महाराष्ट्र में शिवसेना विधायकों की बगावत को लेकर भाजपा बेहद सतर्कता बरत रही है। पार्टी सीधे तौर पर अभी तक सामने नहीं आई है। हालांकि, उसने राज्य में अपनी सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी नेता शिवसेना के साथ उसके दोनों सहयोगी दलों कांग्रेस और एनसीपी के रुख पर भी नजर रखे हुए हैं। खासकर शरद पवार पर, उनकी अगली रणनीति क्या रहती है?
जल्दी ही राज्य में भाजपा की सरकार फिर से बनेगी। हालांकि, भाजपा पहले शिवसेना की टूट को पूरी तरह हो जाने देना चाहती है। भाजपा नेताओं का मानना है कि यह बगावत शिवसेना का अंदरूनी संकट है और इससे साबित हुआ है कि उद्धव ठाकरे पार्टी और सरकार दोनों मोर्चों पर सफल नहीं रहे हैं।
शिवसेना का बागी गुट पहले अपने के साथ दो तिहाई का आंकड़ा पूरा कर लेना चाहता है, ताकि तकनीकी दिक्कतें न आएं। बागी गुट लगभग 45 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है, लेकिन अभी तक लगभग 34 विधायक ही खुलकर सामने आ पाए हैं। सूत्रों के अनुसार, 40 विधायकों का आंकड़ा पार होने के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष और राज्यपाल के सामने असली शिवसेना होने का दावा कर विभाजन की औपचारिकता भी पूरी कर लेगा। इसके अलावा भाजपा के साथ सरकार बनाने का रास्ता भी खुल जाएगा।उनका कहना है कि ऐसा होने तक भाजपा खुलकर सामने नहीं आएगी। हालांकि, गुजरात से लेकर असम तक उसके नेता शिवसेना के बागी गुट को पूरी मदद कर रहे हैं।
इस बीच भाजपा, शिवसेना के दोनों सहयोगी दलों कांग्रेस और एनसीपी पर भी नजर रखे हुए हैं। कांग्रेस के कुछ विधायक भी भाजपा के संपर्क में बताए जा रहे हैं। भाजपा को चिंता एनसीपी नेता शरद पवार को लेकर है जिनकी रणनीति काफी गहरी होती है और पिछले मौके पर भाजपा उसमें मात भी खा चुकी है। ऐसे में खुलकर सामने आने से पहले पवार की ताकत को पूरी तरह जांच लेना चाहती है कि कहीं कोई गड़बड़ी न रह जाए।
दरअसल, उद्धव ठाकरे भी पवार की सलाह पर ही सरकार बचाने के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे में पवार की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि अगले एक-दो दिन में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी, लेकिन तब तक सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है। शिवसेना के बागियों को संभालने के साथ भाजपा अपने विधायकों और अपने समर्थक निर्दलीय विधायकों पर भी नजर रखे हुए हैं यह कहीं उसमें सेंध न लग जाए।