अमेरिका में भारतवंशियों की बढ़ती आबादी के साथ वहां मंदिरों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है। लॉस एंजिल्स से न्यूयॉर्क तक घंटियों की गूंज और भजन चिर-परिचित स्वर बनते जा रहे हैं। भारत के हर भाषाई और क्षेत्रीय हिंदू समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले मंदिर पूरे अमेरिका में मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं।
कॉफी टेबल बुक ‘अमेरिका में भारत रेखा’ के मुताबिक, 2006 में 53 मंदिर थे। वर्ष 2017 में संख्या बढ़कर 250 हो गई। 2022 में मंदिर बढ़कर 750 हो गए। सबसे ज्यादा संख्या इन्हीं 5 सालों में बढ़ी। इस दौरान 200% मंदिर बढ़े।
अमेरिका में भारतीय लोग भारत से अपने भावनात्मक संबंधों को महसूस करते हैं। मंदिरों की बढ़ती संख्या संकेत देती है कि 10 लाख से अधिक भारतीयों ने अमेरिका को अपना घर बना लिया है। स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्व प्रसिद्ध भाषण देने के बाद 1980 में न्यूयॉर्क और सैन फ्रांसिस्को में वेदांत सोसायटी की स्थापना की थी। वेदांत सोसायटी ने ही अमेरिका का पहला मंदिर सैन फ्रांसिस्को में 1905 में बनवाया।
अमेरिका का ऐसा कोई राज्य नहीं है, जहां आधा दर्जन मंदिर न हों। बढ़ते मंदिर हिंदुओं को उनके देश और संस्कृति से जोड़ रहे हैं। इंजीनियर केटी लक्ष्मी कहती हैं, यहां आकर लोग अधिक धार्मिक हो जाते हैं। यह भारत से हमारा लगाव जीवित रखने का तरीका है।