दुनिया में जितने लोग हैं, उससे कहीं ज्यादा उनकी चिंताएं हैं. टेंशन, परेशानी, उलझन, चिंताओं का हल हर कोई अलग-अलग तरह से निकालता है. कोई ध्यान लगाता है तो कोई गाने सुनता है जबकि कुछ लोग सोकर अपनी टेंशन दूर करते हैं. मगर कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो चीख-चिल्लाकर या किसी को मारकर अपनी भड़ास निकालने में विश्वास करते हैं. ऐसे लोगों की मदद तुर्की का एक शख्स पिछले काफी वक्त से कर रहा है इसलिए उसे इंसानी पंचिंग बैग के नाम से भी जाना जाता है.
तुर्की के हसन रिजा गूने पिछले 10 सालों से स्ट्रेस कोच की तरह काम कर रहे हैं. उन्हें तुर्की का पहला स्ट्रेस कोच माना जाता है. सुनकर ऐसा लगेगा कि वो मनोवैज्ञानियों की तरह अपने मरीजों का इलाज करते हैं मगर ऐसा नहीं है. उनके इलाज करने का तरीका इतना अलग है कि उनके बारे में जानकर लोग दंग हो जाते हैं. हसन अपने क्लाइंट्स से खुद को पिटवाते हैं और ऐसे वो पैसे कमाते हैं.
2010 से शुरू किया स्ट्रेस कोच का काम
दरअसल, हसन का मानना है कि जिंदगी में लोगों के काफी स्ट्रेस और टेंशन होती है. कई बार वो आपस में शेयर कर के भी दूर नहीं हो पाती. ऐसे में वो उन लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं जो अपनी भड़ास ना निकाल पाने के कारण गुस्से को अंदर ही अंदर दबाए रहते हैं और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. साल 2010 से उन्होंने ये काम शुरू किया था. अब वो लोगों की मार का बिना कोई जवाब दिए उन्हें खुद को मारने देते हैं. जिससे कि उनके अंदर का स्ट्रेस कम हो जाए.
अधिकतर महिलाएं होती हैं क्लाइंट
हसन ने बताया कि वो हर दिन 3 से 4 क्लाइंट्स के साथ 10 से 15 मिनट का सेशन करते हैं. उनके इस सेशन के दौरान वो कई सुरक्षा उपकरणों को भी पहन लेते हैं जिससे कि उन्हें गंभीर चोटें नहीं लगतीं. उन्होंने ये भी बताया कि वो सिर्फ मनोरंजन के लिए किसी के पास मार खाने को नहीं जाते. वो पहले अपने मरीज को जांचते हैं और अगर उन्हें लगता है कि इंसान सच में डिप्रेस है तब वो उसकी पंचिंग थेरापी करते हैं. हसन ने बताया कि उनकी क्लाइंट्स में 70 फीसदी तक महिलाएं होती हैं और अक्सर ऑफिस में नौकरी से परेशान लोग होते हैं. उनकी कमाई के बारे में तो रिपोर्ट्स में या उनकी वेबसाइट पर नहीं बताया गया है मगर कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है कि वो अपने इस काम से काफी पैसे कमाते हैं.