ड्रग्स की लत अगर इंसान को लग जाए, तो उन्हें बर्बाद कर देती है. सोचिए, ये लत अगर कहीं बेजुबान जानवरों को लग जाए, तो वे कैसे सर्वाइव करेंगे? अफगानिस्तान में आवारा कुत्तों को ड्रग्स लेने की ऐसी ही लत लग गई है और उनकी हालत बेहद खराब होती जा रही है. अब ये कुत्ते खुद तो ड्रग्स लेंगे नहीं, ज़ाहिर है इन्हें ड्रग्स दी जा रही है, लेकिन क्यों?
सभी को पता है कि तालिबानी राज में अफगानिस्तान के अंदर खाने-पीने के लाले पड़े हुए हैं. लोग पैसों के लिए बच्चियों का सौदा कर रहे हैं. इसी कड़ी में बेघर हुए लोगों के पास कड़ाके की ठंड में खुद को गर्म रखने का कोई इंतज़ाम नहीं है. ऐसे में ठंड में ठिठुरते लोग खुद भी ड्रग्स लेकर हाई रहते हैं और बदन की गर्मी के लिए कुत्तों को अपने पास सुलाते हैं.
कौड़ियों के भाव मिलती है हेरोइन
अफगानिस्तान में ड्रग एडिक्शन अपने आपमें बड़ी समस्या है. यहां हेरोइन चूंकि काफी सस्ती मिलती है, ऐसे में भिखारी और बेघर लोग भी इसे खरीद सकते हैं. तालिबान एक तरफ तो नशा खत्म करने की बात करता है, तो वहीं तालिबान के ही राज में आवारा कुत्तों को भी ड्रग्स सुंघाई जा रही है. शहर-ए नाव में अक्सर सड़क पर रहने वालों को हेरोइन का नशा करते हुए देखा जाता है और वे खाली बोतलों के ज़रिये ये ड्रग्स आवारा कुत्तों को भी दे रहे हैं. ड्रग्स लेने के बाद इधर-उधर घूम रहे कुत्ते शांत हो जाते हैं और चुपचाप एक जगह बैठ जाते हैं.
क्यों कुत्तों को सुंघाया जा रहा है नशा?
ड्रग्स का प्रभाव कुत्तों पर भी ठीक उसी तरह से होता है, जैसे इंसानों पर. ऐसे में जब वे एक जगह चुपचाप बैठ जाते हैं तो बेघर लोगों को उनके पास रहने से गर्मी का एहसास होता है, जो ठंडी रातों में उनके लिए सहारा बनता है. काबुल में रात का तापमान माइनस 4 डिग्री तक गिर जाता है. ऐसे में कुत्तों के पास होने से नशेड़ियों को ठंड नहीं लगती. आपको बता दें कि तालिबान के राज में नशेड़ियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाती है