एक तरफ चुनाव सुधारों से जुड़ा विधेयक राज्यसभा से भी पारित, तो दूसरी तरफ तृणमूल के नेता डेरेक निलंबित,

विपक्ष के 12 सांसदों के निलंबन को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तो कोई राह निकली नहीं, मंगलवार को राज्यसभा में तृणमूल के नेता डेरेक ओब्रायन भी गलत व्यवहार के कारण निलंबित हो गए। दरअसल चुनाव सुधार से जुड़े कानून को पारित कराते वक्त डेरेक ने रूल बुक ही महासचिव के सामने टेबल पर फेंक दिया। विधेयक पर मतदान की जरूरत ही नहीं पड़ी क्योंकि विपक्ष वाकआउट कर चुका था और विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया।
इसके साथ ही मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने का रास्ता भी साफ हो गया है। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद विधेयक कानूनी रूप ले लेगा। इससे साथ ही नए मतदाता बनने के लिए इंतजार करने वालों को भी अब राहत मिल गई है। उन्हें साल में चार मौके मिलेंगे। इस सुधार के बाद 18 साल पूरा होते ही वह वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वा सकेंगे। मौजूदा समय में इन्हें इसके लिए साल में एक ही मौका मिलता था। विधेयक लोकसभा से सोमवार को ही पारित हो चुका है। इस बीच चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ।

विधेयक के पेश होते ही विपक्षी सांसदों ने वेल में आकर नारेबाजी शुरु कर दी। जो विधेयक पर चर्चा होने तक जारी रही। हालांकि जैसे ही विधेयक को पारित करने की बारी आयी तो विपक्ष ने मत विभाजन की मांग की। उपसभापति हरिवंश इसके लिए तैयार हो गए और उन्होंने विपक्षी सांसदों से अपनी सीटों पर जाने को कहा। लेकिन विपक्ष अपनी सीट पर जाने को तैयार ही नहीं था। लेकिन उपसभापति ने विधेयक पर बिंदुवार सदन का मत जानना शुरू किया तो कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों ने बहिर्गमन किया। वैसे उस वक्त सदन में विपक्षी दलों के सदस्यों की संख्या भी सत्तापक्ष के मुकाबले कम ही थी। इस बीच तृणमूल सदस्य डेरेक ओब्रायन ने महासचिव के सामने टेबल पर रुल बुक को अपमानजनक तरीके से फेंका

इस पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने कड़ा ऐतराज जताया और इस आचरण को सदन की मर्यादा के खिलाफ बताया। बाद में सरकार की ओर से लाए गए एक प्रस्ताव के बाद सदन ने बाकी बचे सत्र के लिए उन्हें निलंबित कर दिया। फिलहाल शीतकालीन सत्र में अभी दो दिन ही बाकी है। चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के सांसदों ने विरोध कर रहे विपक्ष के रूख को लेकर सवाल खड़े किए। भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी में कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा शामिल है। इसी स्टैंडिंग कमेटी ने सहमति से मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की सिफारिश की है। ऐसे में यह कांग्रेस पार्टी की दोहरा रवैया है। उन्होंने कहा कि इसका विरोध वहीं लोग कर रहे है जो फर्जी वोटर के सहारे चुनाव में गड़बड़ी करते है। कांग्रेस और टीएमसी फर्जी वोटिंग के खेल में शामिल है

राज्यसभा से निलंबित होने के बाद ओ ब्रायन ने एक ट्वीट में कहा, ‘पिछली बार मुझे राज्यसभा से निलंबित किया गया था जब सरकार कृषि कानूनों को लेकर आई थी। हम सभी जानते हैं कि उसके बाद क्या हुआ था। आज मुझे भाजपा द्वारा संसद का मखौल उड़ाने और चुनावी कानून विधेयक 2021 का मजाक बनाने का विरोध करते हुए निलंबित कर दिया गया। आशा है कि यह विधेयक भी शीघ्र ही वापस लिया जाएगा।’

विधेयक पर चर्चा में करीब दर्जन भर सांसदों ने हिस्सा लिया। जेडीयू सांसद राम नाथ ठाकुर ने चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इससे चुनावों में होने वाली फर्जी वोटिंग पर रोक लगेगी। बीजेडी ने भी विधेयक का समर्थन किया। बीजेडी सांसद सुजीत कुमार ने कहा कि नए मतदाताओं को जोड़ने के लिए विधेयक ने जिस तरह से साल में अब चार बार मौके देने का विकल्प दिया है वह एक अच्छी पहल है। अभी 18 साल की उम्र होने के बाद भी साल भर का इंतजार करना होता था। विधेयक का एआइडीएमके और टीडीपी ने भी समर्थन किया।
चर्चा में हिस्सा में लेते हुए सपा सांसद प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने कहा गरीब के खिलाफ बड़ी साजिश है। यह चाहते है कि जिनके पास आधार नहीं है उन्हें वोट देने के अधिकार न मिले। केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष का विरोध समझ से परे है, क्योंकि पहले उनकी ओर से ही मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की मांग हो रही थी। ऐसे में विधेयक का विरोध वही लोग कर सकते है, जो फर्जी वोटिंग का इस्तेमाल करते है।
उन्होंने कहा कि इस कदम से फर्जी वोटिंग पूरी तरह से खत्म होगी। चुनाव प्रक्रिया और पारदर्शी हो जाएगी। चुनाव आयोग लंबे समय से इस अपनाने का प्रस्ताव दे रहा है। इसके साथ ही विधेयक के जरिए नए वोटरों को जोड़ने में भी सहूलियत दी गई है। अब साल में चार मौके मिलेंगे। इसी तरह सर्विस वोटर की प्रक्रिया में मौजूद लिंग भेदभाव खत्म होगा। अभी तक सरकारी नौकरी करने वाले पुरुष के साथ पत्नी का नाम तो सर्विस वोटर के रूप में जुड़ जाता था, लेकिन यदि पत्नी सरकारी नौकरी में है, तो पति का नाम नहीं जुड़ता था। फिलहाल अब इसमें दोनों ही शामिल हो सकेंगे।