केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर जमकर हमला बोला। एनपीए हो गए ऋणों की भरपाई नहीं हो पाने का दोष मढ़ते हुए कहा कि बैंकों को पहली बार मोदी सरकार में डिफाल्टरों से पैसा वापस मिला है। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न धोखाधड़ी वाली योजनाओं से छोटे निवेशकों को ठगने वाले लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने समेत कई कार्रवाई की गई हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक भी एप आधारित वित्तीय कंपनियों पर निगरानी रख रहा है।
डिफाल्टर और एनपीए के खिलाफ सरकार की कार्रवाई पर द्रमुक के टीआर बालू के सवालों का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि कर्ज को बट्टे खाते में डालने का मतलब उन्हें माफ करना नहीं है। बैंक हर ऋण की भरपाई के लिए काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के डिफाल्टरों की संपत्तियां जब्त करने के साथ उनसे 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि वसूली गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि देश में पहली बार मोदी सरकार में बैंकों को एनपीए हो चुके ऋणों से पैसा वापस मिला है। जबकि संप्रग सरकार में एनपीए से कोई भरपाई नहीं हो सकी।
वित्त मंत्री के इस बयान पर सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आपत्ति जताई। इस पर सीतारमण ने कहा कि विपक्षी पार्टी को कड़वा सच सुनना चाहिए। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के समय राजनीतिक हितों के चलते कर्ज दिए गए थे। इससे पहले वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय समाधान और जमा बीमा विधेयक, 2017 (एफआरडीआइ विधेयक) अगस्त, 2017 में लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद इसे संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था। एफआरडीआइ बिल का मुख्य उद्देश्य चुनिंदा वित्तीय क्षेत्र की संस्थाओं के लिए विशेष समाधान तंत्र बनाना था।
सरकार ने अगस्त, 2018 में पुनर्विचार के लिए इस बिल को वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने वित्तीय संस्थानों के समाधान के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करने के लिए एक नया कानून लाने का फैसला फिलहाल नहीं किया है।