उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी छोड़कर सपा की साइकिल पर सवार हो गए हैं. स्वामी प्रसाद के साथ तमाम विधायक और पूर्व विधायक ने भी सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है. स्वामी के आने से भले ही सूबे की कई सीटों पर सपा को सियासी फायदे की उम्मीद दिख रही हो, पर कई सीटों पर सियासी समीकरण बिगड़ गए हैं. सपा के कई मौजूदा विधायकों की सीटों पर संकट गहरा गया है तो कई सीटों पर चुनाव लड़ने की आस लगाए नेताओं को अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है.
स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में आने से सीधे तौर पर पार्टी के दो मौजूदा विधायकों के लिए सबसे ज्यादा चिंता बढ़ गई है. इसमें पहली सीट रायबरेली जिले की ऊंचाहार है, जहां से सपा के दोबार के विधायक मनोज पांडे है. मनोज पांडे ऊंचाहार सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इसी सीट से स्वामी प्रसाद के बेटे उत्कृष्ट मौर्य (अशोक) भी दावेदार हैं. स्वामी के सियासी कद को देखते हुए मनोज पांडे के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई है कि ऊंचाहार सीट से सपा उत्कृष्ट मौर्य को कैंडिडेट न बना दे.वहीं, शाहजहांपुर जिले की जलालाबाद विधानसभा सीट पर भी सपा विधायक शरद वीर सिंह के सामने भी संकट गहरा गया है. स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ जलालाबाद के पूर्व विधायक नीरज मौर्य ने भी सपा का दामन थाम लिया है. ऐसे में जलालाबाद सीट पर सपा प्रत्याशी को लेकर सस्पेंस गहरा गया है. तीन बार के विधायक शरद वीर सिंह लखनऊ गए, लेकिन अखिलेश यादव से मुलाकात नहीं हो सकी. अनिल मौर्य 2012 में बसपा से विधायक रहे हैं और बाद में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और सपा में आए गए हैं.
औरैया जिले की बिधूना विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक विनय शाक्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ सपा का दामन थाम लिया है, जिसे बिधूना सीट पर चुनाव लड़ने की उम्मीद लगाए बैठे डॉ. नवल किशोर की मुश्किलें खड़ी हो गई है. दिलचस्प बात यह है कि नवल किशोर सपा में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी व बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य के पति रह चुके हैं. हालांकि, 2021 में दोनों की बीच तलाक हो चुका है, जिसके बाद किसी तरह का कोई नाता नहीं है.स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2016 में जब बसपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे तो उसी के बाद डॉ. नवल किशोर ने सपा की सदस्यता ले रखी थी. नवल किशोर बिधूना सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ सपा में एंट्री करने वाले विधायक विनय शाक्य के भाई देवेश शाक्य के चुनाव लड़ने की संभावना है. ऐसे में डा. नवल किशोर का टिकट मिलना मुश्किल हो गया है.
स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ शाहजहांपुर सीट से विधायक रोशन लाल वर्मा, सिकोहाबाद से डॉ मुकेश वर्मा, बांदा से बृजेश कुमार प्रजापति, सिद्धार्थनगर से चौधरी अमर सिंह ने सपा की सदस्यता ली. पूर्व विधायकों में अली यूसुफ, सीता राम भारती, हरपाल सिंह, बलराम सैनी, राजेंद्र प्रसाद सिंह पटेल, विद्रोही धनपत मौर्य, ध्रुवराम चौधरी, अयोध्या प्रसाद पाल, अमर नाथ सिंह मौर्य जैसे नेताओं ने सपा एंट्री की है. स्वामी प्रसाद के साथ आए नेताओं ने चुनाव लड़ने का तैयारी में है, जिससे सपा के पुराने नेताओं के चुनाव लड़ने की संभावना पर संकट गहरा गया है.