सीतापुर: तहसील क्षेत्र में आवारा पशुओं से लगभग 6 लोगों की जान भी जा चुकी हैं, फिर भी जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं। आवारा पशुओं से बचाव के लिए हालांकि गौशाला निर्माण की पहल की गई है, लेकिन पशुओं के झुंड खेतों में पहुंचकर लगी फसलों को नष्ट कर रहे हैं। इस कड़ाके के ठंड में किसान फसलों की रखवाली में दिन-रात जुटे रहते हैं। इसके बावजूद भी अपनी गाढ़ी कमाई की फसलों को नहीं बचा पा रहे हैं। तहसील क्षेत्र में हज़ारों आवारा पशु छुट्टा घूम रहे हैं। तरसावां क्षेत्र में आवारा पशुओं का आतंक कुछ ज्यादा ही है। आवारा पशुओं के झुंड के झुंड घूमते नजर आ रहे हैं। इन झुंडों में अधिकांश जानवर सतर्क हो चुके हैं। देर रात मे खेतों की तरफ निकलते हैं। किसान विनय कुमार कहते हैं कि रात को खेतों में अवारा पशुओं के झुंड आ जाते हैं। फसलों को चरकर व पैरों से रौंदकर चले जाते हैं। सुरक्षा के लिए खेत के चारों ओर तारों की बाड़ लगा रखी है, लेकिन पशुओं के झुंड तार के ऊपर से कूदकर खेतों में घुस जाते हैं। जब तक खेत में लोग पहुंचते हैं तब तक पशुओं के झुंड फसलों को नष्ट कर देते हैं। किसान शिवपाल बताते हैं कि अगर इन आवारा पशुओं की समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया तो फसलों को किसान नहीं बचा पाएंगे। मनोज उर्फ मंटोरी बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में आवारा पशुओं का जमघट किसानों के लिए चुनौती है। आवारा पशु फसलों को नष्ट कर रहे हैं। छुट्टा जानवर की अनवरत वृद्धि होने के कारण किसान परेशान हैं। सुशील कुमार बताते हैं कि फसल उगते ही आवारा पशु नष्ट कर देतें है।