कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से गुलाम नबी आजाद ने की मुलाकात, किन मद्दों पर हुई बात,

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने शुक्रवार को पार्टी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस बहुप्रतीक्षित मुलाकात पर सबकी नजरें थीं। हालांकि गुलाम नबी आजाद ने अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के साथ अच्छी बैठक हुई। इस बैठक में आने वाले चुनावों में कैसी तैयारी की जाए और उसमें हम अपने पार्टी को किस तरह मजबूत करें और विरोधी पार्टियों से कैसे लड़ा जाए उन तमाम मसलों पर चर्चा हुई।
कांग्रेस नेता आजाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि सोनिया गांधी को अध्यक्ष के रूप में बने रहना चाहिए। कांग्रेस कार्यसमिति की ओर से पांच राज्यों में हार के कारणों पर सुझाव मांगे गए थे। हमारे पास कुछ सुझाव थे जो हमने पार्टी अध्‍यक्ष से साझा किए हैं। सोनिया गांधी के साथ बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों के मसले पर बातचीत हुई।
गौरतलब है कि हाल ही में कपिल सिब्बल ने कहा था कि गांधी परिवार को नेतृत्व छोड़कर किसी दूसरे नेता को मौका देना चाहिए। सिब्‍बल के इस बयान के सिलस‍िले में पूछे जाने पर आजाद ने कहा कि अभी नेतृत्व को लेकर कोई सवाल नहीं आया है। सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं। मौजूदा वक्‍त में पार्टी का अध्‍यक्ष पर कोई मुद्दा नहीं है। कुछ महीनों में चुनाव होगे जिसमें पार्टी कार्यकर्ता फैसला करेंगे कि पार्टी का अध्यक्ष कौन बनेगा।

आजाद के इस बयान को बेहद महत्‍वपूर्ण माना जा रहा है। आजाद के इस बयान से संकेत साफ है कि जी-23 के नेताओं ने पार्टी नेतृत्‍व पर अपना रुख नरम किया है। आजाद ने कहा कि संगठन को किस तरह से मजबूत किया जाए सोनिया गांधी से इसी मसले पर चर्चा हुई। मैंने संगठन को मजबूत करने के लिए अपने सुझाव दिए हैं।

मालूम हो कि गुलाम नबी आजाद के आवास पर बुधवार को जी-23 समूह के नेताओं की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों पर चर्चा हुई थी। इस बैठक में गुलाम नबी आजाद के अलावा आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, शंकर सिंह बाघेला, विवेक तन्खा, अखिलेश प्रसाद सिंह, संदीप दीक्षित, पृथ्वीराज चव्हाण, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पीजे कुरियन, राज बब्बर, कुलदीप शर्मा, मणिशंकर अय्यर, राजेंद्र कौर भट्टल, एमए खान और परनीत कौर शामिल हुए थे।
जी-23 समूह के नेताओं का कहना था कि अगले लोकसभा चुनाव के लिए एक भरोसेमंद विकल्प पेश करने के लिए समान विचारधारा के दलों के साथ बातचीत शुरू की जानी चाहिए। बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने चुनाव के नतीजों पर मंथन किया। सभी का मानना है कि भाजपा का विरोध करने के लिए कांग्रेस पार्टी को मजबूत किया जाना जरूरी है। गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस के भीतर बदलाव की मांग कर रहे इस समूह पर गांधी परिवार के करीबी नेताओं की ओर से भी हमले तेज कर दिए गए हैं।