एक ऐसा एक्टर जिसने कभी शराब नहीं पी पर गुरुदत्त ने उनका नाम पॉपुलर व्हिस्की ब्रांड के नाम पर रख दिया। जो बस कंडक्टर का काम करते हुए लोगों को इंटरटेन करते थे फिर बने बेहतरीन एक्टर और कॉमेडियन। आज बात हो रही है जॉनी वॉकर की।
आज जॉनी वॉकर की 19वीं डेथ एनिवर्सरी है। जॉनी वॉकर 50,60 और 70 के दशक के सबसे बेस्ट कॉमेडियन माने जाते थे। उन्होंने 4 दशक तक फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया है। एक दौर ऐसा भी था जब जॉनी बस कंडक्टर का काम किया करते थे। फिर बाद में उन्होंने बेहतरीन कॉमेडियन के रुप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने अपने करियर में लगभग 300 फिल्मों में काम किया है। जॉनी ऐसे पहले एक्टर थे जिन्होंने अपने लिए पर्सनल मैनेजर रखा था साथ ही वो ऐसे पहले एक्टर रहे हैं जिन्होंने संडे की छुट्टी लेना शुरू किया था। एक दौर ऐसा भी था जब जॉनी के गाने फिल्म में रखने के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स फिल्म निर्माता को ज्यादा पैसे दिया करते थे। फिल्म के मेकर्स लेखकों से अलग से जॉनी का रोल लिखवाया करते थे। जॉनी ही वो एक्टर रहे हैं जिन्होंने फिल्मों में टैक्सी ड्राइवर्स की लैंग्वेज बोलना करना शुरू किया था। तो चलिए आज इस बेहतरीन एक्टर की बर्थ एनिवर्सरी पर इनकी जिंदगी से जुड़े कुछ खास किस्सों पर नजर डालते हैं।
जॉनी वॉकर का जन्म 11 नवंबर 1926 को हुआ था। वो 10 भाई बहनों में दूसरे नंबर के थे। उनका बचपन आम लोगों की तरह बीत ही रहा था कि एक दिन उनके पिता की नौकरी चली गई। ऐसे में उनके परिवार पर परेशानियों का पहाड़ टूट गया। इतना बड़ा परिवार और कमाई का कोई साधन नहीं होने के चलते उनका परिवार मुंबई में आकर शिफ्ट हो गया। मुंबई आने के बाद उनके पिता की पहचान से उनकी बस कंडक्टर की नौकरी लग गई। जॉनी को इस नौकरी से महीने के 26 रुपए मिलते थे। वो शुरू से ही हंसमुख इंसान रहे हैं सो इस काम को भी खूब मन से करते। उनका कॉमिक टाइमिंग भी कमाल का था। साथ ही वो एक्टर्स की मिमिक्री भी बेहद शानदार किया करते थे। ऐसे में सवारियों को बुलाने का उनका अंदाज इतना शानदार था कि लोग उनसे खुश हो जाते थे। वो अपनी एक्टिंग से लोगों का दिल जीत लिया करते थे। जॉनी को ये भी लगता था कि शायद कभी कोई फिल्म का डायरेक्टर उनसे इंप्रेस होकर उन्हें किसी फिल्म में कॉस्ट कर ले।
जॉनी ने फिल्म स्टूडियोज में जा-जाकर अपनी कुछ पहचान बना ली थी ऐसे में कुछ फिल्मों में उन्हें छोटे-मोटे रोल मिल जाया करते थे। इसी बीच एक रोज उनकी मुलाकात एक्टर बलराज साहनी से हुई। बलराज जॉनी की हंसाने की स्किल्स से खासा प्रभावित हुए और उन्हें गुरुदत्त से मिलने की सलाह दी। फिर जब बलराज ने जॉनी को गुरुदत्त से मिलवाया तो जॉनी उनसे शराबी बनकर मिले। इससे गुरुदत्त खासा नाराज हुए कि कोई शराब पीकर उनसे इस तरह मिल रहा है। फिर जॉनी ने जब बताया कि उन्होंने शराब नहीं पी है और वो एक्टिंग कर रहे थे, तब गुरुदत्त बेहद खुश हुए और उन्होंने उसी वक्त जॉनी को गले लगा लिया।
बचपन से जॉनी वॉकर का नाम बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी था और गुरुदत्त से मिलने से पहले तक लोग उन्हें उसी नाम से जानते थे, लेकिन जब जॉनी की गुरुदत्त से मुलाकात हुई तब उनकी शराबी के एक्टिंग ने गुरुदत्त को खासा इंप्रेस कर दिया। फिर क्या था गुरुदत्त ने उनका नाम अपने फेवरेट व्हिस्की ब्रांड के नाम पर “जॉनी वॉकर” रख दिया। जॉनी ने भी इसे दिल से अपनाया और अपना स्क्रिन नेम यही रख लिया।
