तीन दशक हुए भारत और इजरायल के कूटनीतिक संबंधों के, बिस्तार से जानिये

भारत-इजरायल इस साल कूटनीतिक संबंधों की 30वीं सालगिरह मना रहे हैं। यह दोस्ती द्विपक्षीय संबंधों की नजर से भले तीन दशक पुरानी हो, लेकिन यहूदी धर्म का भारत से सदियों पुराना नाता है। दोनों देशो के बीच दोस्ती की मजबूत नींव रखने में भारत में रह रहे यहूदी समुदाय की विशेष भूमिका है, जो विभिन्न समय अंतराल पर भारत आए और कोच्चि, मुंबई तथा देश के अन्य भागो में बसकर भारतीयता के रंग में रंग गए। इन लोगों ने भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। वैसे तो भारत ने सितंबर 1950 में इजरायल को एक देश के रूप में मान्यता दे दी थी, किंतु पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने में दोनों देशो को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा। भारत-इजरायल के बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों का आधार रक्षा संबंध हैं।
भारत के लिए इजराइल एक ऐसे मित्र देश के रूप में उभरा है, जिसने हमारी सुरक्षा चुनौतियों का हल ढूंढने में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कारगिल युद्ध में सहयोग तथा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इजरायल की भूमिका अति महत्वपूर्ण रही है। आज रूस के बाद इजरायल, भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा उपकरणों का आपूर्तिकर्ता देश है। भारतीय रक्षा एजेंसियां एक लंबे समय से इजराइल के द्वारा बनाए गए वेपन सिस्टम का उपयोग करती रही हैं। फाल्कन एयरबार्न वार्निग एंड कंट्रोल सिस्टम से लेकर हेरान तक, अर्चेर ड्रोन और हारोप ड्रोंस से लेकर बराक एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम तक और स्पाइडर क्विक रिएक्शन एंटी एयर क्राफ्ट सिस्टम से लेकर पाइथन, डर्बी (हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल) जैसी सुरक्षा प्रणालियों ने भारतीय सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।

वर्तमान में दोनों देशों ने सामरिक साझेदारी को रक्षा के अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी बढ़ाया है। दोनों देश कृषि से लेकर विज्ञान और तकनीकी, इनोवेशन, साइबर सिक्योरिटी, ऊर्जा सहयोग, स्पेस तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार आज लगभग 4.6 अरब अमेरिकी डालर तक पहुंच चुका है। दोनों देश मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत की दिशा में अग्रसर हैं। इजरायल का भारत के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय सौर संधि के साथ जुड़ना इस बात का परिचायक है कि दोनों देश ऊर्जा स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में संबंधों के विकास को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

आज भारतीय साफ्टवेयर कंपनियां इजरायल में अपने बिजनेस का विस्तार कर रही हैं। साथ ही भारत में ऊर्जा, रियल स्टेट और वाटर टेक्नोलाजी के क्षेत्रों में इजराइली कंपनियां निवेश के लिए बढ़-चढ़कर आगे आ रही हैं। अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2021 तक इजरायल का भारत में प्रत्यक्ष निवेश 25.46 करोड़ अमेरिकी डालर रहा है। कृषि के क्षेत्र में अब तक इजरायल भारत में 30 सेंटर आफ एक्सीलेंस फार हार्टिकल्चर खोल चुका है तथा आने वाले समय में इस संख्या में वृद्धि होना तय है। यह ध्यान देने योग्य है कि कोरोना वायरस संकट के मुश्किल से भरे शुरुआती दौर में भी दोनों देशो ने पानी, इनोवेशन तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने के लिए चार समझौतों पर सहमति बनाई। यह दोनों देशो में रिश्तों के विकास करने की प्रतिबद्धता तथा इच्छा को दर्शाता है।

बहरीन व संयुक्त अरब अमीरात के साथ इजरायल के रिश्तों में अब्राहम एग्रीमेंट्स के तहत हुई नई शुरुआत ने भारत व इजराइल के लिए त्रिपक्षीय तथा बहुपक्षीय सहयोग के रास्तों को भी खोला है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की 2021 में इजरायल यात्रा के दौरान इजरायल, अमेरिका, भारत तथा यूएई के बीच पश्चिम एशियाई चतुभरुज की स्थापना बदलते क्षेत्रीय समीकरणों का परिचायक था।