जनपद सीतापुर के तहसील मिश्रिख के गांव बरसिंधिया में पांच दिवसीय बुद्ध कथा का आयोजन चल रहा हैं। सीतापुर के कथावाचक संतोष बौद्ध ने कथा के दूसरे दिन भगवान गौतम बुद्ध के जन्म का वर्णन करते हुए कहा कि वैशाख पूर्णिमा का दिन बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए विशेष महत्व रखता हैं।करीब 563 ई. पूर्व में बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु के राजा शुद्धोधन के यहां लुम्बिनी वन में हुआ था। गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। और इनके जन्म पर जब एक तपस्वी ने यह भविष्यवाणी कि यह बालक छोटी आयु में ही संन्यासी हो जाएगा। तो उसके चिंतित पिता शुद्धोधन ने सिद्धार्थ की महल से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी। 16 वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का विवाह राजकुमारी यशोधरा से कर दिया गया। जिनसे इनका एक पुत्र राहुल पैदा हुआ। बचपन से ही सिद्धार्थ गंभीर स्वभाव के होने के कारण अपना अधिकतर समय अकेले में चिंतन करके व्यतीत करते थे। एक दिन जब वह भ्रमण पर निकले तो उन्होंने एक वृद्ध को देखा जिसकी कमर झुकी हुई थी। और वह लगातार खांसता हुआ लाठी के सहारे चला जा रहा था। थोड़ी आगे एक मरीज को कष्ट से कराहते देख उनका मन बेचैन हो उठा। उसके बाद उन्होंने एक मृतक की अर्थी देखी जिसके पीछे उसके परिजन विलाप करते जा रहे थे। उन्होंने एक संन्यासी को देखा जो संसार के सभी बंधनों से मुक्त भ्रमण कर रहा था। इन सभी दृश्यों ने सिद्धार्थ को झकझोर कर रख दिया और उन्होंने संन्यासी बनने का निश्चय कर लिया। तब 29 वर्ष की आयु में एक रात सिद्धार्थ गृह त्याग कर इस क्षणिक संसार से विदा लेकर सत्य की खोज में निकल पड़े। इस मौके पर वी.पी.हंस ने सभा को संबोधित करते हुए लोगों से नशा से दूर रहने की बात किया व बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया,इस मौके पर कमलेश भारती,श्यामा कुमार मौर्य कार्यक्रम आयोजक राम कुमार, जयपाल प्रसाद,देवकी नंदन, विपिन जाटव,आदि लोग मौजूद रहे।