राज्यों के संगठन में बदलाव के लिए कांग्रेस ने उदयपुर चिंतन शिविर में की गई घोषणाओं पर अमल की दिशा में आगे बढ़ने की शुरूआत कर दी है। इसके तहत पार्टी ने सभी राज्यों में दो दिनों नव संकल्प कार्यशाला की बुधवार की शुरूआत की। कार्यशाला के जरिए उदयपुर में हुए अहम फैसलों को प्रदेश से लेकर ब्लॉक स्तर तक लागू करने की रूपरेखा तय की जाएगी। कांग्रेस संगठन में सभी स्तरों पर 50 फीसद पद 50 साल तक के अपेक्षाकृत युवा चेहरों को देने के लक्ष्य को चार महीने के तय समय में पूरा करना पार्टी के लिए चुनौती है। इसीलिए एआइसीसी संगठन में बदलाव से जुड़े इस अहम कार्यान्वयन की सीधे अपने स्तर पर मानिटरिंग कर रहा है।
कांग्रेस नेतृत्व ने इसके मद्देनजर ही सभी राज्यों के प्रभारियों को अगले 100 दिनों के भीतर ब्लॉक से लेकर प्रदेश स्तर तक के संगठनात्मक ढांचे में उदयपुर के नव संकल्पों को मूर्त रुप देने का जिम्मा सौंपा है। इस मसले पर पार्टी की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उत्तरप्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी लखनऊ जाकर प्रदेश स्तर की दो दिवसीय कार्यशाला में शामिल हो रही हैं।
चिंतन शिविर में कांग्रेस के कमजोर सांगठनिक ढांचे की चुनौती को देखते हुए बूथ स्तर तक पार्टी का जुझारू तंत्र खड़ा करने की घोषणा की गई। इसके तहत हर चार-पांच बूथ पर एक मंडल बनाया जाना है और ब्लॉक अध्यक्ष के संवाद का तार सीधे एआइसीसी से जोड़ा जाना है। ब्लॉक और जिला स्तर पर ढांचा मजबूत करके ही राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के दायरे को बढ़ाए जाने की अपरिहार्य जरूरत को देखते हुए ही कांग्रेस ने संगठन के 50 फीसद पद 50 साल तक के युवा चेहरों को देने की नीति तय की है और पार्टी की योजन पहले चरण में इसे ब्लॉक-जिला स्तर पर कार्यान्वयन की है।
पार्टी अंदरखाने यह मान रही कि संगठन में इस क्रांतिकारी बदलाव को कांग्रेस कार्यसमिति के शीर्ष स्तर और प्रदेश के शीर्ष स्तर पर लागू करना अभी आसान नहीं और इसमें वक्त लगेगा। लेकिन ब्लॉक और जिला स्तर पर इसकी शुरूआत होने के बाद अगले चरण में शीर्ष स्तर पर इसे लागू करने की राह बन जाएगी। राज्य स्तरीय कार्यशाला के बाद प्रदेश कांग्रेस की ओर से जिला और ब्लाक स्तर पर इस तरह की कार्यशाला की जाएगी और फिर उदयपुर में हुए फैसलों पर कार्यान्वयन की अंतिम रुपरेखा को अमलीजामा पहनाने की शुरूआत होगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 15 मई से अगले 120 दिनों के भीतर चिंतन शिविर के सभी फैसलों को लागू करने की समय सीमा पहले ही तय कर दी है।