(सौरभ यादव) तिल्दा नेवरा:- राज्य वित्त आयोग छत्तीसगढ़ का रायपुर संभाग के पंचायतराज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद का कार्यक्रम रखा गया जिसने पंचायती राज व्यवस्था के कार्यप्रणाली एवं बजट के संबंध में सुझाव मांगा गया। बैठक में टंक राम वर्मा उपाध्यक्ष जिला पंचायत रायपुर ने अपने सुझाव प्रस्तुत करते हुए कहा कि पंचायती राज व्यवस्था को सृदृढ़ बनाने हेतु उन्हें आवश्यक अधिकार दिया जाए। अधिकार के बिना पंचायतीराज व्यवस्था पंगु बना हुआ है। समस्त प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकार अधिकारियों के पास है। जनप्रतिनिधियों को ग्रामीण समस्याओं के निराकरण एवं ग्रामीणों के मांग के अनुरूप कार्य कराने हेतु 15वे वित्त एवं विकास निधि पर्याप्त मात्रा में प्रदान किया जावे।स्थानीय स्तर पर छोटी छोटी बहुत समस्याएँ है जिनका त्वरित निराकरण आवश्यक है लेकिन अफ़सरशाही के कारण कोई कार्य नहीं हो पाता l शासन द्वारा जनप्रतिनिधियों को दिए जाने वाले मानदेय राशि को समाप्त किया जाए। जनप्रतिनिधि जनता की सेवा करने के लिए राजनीति में आते है l राजनीति समाज सेवा का माध्यम है। जब समाज सेवा के लिए निर्वाचित होते हैं तो उन्हें मानदेय नहीं मिलना चाहिए। उन्हें क्षेत्र के विकास के लिए पर्याप्त राशि देना चाहिए l 15 वे वित्त में स्वच्छता एवं पेयजल की अनिवार्यता को समाप्त किया जाय क्योंकि शासन के द्वारा पेयजल एवं स्वच्छता के लिए अलग से राशि जारी किया जाता है l 15वे वित्त के राशि से पेयजल एवं स्वच्छता की आवश्यकता नहीं है l उद्योगों से मिलने वाले सी.एस.आर की राशि जिला पंचायत को मिलना चाहिए ताकि प्रभावित ग्रामों के समान रूप से विकास कार्य में खर्च किया जा सके 2011 की सर्वे सूची में आवास हेतु ज़रूरतमंद व्यक्ति का नाम छूट गया है उनके रहने के लिए घर नहीं है ऐसे व्यक्ति का नाम ग्राम पंचायत के प्रस्तावनुसार जनपद एवं जिला पंचायत के अनुमोदन से जोड़ा जाए ताकि जरूरतमंद व्यक्ति को आवास मिल सके। इस बैठक मे रायपुर संभाग के अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि शामिल थे।