भारत में चुनाव में प्रत्याशी बनना इज्जत और प्रतिष्ठा का सवाल होता है. लोग काफी सोच समझकर इलेक्शन लड़ते हैं. खासकर जब चुनाव पंचायत का हो तो गांव में लोग अपनी इज्जत के लिए इलेक्शन में हर तरह की जोर-आजमाइश कर देते हैं. चुनाव हारना यानी इसे लोग गांव में अपनी प्रतिष्ठा खोना समझते हैं. भारत एक गुजरात में हाल ही में ग्राम पंचायत चुनाव हुए. इन चुनावों के नतीजों के बीच एक प्रत्याशी को मिला सिर्फ एक वोट.
जानकारी के मुताबिक़, इस प्रत्याशी का नाम संतोष है. संतोष ने सरपंच के पद के लिए इलेक्शन लड़ा था. संतोष वापी डिस्ट्रिक्ट के छावला गांव में सरपंच का प्रत्याशी था. जब चुनाव का नतीजा आया तो संतोष के होश उड़ गए. उसे चुनाव में मात्र एक वोट मिला था. ये संख्या संतोष के लिए सबसे शर्मनाक इसलिए हुई क्यूंकि उसके घर में ही 12 सदस्य थे. ऐसे में संतोष को उम्मीद थी कि उसे कम से कम तो 12 वोट मिलेंगे. लेकिन उसके घरवालों ने ही उसे धोखा दे दिया.
मिला सिर्फ अपना वोट
संतोष ने सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ा था. गांव में किसी ने उसे वोट नहीं दिया इस बात का उसे मलाल नहीं है. उसके घर के 12 लोगों में से किसी ने उसे वोट नहीं दिया. जो एक वोट संतोष को मिला वो उसका खुद का था. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक़, ये देखकर वो काउंटिंग सेंटर पर ही रोने लगा. उसे ऐसा लगा कि उसके घर वालों ने ही उसे धोखा दे दिया है.
ये होता है पूरा गणित
बता दें कि इस बार 8 हजार 686 ग्राम पंचायत के लिए चुनव हुए थे. इसमें 48 हजार 573 वार्ड थे जिसमें 37 हजार मतदान पेटियों में करीब 27 हजार दो सौ सरपंच पद के प्रत्याशियों का नसीब कैद हुआ था. इनके अलावा 1 लाख 19 हजार और 998 कैंडिडेट्स ने पंचायत सदस्य बनने के लिए इलेक्शन लड़ा था. आपकी ज्यादा जानकारी के लिए बता दें कि ग्राम पंचायत का चुनाव इंसान अपने पैसों पर बिना किसी पार्टी के चुनाव चिन्ह के बदौलत लड़ता है. पंचायत चुनाव में कर वोटर दो वोट दे सकता है. एक सरपंच के लिए और दूसरा अपने वार्ड के पंचायत मेंबर के लिए.