इमरान खान सरकार अविश्वास प्रस्ताव के पहले ही मुश्किलों में फंसती नजर आ रही है। इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के दो दर्जन असंतुष्ट सांसद इमरान सरकार के खिलाफ मतदान कर सकते हैं। असंतुष्ट सांसदों को सरकार की धमकी के बाद कई सांसद प्रस्ताव पर मतदान से पहले इस्लामाबाद के सिंध हाउस में डेरा डाले हुए हैं। असंतुष्ट सांसदों को डर है कि विपक्ष के साथ जाने के कारण सरकारी तंत्र उन्हें निशाना बना सकता है। सिंध हाउस इस्लामाबाद में सिंध सूबे की सरकार का आधिकारिक भवन है। सिंध प्रांत में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार है। ऐसे में सत्तापक्ष के बागी सांसद सिंध हाउस को सुरक्षित जगह मान रहे हैं। क्या सच में इमरान सरकार गिर सकती है। क्या संसद में इमरान के पास बहुमत नहीं है। क्या विपक्ष के पास इतने सांसदों की संख्या है कि वह अपने अविश्वास प्रस्ताव पास करा लेंगे।
इमरान सरकार को हटाने के लिए 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में विपक्ष को 272 वोटों की दरकार होगी। सदन में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के 155 सदस्य हैं। इमरान खान की सरकार को बने रहने के लिए कम से कम 172 सांसदों की जरूरत है। इमरान को कम से कम छह राजनीतिक दलों के 23 सदस्यों का समर्थन हासिल है। पीटीआइ की अगुआई वाले सत्ताधारी गठबंधन में भी दरार पैदा हो गई है। ऐसे में इमरान सरकार को बहुमत का आंकड़ा हासिल करने में मुश्किलें आ सकती हैं। हालांकि, पूरे घटनाक्रम पर सेना पूरी तरह से मौन है। पाकिस्तान में विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली का सत्र 21 मार्च को बुलाया जा सकता है। बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव पर 28 मार्च को मतदान कराए जाने की संभावना है
1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि पाकिस्तान में भारत की तरह दलबदल कानून का प्रावधान है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि असंतुष्ट सांसदों से इमरान सरकार कैसे निपटेगी। इन दिनों सरकार के समक्ष सबसे बड़ा सवाल यही है। उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है कि इमरान अपनी सरकार को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते है। सरकार सुप्रीम कोर्ट से व्याख्या मांग सकती है। सुप्रीम कोर्ट व्याख्या की मांग करेंगे कि पार्टी के सदस्य के वोट की स्थिति क्या होगी जो संगठन की नीति की अवहेलना करता है और कथित खरीद-फरोख्त में शामिल है। पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 63 (ए) के अनुसार किसी सांसद को दलबदल के आधार पर अयोग्य घोषित किया जा सकता है यदि वह संसदीय दल की ओर से जारी किसी निर्देश का उल्लंघन करते हुए सदन में मतदान करने से परहेज करता है।
2- प्रो वी पंत ने कहा कि पाकिस्तान में अगर इमरान सरकार के सहयोगी दल सरकार से अलग होते हैं तो देश में आम चुनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पाकिस्तान के लिए यह भी ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के ताजा आर्थिक हालात के मद्देनजर पाकिस्तान में आम चुनाव कतई ठीक नहीं है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इमरान सरकार के सहयोगी दल क्या रुख अपनाते हैं। दूसरे, राजनीतिक अस्थिरता का फायदा सेना भी उठाती है। उनका कहना है कि यह अस्थिरता अगर लंबे समय तक चली तो सेना का दखल बढ़ेगा। अगर यह गतिरोध लंबा चला तो यह भी संभव है कि सत्ता पर सेना का कब्जा हो जाए। हालांकि, सेना अभी मौन है। राजनीतिक गतिविधियों पर सेना की पैनी नजर है
पीटीआई के के कुछ सदस्यों ने इमरान खान के पक्ष में आवाज बुलंद करते हुए शुक्रवार को इस्लामाबाद में सिंध हाउस पर धावा बोल दिया। पीटीआई के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने सिंध हाउस में घुसते हुए हुए असंतुष्ट सांसदों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।