कैसे टोपी और गमछे से साधे पीएम मोदी एक तीर से दो निशाने

पीएम नरेन्‍द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ठीक पांच साल बाद ठेठ बनारसी रंग में नजर आए। उनके गले में जहां बनारस का गमछा नजर आया तो वहीं सर्दी में पहनी जाने वाली खादी की गर्म सदरी के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस सरीखी भगवा रंग की टोपी पहन कर अनोखे लिबास में नजर आए। पीएम नरेन्‍द्र मोदी बनारसी गमछा, बनारसी टोपी और खादी की सदरी से इस रोड शो में वोकल फार लोकल और बनारसीपने का संदेश भी दिया। वैसे भी पीएम नरेन्‍द्र मोदी अक्‍सर ही बनारस आकर लोकल को ग्‍लोबल बनाने का संदेश देते रहते हैं।
पीएम बनारस पहुंचे तो किसी ने बनारसी गमछा उनको थमा दिया। बनारसी मिजाज में रंगे पीएम उसे सहर्ष स्वीकार कर अपने गले और कंधे पर उसे डालकर जनता के समक्ष हाथ जोड़कर खड़े हो गए। उनकी यह अदा देख बनारस की जनता मुदित सी नजर आई।
वहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की नीली-हरी सरीखी टोपी को भगवा रंग में पहन कर पीएम ने वाराणसी में मौजूद पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी को भी खास संदेश देते नजर आए। सुभाष टोपी के साथ जहां उन्‍होंने बनारस के बंगाली मतदाताओं को आकर्षित किया वहीं दूसरी ओर भगवा रंग से भाजपा का प्रचार भी करते नजर आए। वहीं इस सुभाष टोपी के जरिए पीएम ने काशी के बंगीय समाज का ध्‍यान भी अपनी ओर खींचा। इस लिहाज से पीएम का ड्रेस सेंस पूरी तरह राजनैतिक संदेश देता नजर आया।
बनारसी गमछा ठेठ बनारसीपने की निशानी मानी जाती है। पीएम नरेन्‍द्र मोदी अक्‍सर बनारस आने पर गले में बनारसी गमछा डाल लेते हैं। इसके पूर्व भी पीएम बनारसी गमछे की तारीफ कर चुके हैं कि इससे मास्‍क भी बनाया जा सकता है और पसीना होने पर उसे सुखाया भी जा सकता है। इसके साथ ही धूप में सिर पर डालने से लेकर शरीर को पोछने में भी काम आता है। बनारसी रंग ढंग में ढल चुके पीएम नरेन्‍द्र मोदी अकसर बनारस आते हैं तो वह बनारसी रंग ढंंग में ढलने का प्रयास भी खूब करते नजर आते हैं। वहीं खादी की सदरी पहनकर पीएम ने वोकल फार लोकल का संदेश देते हुए रैली में पूरी तरह से बनारसी रंग को घोल दिया।