पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिले मिलकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अलग दिशा और दशा तय करते हैं, लेकिन इस बार शामली और मुजफ्फरनगर से राजनीतिक बिसात बिछने लगी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां शामली के कैराना से प्रदेश के चुनावों की राजनीतिक बिसात बिछा कर चले आए, वहीं अब गुरुवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मुजफ्फरनगर से बड़ी रैली कर भाजपा और योगी का जवाब देने जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी के कई कद्दावर नेता बीते कुछ दिनों से मुजफ्फरनगर में डेरा डाले हुए हैं। सपा और भाजपा की राजनीतिक रैलियों को देखने के बाद अब बहुजन समाज पार्टी भी बहुत जल्द इस इलाके से अपनी राजनीतिक रैली और जनसभा का आगाज करने वाली है।
मुजफ्फरनगर के दंगे हों या शामली जिले के कैराना से लोगों का पलायन, राजनीतिक लिहाज से यह दोनों ही शहर और जिले प्रदेश की राजनीति की प्रयोगशाला के तौर पर ही उभर कर सामने आए हैं। बीते सप्ताह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरीके से कैराना जाकर ना सिर्फ लोगों से बात और मुलाकात की, बल्कि जो लोग पलायन करके वापस आ चुके थे उन लोगों से भी बात की। योगी आदित्यनाथ ने कैराना से इस बात का जिक्र किया कि किसी को किसी भी तरीके से डरने की जरूरत नहीं है। योगी आदित्यनाथ ने सख्त लहजे में जिस तरीके से दंगाइयों को या माहौल बिगाड़ने वालों को संदेश दिया वह लोगों को भरोसे में लेने के साथ-साथ राजनैतिक माहौल को मजबूत करने वाला ही था।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ के राज में किसी भी तरीके से माहौल खराब नहीं हो सकता। योगी सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि माहौल खराब करने वाले और दंगाइयों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाना चाहिए। त्रिपाठी के मुताबिक यही वजह है कि कभी समाजवादी पार्टी की सरकार में इन इलाकों में न सिर्फ दंगे होते थे, बल्कि लोग यहां से पलायन तक करने को मजबूर थे। अब हालात बदल चुके हैं। योगीराज में न ही यहां कोई दंगा हुआ है बल्कि जो लोग पलायन करके गए थे वह भी वापस आ चुके हैं।जिस तरीके से योगी आदित्यनाथ ने कैराना पहुंचकर कार्यक्रम में शिरकत की, इससे न सिर्फ शामली जिले की तीनों विधानसभा सीट बल्कि मुजफ्फरनगर जिले की छह विधानसभा सीटें भी चुनावी राडार पर आ गयीं। शामली और मुजफ्फरनगर में नौ विधानसभा सीटें आती हैं। नौ विधानसभा सीटों में 2017 के चुनाव में भाजपा आठ विधानसभा सीटों पर विजयी हुई थी और एक विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी जीती थी। राजनैतिक विश्लेषक एसएन शुक्ला कहते हैं कि मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान एक जाति विशेष के लोग समाजवादी पार्टी से सीधे तौर पर जुड़े, जबकि दूसरी जाति विशेष के लोग भाजपा से जुड़ते चले हैं। मुजफ्फरनगर के दंगे और कैराना के पलायन को राजनीतिक रूप से सभी पार्टियों ने जबरदस्त तरीके से कैश कराया। जिसमें भाजपा नौ में से आठ विधायक लेकर सबसे आगे रही। क्योंकि समाजवादी पार्टी को इस बात का अंदाजा है कि मुजफ्फरनगर और शामली के मुस्लिम समुदाय के वोटर समाजवादी पार्टी के साथ हैं इसलिए गुरुवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी एक बड़ी रैली मुजफ्फरनगर में करने जा रहे हैं।
शुक्ला के मुताबिक निश्चित तौर पर यह रैली योगी आदित्यनाथ के कैराना में आयोजित एक कार्यक्रम की काट के तौर पर देखी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी इन जिलों की प्रयोगशाला से अछूती नहीं रह सकती है। बीते कुछ दिनों से समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता मुजफ्फरनगर में हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरीके से कैराना में योगी आदित्यनाथ ने भाषण दिया उससे इस इलाके के एक तबके में डर बना हुआ है। वह कहते हैं कि अखिलेश यादव हमेशा उन लोगों के साथ हैं जिनको बेवजह डराया या धमकाया जाता है। हालांकि उनका कहना है मुजफ्फरनगर में रैली किसी विशेष कारण से नहीं बल्कि चुनावी रैलियों की तरह ही एक बड़ी रैली है। मुजफ्फरनगर जिले की राजनीति का अगर इतिहास देखें तो 2002 के विधानसभा चुनाव के बाद से यहां बसपा का ही दबदबा कायम रहा। इस चुनाव में बसपा ने दो सीटें जीती थी। जबकि 2007 में बसपा ने छह में से तीन सीटों पर विजय हासिल की थी। इसी साल बसपा ने सरकार बनाई। 2012 में जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तब भी बसपा ही इस जिले की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी। लेकिन 2017 में जिले की सभी सीटें भाजपा के खाते में चली गईं। बहुजन समाज पार्टी की कोर कमेटी के एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक मुजफ्फरनगर शामली या पश्चिमी उत्तर प्रदेश सिर्फ सपा या भाजपा के लिए नहीं है। वे कहते हैं कि बहुजन समाज पार्टी बहुत ही रणनीतिक तरीके से इन इलाकों में अपनी पैठ मजबूत कर रही है। उनका कहना है कि मुजफ्फरनगर जैसा इलाका जहां बसपा का बोलबाला होता था, वहां कोई दूसरी पार्टी अब काबिज नहीं होने वाली। हालांकि बसपा के उक्त नेता ने इस बात की ओर इशारा भी किया कि मायावती या उनकी पार्टी का कोई दूसरा बड़ा नेता इस इलाके में जल्द ही रैली या बड़ी जनसभा का आयोजन भी करेगा।