केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत तब तक आत्मनिर्भर नहीं बन सकता जब तक कि देश की आर्थिकी में ग्रामीण विकास का योगदान नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि भारत को पांच ट्रिलियन डालर की आर्थिकी बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भी गांवों का विकास जरूरी है। गांवों के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। अगर गांव समृद्ध, आत्मनिर्भर और अच्छी सुविधाओं से सुसज्जित होंगे तो देश समृद्ध होगा। ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद (आइआरएमए) के 41वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि संस्थान शिक्षा और पेशेवर प्रबंधन में नवाचारों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र को मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास का पहलू गांवों को सुविधाजनक बनाना है। इसके लिए गांवों की रिमोट कनेक्टिविटी जरूरी है। गांवों में पहले बिजली नहीं थी, हमने गांवों को बिजली के कनेक्शन दिए। महात्मा गांधी का हवाला देते हुए शाह ने कहा कि गांधी जी का मानना था कि देश की आत्मा गांवों में बसती है। देश तब तक आत्मनिर्भर नहीं बन सकता जब तक कि ग्रामीण विकास को देश की आर्थिकी में योगदानकर्ता नहीं बनाया जाता।उन्होंने कहा कि केंद्र की प्राथमिकता ग्रामीण विकास को गति देना और गांवों में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए समृद्धि लाना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने देश के हर घर में बिजली, साफ पानी और शौचालय उपलब्ध कराने का काम किया है। शाह ने कहा कि जब तक व्यक्ति का विकास नहीं होगा, तब तक गांव का विकास नहीं हो सकता है। इसी तरह जब तक क्षेत्र का विकास नहीं होगा तब तक गांव का विकास नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ क्षेत्र और गांव का विकास करने से ही ग्रामीण विकास का सपना साकार हुआ। यह तब से शुरू हुआ जब 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सत्ता में आए। उन्होंने कहा कि केंद्र ने पिछले आठ वषरें में देश के कोने-कोने में करोड़ों लोगों के बैंक खाते खोले हैं।