नई उत्पाद नीति के तहत जिले में संचालित सभी बीयर बार और क्लब में कोटा सिस्टम लागू किया गया है। पहले यह व्यवस्था शराब दुकानों में ही थी। कोरोना काल के बाद दुकानों को राहत देने के लिए कोटा सिस्टम में पहले रियायत दी गई, बाद में उसे हटा लिया गया। अब नई नीति के तहत शराब दुकानों में तो नहीं लेकिन बार और क्लब में यह व्यवस्था लगाई गई है।
कोटा सिस्टम के तहत उत्पाद विभाग द्वारा लक्ष्य निर्धारित कर बार और क्लब को दिया जाता है। उसी लक्ष्य के अनुसार गोदाम से शराब का उठाव करना होता है। यह निर्धारण बार और क्लब के स्थल, उसकी रोजाना बिक्री का औसत निकाल कर निर्धारित किया जाता है।
उत्पाद विभाग के आकंड़ो के अनुसार जैसे ही कोटा लागू हुआ, अचानक से बिक्री की दर बढ़ गई। पहले ही महीने में 60 लाख रुपए की शराब का उठाव किया गया। जबकि इससे पहले एक माह में महज छह लाख का उठाव जिलेभर के बार से हो रहा था। कोटा लगते ही बिक्री में दस गुणा का इजाफा हुआ।
दुकानों से अलग अब बार और क्लब को भी एमआरपी पर ही शराब मिल रही है। उत्पाद विभाग के अधिकारी बताते हैं कि बार में भी लोगों को गुणतापूर्ण शराब मिले और विभाग को राजस्व भी मिले, इसके लिए यह नीति लागू की गई है। कोटा सिस्टम में अगर शराब बार में डंप होती है तो अगले वित्तीय वर्ष में लाइसेंस रिन्युअल के समय पेनाल्टी के साथ एडजस्ट करने का प्रावधान है।
सहायक उत्पाद आयुक्त उमाशंकर सिंह ने कहा, ‘जब से कोटा सिस्टम लागू हुआ है, तब से राजस्व में दस गुणा की बढ़ोतरी हुई है। इस व्यवस्था से बार में भी पारदर्शिता और सौ प्रतिशत क्वालिटी मेंटेन हो रही है। अभी तक बार और क्लब में शराब डंप होने की सूचना नहीं मिली है। जितना उठाव हो रहा है, उतनी शराब की बिक्री हो जा रही है। वास्तविकता तो यह है कि आपूर्ति और बढ़ाने की जरूरत है।’