राज्यसभा के 12 सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहे विपक्षी दलों ने अब अपना आंदोलन सड़क पर ले जाने का फैसला किया है। विपक्षी दलों ने मंगलवार को सांसदों का विरोध मार्च निकालने की घोषणा की है। दोनों सदनों के विपक्षी सदस्य संसद भवन परिसर से विजय चौक तक मार्च करेंगे। निलंबन वापसी के लिए माफी की शर्त ठुकराते हुए विपक्षी नेताओं ने सोमवार को दिन में 11 बजे सदन स्थगित होने के बाद तय किया कि वे जनता को संदेश देंगे कि सरकार संसद की बहस से विपक्ष को दूर रखना चाहती है।
विपक्षी सांसद मंगलवार को विजय चौक तक मार्च निकालने के बाद बुधवार को संसद भवन से जंतर-मंतर जाकर धरना प्रदर्शन करेंगे। विपक्ष ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत व अन्य सैन्यकर्मियों के निधन के कारण पिछले हफ्ते दो दिन तक अपना विरोध प्रदर्शन स्थगित रखा था। सोमवार को सदन शुरू होते ही राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने निलंबन वापसी की मांग करते हुए कहा कि पिछले हफ्ते सभापति ने कहा था कि सरकार और विपक्ष मिलकर गतिरोध का हल निकालें।
लेकिन सरकार की ओर से कहा गया है कि वह माफी मांगे जाने पर ही निलंबन रद करने पर विचार करेगी। विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं है। इस पर पक्ष और विपक्ष के बीच शोर शराबा शुरू हुआ और विपक्षी दलों ने वाकआउट की घोषणा कर दी। तभी सभापति ने सदन 12 बजे तक स्थगित कर दिया।
इसके बाद कार्यवाही शुरू हुई तो नेता सदन पीयूष गोयल ने विपक्ष पर गलतबयानी का आरोप लगाते हुए कहा कि हम बात कर रहे मगर वे माफी मांगने को तैयार नहीं हैं। इससे पूर्व खड़गे ने माफी की शर्त खारिज करते हुए कहा कि सरकार यह दिशा-निर्देश नहीं दे सकती कि विपक्ष क्या करे और क्या न करे। सरकार हमें सदन बाधित करने को बाध्य कर रही है। खड़गे ने इसके बाद वाकआउट की घोषणा की और अधिकांश विपक्षी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।