राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ मुस्लिम समाज को और मुखर होना होगा। इसका कोई अच्छा और बुरा भाग नहीं है। यह मानवता और इंसानियत के खिलाफ है। खासकर बुद्धिजीवियों, शिक्षाविद तथा उन लोगों का जिनका प्रभाव समाज पर गहरा है। उन्हें इसके खिलाफ बंद कमरे की जगह सार्वजनिक स्थानों पर आवाज उठानी होगी। इससे देश में नए नजरिये का विकास होगा। उनका यह प्रयास समाज को ऊर्जा और भरोसा देने वाला होगा।
इंद्रेश कुमार इंडिया हैबिटेट सेंटर में विश्वग्राम, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘वैश्विक आंतकवाद बनाम इंसानियत, शांति एवं संभावनाएं’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में परिस्थितियां बदल रहीं हैं। अगर मुस्लिम समाज नहीं बदला तो वह पीछे रह जाएगा और समय आगे चला जाएगा। अच्छी बात है यह प्रयास शुरू हो चुका है। जामिया मिल्लिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, गरीब नवाज लखनऊ, मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय व जामिया हमदर्द समेत अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति व प्रोफेसर इसे लेकर खड़े होने लगे हैं। वे साफ कहने लगे हैं कि उनका संस्थान देश की खिलाफत को नहीं, बल्कि राष्ट्रीयता को जन्म देगा।
केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने कहा कि यदि आतंकी पवित्र कुरान पढ़ेंगे तो वे आतंकवादी गतिविधियां नहीं करेंगे, क्योंकि कुरान और इस्लाम नफरत का नहीं बल्कि अमन का पैगाम देते हैं। कुरान के अनुसार, अच्छाई और बुराई हमारे हाथों में है। हम किसे चुनते हैं ये हमारा फैसला है। उन्होंने कहा कि पवित्र कुरान की सही शिक्षाओं का पालन करना आवश्यक है। जो पूरी दुनिया का इस्लामीकरण करने निकले हैं, इसके नाम पर जेहाद कर रहे हैं, जबरदस्ती और आतंक के बल पर इस्लाम धर्म स्वीकार कराने पर तुले हैं उन्हें समझना होगा कि ऐसा अल्लाह कभी नहीं चाहता है। तालिबानियों पर कटाक्ष करते हुए आरिफ ने कहा कि जब वह इस्लाम का शासन स्थापित करने निकले हैं तो वह किससे डरकर बंदूक लेकर घूम रहे हैं। उन्हें सोचना होगा कि जब वे अफगानिस्तान में आए तो कितनों ने उनका स्वागत किया। हकीकत तो यह है कि लोग वहां डरे हुए हैं।