भारतीय सिनेमा जगत में ऐसी बहुत सी अभिनेत्रियां हुई हैं जिन्होंने अपनी अदाकारी और खूबसूरती से लोगों को दीवाना बनाया है। चालीस के दशक में भी ऐसी ही एक अदाकार नसीम बानू थी, जिन्हें ब्यूटी क्वीन और पहली फीमेल सुपरस्टार कहा जाता था। आज के सिने प्रेमी शायद ही उन्हें जानते होंगे। 1930 के दशक से करियर की शुरुआत करते हुए उन्होंने 1950 दशक तक अपनी एक्टिंग को जारी रखा था। आज उन्हीं नसीम बानू की बर्थ एनिवर्सरी है।
नसीम बानू का असली नाम रोशा आरम बेगम था। उनका जन्म 4 जुलाई 1916 को में पुरानी दिल्ली में हुआ था। नसीम की मां, शमशाद बेगम अपने समय की एक प्रसिद्ध गायिका थी। नसीम बानू की परवरिश शाही ढंग से हुई थी और वह स्कूल पढ़ने के लिए भी पालकी से जाती थीं। नसीम की सुंदरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें किसी की नजर ना लगे इसलिए वह हमेशा पर्दे में रहती थीं।
स्कूल की छुट्टियों के दिनों में एक बार नसीम अपनी मां के साथ फिल्म सिल्वर किंग की शूटिंग देखने गईं थी। शूटिंग देखकर उन्होंने फैसला किया कि उन्हें भी एक्ट्रेस बनना है। स्टूडियो में नसीम की सुंदरता देखकर उन्हें फिल्मों में काम करने का ऑफर भी मिल गया था पर उनकी मां ने नसीम को बच्ची कहकर उन प्रस्तावों को मना कर दिया क्योंकि उनकी मां चाहती थी कि नसीम डॉक्टर बने।
इसी दौरान नसीम बानू को फिल्म निर्माता सोहराब मोदी ने फिल्म खून का खून के लिए बतौर लीड फीमेल एक्ट्रेस के लिए ऑफर दिया। इस बार भी नसीम की मां ने इंकार कर दिया था लेकिन अबकी बार मां के मना करने के बाद नसीम जिद पर अड़ गई कि उन्हें एक्ट्रेस बनना है। इतना ही नहीं अपनी मां को मनाने के लिए वो भूख हड़ताल पर भी चली गई थी। आखिरकार उनकी मां को रजामंदी देनी पड़ी जिसके बाद उन्होंने फिल्म खून का खून में काम करना शुरू कर दिया।
इस फिल्म की कामयाबी के बाद नसीम की पूरे देश में पहचान बन गई। इसके बाद नसीम सभी फिल्ममेकर की पहली पसंद भी बन गईं थी। जब फिल्मों के ज्यादा ऑफर आने लगे तो उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी और फिल्म इंडस्ट्री में पूरे मन से काम करने लगीं।
उन्होंने मिनर्वा मूवीटोन बैनर के तहत मोदी के साथ कई फिल्में बनाई जिनमें तलाक, मीठा जहर, बसंती जैसी फिल्में शामिल थीं लेकिन फिल्म पुकार में नसीम ‘नूर जहां’ का किरदार निभाकर मशहूर हो गईं। इसके बाद नसीम को अन्य फिल्मों के लिए ऑफर आए पर सोहराब मोदी के साथ हुए कॉन्ट्रैक्ट के कारण वो उन ऑफर को अपना ना सकीं। इस बात पर नसीम और सोहराब के बीच कुछ अनबन भी हुई थी।
नसीम बानू ने अपने बचपन के दोस्त मियां अहसान-उल हक से शादी की थी, जिन्होंने ताज महल पिक्चर्स बैनर की शुरुआत की थी। इस बैनर तले नसीम और उनके पति ने कई फिल्मों का निर्माण किया गया था। 1947 के बंटवारे के बाद दोनों पाकिस्तान चले गए लेकिन नसीम अपने दो बच्चों को लेकर वहां से भारत वापस चली आईं।
फिल्म ‘अजीब लडक़ी’ बतौर एक्ट्रेस नसीम बानू के सिने करियर की अंतिम फिल्म थी। इस फिल्म के बाद नसीम ने अपने एक्टिंग करियर को अलविदा कह दिया था। ये वहीं दौर था जब उनकी बेटी सायरा बानो फिल्मी परदे पर दस्तक देने वाली थी। ऐसा भी कहा जाता है कि नसीम नहीं चाहती थी कि बेटी से उनकी तुलना हो इसलिए उन्होंने फिल्मों से सन्यास ले लिया।
उसके बाद नसीम ने बतौर फैशन डिजाइनर काम शुरू किया और अपनी बेटी की कई फिल्मों के लिए उन्होंने ड्रैसेज भी डिजाइन की। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये भी कहा जाता है कि सायरा बानो और दिलीप कुमार की शादी में नसीम की बड़ी भूमिका थी। आखिरकार 18 जून 2002 को 85 साल की उम्र में नसीम ने अंतिम सांस ली।