साहित्य और रचना में यात्रा की भुमिका एतिहासिक काल से महत्वपूर्ण रही है। समय-समय पर यात्रा के लेख एवं कला ने विश्व प्रसिद्ध साहित्यकारों को पहचान और मुकाम हासिल कराया है। ऐसे ही भारत के सबसे युवा यात्रा वृत्तांत लेखक हैं “अंकित मौर्य “ मूल प्रतापगढ़ सिटी (उत्तर प्रदेश) के निवासी अंकित मौर्य फिलहाल अहमदाबाद में रह रहे हैं एवं प्रतियोगि युवाओं और सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हैं। लेखक और इंजीनियर अंकित मौर्य का यात्रा एवं यायावरी के क्षेत्र में भारी रुझान होने के चलते ,उन्होने समय – समय पर भारत के विविध क्षेत्रों की अकेले यात्रा की एवं अपनी यात्रा के अनुभवों को कागज पर बखुबी उतारा। एक मध्यमवर्गीय परीवार के लड़के का यात्रा करके अपने अनुभवों को लिखना और फिर उसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित करना काफी संघर्षपूर्ण एवं अपने आप में बडी बात है । संघर्षो का सामना करके अंकित ने अपनी पहली किताब ” भटका मुसाफिर ” लिखी और लोगों के बीच प्रस्तुत की।
अकेली यात्रा ( solo traveling) पश्चिम के देशों में काफी प्रख्यात है। हालांकि भारत में भी प्रख्यात है और भारत के इतिहास में कई अकेले यात्रा करने वाले लोग रह चुके हैं। जिनमें सबसे पहला नाम राहुल सांकृत्यायन का आता है।
अंकित ने अपनी अकेली यात्रा के अनुभवों को कागज पर उतारना कुछ इस तरह शुरू किया। वो जिस भी जगह जाते वहां की बोली- भाषा, लहजा , संस्कृति , प्रथा, मान्यता सभी के बारे में जानते और वहां के लोकल लोगों से उसके बारे में पूंछते और उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं एवं कहानियों को जानते और इसी तरह वह अपने अनुभव को जोड़ कर उसका सम्पूर्ण समन्वय लिखते गये जिसका नाम रखा “ भटका मुसाफिर – The journey which is infinity “.
भटका मुसाफिर किताब लिखने के बाद अंकित ने अपनी कहानी कई पब्लिशर को बतायी, मगर किसी ने कहानी में रुची नहीं दिखायी। एक ओर जहां देश में लव स्टोरी , क्राइम रिपोर्ट और अन्य बेफिजूल की चीजों में व्यस्त हैं उन्हें जीवन की सच्चाई प्रस्तुत करती किताब कहां पसंद आयेगी। मगर अंकित ने हार नहीं मानी और अंततः अपनी पहली किताब , यात्रा वृत्तांत के अनुभव को लोगों के बीच प्रस्तुत किया।
किताब आने के कुछ समय बाद ही दिल्ली, कोटा, लखनऊ, प्रयागराज जहां पर अधिकतर छात्र सिविल सर्विसेज की तैयारी करते हैं और अपने घर से दूर रहकर काम या पढ़ाई करते हैं, उन्हें ये किताब बहुत पसंद आयी और देखते ही देखते वहां के युवा वर्ग, सोशल मीडिया, लोकल न्युज पेपर में अंकित की किताब छा गयी। किताब को पसंद करने की एक वजह यह है की अंकित ने छोटी सी उम्र में एक बड़े अनुभव को अंजाम दिया है और दूसरी वजह ये किताब घर बैठे आपको एक अनंत यात्रा पर ले जाती है। अंकित के लिखने का लहजा नवीनतम है और पढ़ते वक्त कुछ ऐसा लगता है की मैं एक अनंत यात्रा पर हुं और कोई इंसान मुझसे बातें कर रहा है। घर बैठे दुनिया घुमाने की ताकत अंकित की किताब में है। जिस वजह से अंकित काफी लोकप्रिय हो गये । किताब हिन्दी में है और इ-कोमर्स वेबसाइट पर उपलब्ध है। हमें खुशी है की अपनी किताब के माध्यम से सामाजिक शिक्षा, कल्याण के क्षेत्र में जागरूकता लाने का कार्य अंकित ने किया है। वो उसमे सफल हो एवं देश – प्रदेश का नाम रोशन करें।
मैं अंकित मौर्य के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ और एक बार फिर से ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूँ
आदर्श कुमार (सम्पादक दस्तक)
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