जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ रूस की गैस का सबसे बड़ा खरीददार भी है। जर्मनी के बाद दूसरा सबसे बड़ा खरीददार फ्रांस है। हालांकि ये भी एक सच्चाई है कि समूचा यूरोप ही अपनी जरूरत की गैस का अधिकतर हिस्सा रूस से लेता है। ये गैस यूक्रेन संकट के दौर में भी एक अहम भूमिका निभा रही है। रूस की गैस के बगैर यूरोप की आर्थिक पहिया पूरी तरह से रुक जाएगा। इसका कोई विकल्प भी यूरोप के पास नहीं है। हालांकि जर्मनी के चांसलर का कहना है कि वो रूस से अपनी गैस की निर्भरता कम करना चाहते हैं।
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शाल्त्स ने एक इंटरव्यू के दौरान ये बात कही है। उन्होंने इस दौरान कहा कि जर्मनी न सिर्फ गैस के लिए बल्कि तेल ओर कोयले के लिए भी रूस पर निर्भर है। लेकिन, इसके बावजूद जर्मनी रूस से अपनी निर्भरता को कम करने पर विचार कर रहा है। उन्होंने माना कि ये सब कुछ एक दम नहीं किया जा सकता है। ऐसा करने से नुकसान उठाना पड़ सकता है।
शाल्त्स ने कहा कि अचानक गैस बंद करने से देश के अस्पताल, केयर होम, स्कूलों को गर्म रखने में दिक्कत आएगी। उद्योग भी ठप हो जाएंगे और नौकरियों पर भी संकट उत्पन्न हो जाएगा। शाल्त्स ने साफतौर पर कहा कि उनका इरादा रूस से गैस, तेल और कोयले का आयात बंद करना नहीं, बल्कि इसके नए विकल्प खोजना है। उन्होंने ये भी कहा कि रूस पर लगाए गए प्रतिबंध यूक्रेन युद्ध के चलते उसको नुकसान पहुंचाने के लिए हैं।
गौरतलब है कि जर्मनी को अपनी जरूरत के मुताबिक- गैस, कोयला और तेल का करीब 60 फीसद आयात करना पड़ता है। जर्मनी के वित्तमंत्री राबर्ट हाबेक का कहना है कि उन्होने रूस से आयात घटाना शुरू कर दिया गया है। उनके मुताबिक कुछ दिनों के बाद जर्मनी की रूस से आने वाले तेल और रूस पर निर्भरता को करीब 25 फीसद तक कम कर लिया जाएगा
जर्मनी की योजना के मुताबिक, आने वाली सर्दी तक रूस के कोयले और तेल से मुक्त होने की है। जहां तक गैस खरीद की बात है तो वो इससे कम से कम आने वाले दो वर्षों में भी मुक्त नहीं हो सकेगा। जर्मनी में रूस से आने वाली करीब 36 फीसद गैस उद्योगों में इस्तेमाल की जाती है। इसके अलावा 31 फीसद घरों में और 13 फीसद अन्य जगहों पर काम आती है।