सचिन तेंदुलकर ने कहा त्रिकोणीय सीरीज पर बोर्ड लेता है फैसला, खिलाड़ी कुछ नहीं कर सकते

  • मैं यही कहूंगा कि 1974 में भारत ने अपना पहला वनडे खेला था। अभी करीब 47 वर्ष हुए हैं और हम हमारा 1000 मैच खेलने जा रहे हैं। जैसा कि मैंने कहा कि पुराने और सभी नए लोगों ने जो समर्थन किया है वैसे ही समर्थन की हमें जरूरत है। जब खिलाड़ी मैदान पर जाता है तो सभी प्रशंसक जो आपका समर्थन करते हैं तो इसका अलग प्रभाव पड़ता है, जो काम में आता है। खिलाड़ी भी सोचता कि हम और मेहनत करें और टीम के लिए बेहतर करने के लिए अधिक जान लगाएं। यह चीजें नहीं होती तो शायद हमें यह दिन देखने को नहीं मिलता।
  • 1983 विश्व कप एक बड़ी प्रेरणा थी। मैं क्रिकेट खेलता था लेकिन इससे पहले फुटबाल, टेनिस जैसे खेल भी थे लेकिन जब भारत ने 83 में विश्व कप जीता उस वक्त मेरे दिमाग में खयाल आया कि एक दिन मैं भी ऐसा करना चाहूंगा। जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो मेरा ध्यान और सपना सिर्फ भारत के लिए खेलना था। हालांकि, मैं इस बात पर स्पष्ट नहीं था कि मैं पहले वनडे खेलूं या टेस्ट। लेकिन अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे लगता है कि टेस्ट ही बेहतर है। मुझे पता था कि अगर मैं टेस्ट में बेहतर करूंगा तो मुझे वनडे में अपने आप मौका मिलेगा। ऐसा मानना था कि वनडे में खेलने के लिए मुझे गेंद को तेजी से हिट करना होगा।
    पाकिस्तान में भी टेस्ट सीरीज खेलने के बाद हमें वनडे खेलना था और एक मैच पेशावर में था जो बारिश के कारण रद हो गया था। दोनों टीमों ने एक दोस्ताना मैच खेलने का फैसला किया। यह मैच 20 ओवर का था जो मेरे करियर का पहला गैरआधिकारिक टी-20 मैच था। मैंने उसमे 17 गेंदों पर 53 रन बनाए, वहां मैं कुछ बड़े छक्के लगा सका। मैंने इस चुनौती का आनंद लिया था। हम लोग पहले टेस्ट क्रिकेट पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करते थे। लेकिन इसके बाद मुझे लगा कि मैं वनडे टीम में जगह बना सकता हूं और मैंने वनडे टीम में अपनी जगह पक्की की क्योंकि मैं गेंद को हिट कर पा रहा था।
  • बोर्ड फैसला लेते हैं कि सीरीज कैसे होनी चाहिए उसमे हम कुछ नहीं सकते कि त्रिकोणीय सीरीज होनी चाहिए। त्रिकोणीय सीरीज में हम कई बार हिस्सा ले चुके है जहां अलग तरह की चुनौती होती है। वहां अंक काउंट होते हैं। दर्शकों को एक नई उत्सुकता दिखाती है। जहां तक टी-20 और वनडे का सवाल है तो हमारे देश में 2008 में टी-20 शुरू हुआ है और आइपीएल के कारण यह ज्यादा हिट हुआ। हमारे साथ ही कई देशों ने टी-20 लीग शुरू की है। यह तो सुधार है, मेरे ख्याल से 10 साल बाद खेल और भी बदलेगा। पहले वाले खेल को पहले वाली पीढी ज्यादा अच्छे से समझेगी और अभी के खेल को आज की पीढी ज्यादा बेहतर से समझेगी। हर पीढ़ी की अलग-अलग चुनौती रही है। जब भी हम त्रिकोणीय सीरीज खेले वो काफी उत्साहित होती थी क्योंकि आपको हमेशा अपनी रणनीति बदलनी होती थी। अलग गेंदबाज होते थे जिसका आपको सामना करना होता था। उस हिसाब से आपको प्लान बनाना होता था।
  • जब मैं उस मैच को खेल रहा था उससे पहले मेरे शरीर में कुछ दिक्कत हो रही थी। शरीर में दर्द था। मैंने बीसीसीआइ को कहा कि मुझे आराम दिया जाए। लेकिन जब मैं मैदान पर उतरा तो मैं अपना सारा दर्द भूल गया। खेल आगे बढ़ता रहा और जब मैंने पहला शाट मारा था तो मुझे लगा कि कुछ अलग है। मैंने सोचा नहीं था कि आज मैं दोहरा शतक लगा दूंगा, मैं बस लगातार बल्लेबाजी करता रहा। यह ऐसी चीजें होती हैं जो कोई प्लान नहीं करता, यह बस हो जाती है। आपको बस अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है और मैंने भी ऐसा ही किया था। मैं बल्लेबाजी करना पसंद करता था। लेकिन मेरा मानना था कि अगर मैं किसी भी तरह अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पा रहा हूं तो मैं टीम में मौजूद शेष 10 खिलाड़ियों के साथ अन्याय नहीं कर सकता।
  • मैं इसी तरह बल्लेबाजी करता। जब गेंद रिवर्स स्विंग होती है तो आपको तकनीक बदलनी पड़ती है। सामान्य गेंद पर आपकी तकनीक गेंद के पीछे जाने की होती है लेकिन जब रिवर्स स्विंग होती है तो आपको परिवर्तन करना होता है। हमारे समय में जब गेंद रिवर्स स्विंग लेती थी तो क्वालिटी के गेंदबाज विकेट लेने के पीछे भागते थे। मैं अब ज्यादातर गेंदबाजों को ऐसा करते नहीं देखता हूं। आप 1999 विश्व कप को याद करें जहां भारत के खिलाफ पाकिस्तान के वसीम अकरम ने 47वें ओवर में गेंदबाजी की थी तो आपको ऐसा ही देखने को मिला था। अगर आप एक ही तरह से खेलना जारी रखेंगे तो आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होग
  • शारजाह में रेत का तूफान मेरे लिए एकदम अलग तरह का अनुभव था। हमारे कोटा से तीन-चार ओवर कम किए गए, दूसरी ओर सिर्फ एक-दो रन ही कम हुए। मुझे नहीं पता यह कैसा गणित था। मैं सिर्फ आस्ट्रेलिया को हराकर यह मैच जीतकर टीम को फाइनल में पहुंचाना चाहता था। सबसे अच्छी बात थी कि हम इस मैच को जीतने में सफल रहे। 2003 विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैंने उनकी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आक्रमण के सामने बल्लेबाजी की। उन्होंने बड़ा लक्ष्य खड़ा किया था। पता था कि मुझे इस मैच के लिए तैयार रहना है। मैं इस मैच से एक दिन पहले ठीक से सो नहीं सका था क्योंकि मैं इसके बारे में विचार कर रहा था। यह एक बड़ा मैच था। जब हम मैदान पर उतरे तो काफी गर्मजोशी थी और स्टेडियम भरा हुआ था। हमारी रणनीति शुरुआती विकेट जल्दी गंवाने की नहीं थी लेकिन पाकिस्तान हमारे जल्द ही विकेट गिराना चाहता था। हमने पहले तीन-चार ओवर में पाकिस्तान पर दबाव बनाया। मैंने इस मैच को लंबे समय तक याद रखा।