तथा भूमि रूपान्तरण शुल्क में 100 प्रतिशत रियायत का भी प्रावधान होगा। जमीन खरीद, लीज और ऋण दस्तावेजों पर स्टाम्प ड्यूटी में भी योजना के अंतर्गत 100 प्रतिशत छूट मिलेगी। योजना के तहत दलित और आदिवासी वर्ग के उद्यमियों की ओर से लगाई जाने वाली इकाइयों के राज्य वस्तु और सेवा कर (एसजीएसटी) का 7 वर्ष तक के लिए 100 प्रतिशत पुनर्भरण किया जाएगा। साथ ही, मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना के तहत 1 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज अनुदान और 25 प्रतिशत (अधिकतम 25 लाख रुपए) तक मार्जिन मनी अनुदान दिया जाएगा।