गुरुदत्त जॉनी की हंसाने की कला को जान चुके थे। इस दौरान वो फिल्म बाजी की शूटिंग में भी बिजी थे। ये गुरुदत्त के डायरेक्शन में बन रही पहली फिल्म थी साथ ही देव आनंद भी इस फिल्म से डेब्यू कर रहे थे, पर जॉनी के लिए इस फिल्म में कोई सीन नहीं लिखा गया था। ऐसे में जॉनी वॉकर के लिए गुरुदत्त ने अलग से सीन क्रिएट करवाया और इस तरह जॉनी को फिल्म बाजी में काम मिल गया। ये जॉनी के करियर की पहली फिल्म तो नहीं थी लेकिन स्क्रिन पर ज्यादा समय उन्हें इसी फिल्म के जरिए मिला था। इस फिल्म में जॉनी ने खुद को प्रूफ कर दिया। फिल्म में उनके कॉमिक सीन्स को खासी तारीफें मिलीं। फिर क्या था जॉनी गुरुदत्त की लगभग हर फिल्म में नजर आने लगे।
जॉनी ने कई फिल्मों में शराबी का रोल प्ले किया है, लेकिन वो कहते थे कि उन्होंने कभी शराब नहीं पी और न ही पीने के बारे में सोचा। उनकी एक्टिंग एकदम प्योर थी। उन्होंने स्क्रीन पर कभी कोई अश्लील सीन नहीं किया। उनका कहना था कि सेंसर बोर्ड ने किसी भी फिल्म से कभी उनका एक भी सीन कट नहीं किया है।
जॉनी वॉकर ने बाजी फिल्म के बाद गुरुदत्त की लगभग हर फिल्म में काम किया है। 50,60 और 70 के दशक तक जॉनी फिल्मों के हिट होने की ग्यारंटी माने जाने लगे थे। उनके एक्टिंग सीन कभी-कभी लीड एक्टर को भी स्क्रीन पर दबा दिया करते थे। उनकी बेहतरीन फिल्मों में नया दौर, टैक्सी ड्राइवर, मधुमती, मिस्टर एंड मिसेस 55 जैसी फिल्में शामिल हैं।
जॉनी वॉकर पहले ही ऐसे कॉमेडियन रहे होंगे जिसपर गाने फिल्माए जाते थे। महान गायक मोहम्मद रफी ने सबसे ज्यादा गाने जॉनी वॉकर के लिए ही गाए थे। फिल्मों के डिस्ट्रीब्यूटर्स फिल्म में जॉनी के गाने रखने की विशेष मांग रखते थे। इसके लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स ज्यादा पैसे देने के लिए भी तैयार रहते थे।
फिल्म इंडस्ट्री में छुट्टी का कोई दिन नहीं होता। ऐसे में जॉनी वॉकर फिल्म इंडस्ट्री के ऐसे पहले सपोर्टिंग एक्टर थे जिन्होंने संडे की छुट्टी लेना शुरू किया था। उस समय जॉनी के पास काम की कमी नहीं हुआ करती थी उन्हें हर दिन फिल्म के लिए शूटिंग करनी होती थी। इस बीच उन्होंने संडे परिवार के साथ बिताने का फैसला किया और संडे की छुट्टी लेना शुरू कर दिया। साथ ही जॉनी ऐसे पहले एक्टर रहे हैं जिन्होंने टैक्सी ड्राइवर्स की लैंग्वेज को फिल्मों में यूज करना शुरू किया था।
जॉनी इंडस्ट्री के ऐसे पहले एक्टर रहे हैं जिनके नाम पर कोई फिल्म बनी हो। ये फिल्म 1957 में रिलीज हुई थी। उन्होंने 1957 में आई फिल्म “पहुंचे हुए लोग” को प्रोड्यूस और डायरेक्ट भी किया था।
जॉनी वॉकर ने एक्ट्रेस शकीला की बहन नूरजहां से शादी की थी। उनकी फैमिली इस शादी के खिलाफ थी पर नूरजहां से उन्हें प्यार था इसलिए वो अपनी फैमिली के भी खिलाफ हो गए। इस कपल के 3 बच्चे हुए। जॉनी हमेशा अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी नहीं होने से दुखी रहे इसलिए बाद में उन्होंने अपने बेटे को पढ़ने के लिए यूएस भेजा
एक समय ऐसा भी आया जब वो इस तरह के रोल्स से थक चुके थे। साल 1983 के बाद जॉनी ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया। उन्हें लगता था उनकी कॉमेडी का स्तर गिरता जा रहा है और लोग उनसे अश्लील किरदार करवाना चाहते हैं। उन्हें ये सब पसंद नहीं था तो उन्होंने बॉलीवुड छोड़ने का फैसला कर लिया। 14 साल तक फिल्मों से दूरी बनाकर रखने के बाद उन्होंने साल 1997 में आई कमल हासन की फिल्म “चाची 420” से कमबैक किया। इस फिल्म में भी जॉनी ने अपनी छाप छोड़ दी। ये उनकी जिंदगी की आखिरी फिल्म थी।