रीवा के प्रज्ज्वल तिवारी यूक्रेन में टेरनोपिल यूनिवर्सिटी से MBBS कर रहे हैं। उनका दूसरा साल है। युद्ध के चलते जैसे-तैसे कजाकिस्तान के रास्ते वो गुरुवार सुबह दिल्ली पहुंचे। भारत के बजाय यूक्रेन में पढ़ाई करने की वजह बताते हुए प्रज्ज्वल कहते हैं कि मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों में प्राइवेट कॉलेज में MBBS की फीस करीब 1 करोड़ रुपए है। यूक्रेन की टेरनोपिल यूनिवर्सिटी में 20 लाख रुपए फीस है, यानी यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई भारत से 80% सस्ती है।
वे बताते हैं कि मध्यप्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ 2118 सीटें हैं। ऐसे में स्टूडेंट के पास प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेने का ही विकल्प बचता है, जहां फीस सरकारी कॉलेज से कई गुना ज्यादा है। ऐसे में स्टूडेंट विदेश में पढ़ाई करने का फैसला करते हैं।
इंदौर की ‘परम एजुकेशन’ संस्था मध्यप्रदेश के स्टूडेंट्स को विदेशों में एडमिशन में सहयोग करती है। इस संस्था के संचालक आशीष धाकड़ बताते हैं कि प्रदेश से हर साल करीब 600 से 700 स्टूडेंट रूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, फिलिपींस और किर्गिस्तान सहित 12 देशों में MBBS करने के लिए जाते हैं।
विदेश से मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों को भारत में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन देना होता है। इसे पास करने के बाद ही भारत में डॉक्टरी करने का लाइसेंस मिलता है और प्रैक्टिस की जा सकती है। 300 नंबर की इस परीक्षा को पास करने के लिए 150 नंबर लाने पड़ते हैं।
केंद्र सरकार ने अगले साल यानी 2023 से देश में डिग्री हासिल करने वाले डॉक्टर के लिए भी इस एग्जाम को क्लीयर करना अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में चाहे विदेशी डिग्री हो या फिर देश के कॉलेज की डिग्री, दोनों में कोई फर्क नहीं रह गया है। केंद्र के इस नियम के कारण भी स्टूडेंट्स अब विदेश में पढ़ाई को और अधिक प्राथमिकता देंगे। यूक्रेन में तीन तरह की करीब 20 यूनिवर्सिटी हैं। इनमें नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी, नेशनल यूनिवर्सिटी और स्टेट यूनिवर्सिटी शामिल हैं। नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी को यूक्रेन की केंद्र सरकार कंट्रोल करती है। इस यूनिवर्सिटी में सिर्फ मेडिकल कोर्स ही होते हैं।