संयुक्त राज्य अमेरिका 30 अगस्त को अफगानिस्तान को अपने हाल पर छोड़कर निकल गया. अमेरिका ने अफगानिस्तान से जाने की समय सीमा स्वयं तय की थी. स्व-घोषित समय सीमा से एक दिन पहले 30 अगस्त को अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना की वापसी पूरी कर ली थी. अमेरिका के हटने के पहले ही 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल को अपने कब्जे में कर लिया था. अब अमेरिका युद्धग्रस्त राष्ट्र में अपने सैन्य अभियानों को जारी रखने के लिए पाकिस्तान के साथ एक समझौता कर रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार बाइडेन प्रशासन ने अमेरिकी सांसदों को सूचित किया है कि पाकिस्तान से समझौता पूरा होने के करीब है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बार औपचारिक समझौता हो जाने के बाद, अमेरिकी सेना पड़ोसी अफगानिस्तान में ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का उपयोग करेगी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस्लामाबाद चाहता है कि एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाये, जो कि अपने स्वयं के आतंकवाद विरोधी प्रयासों में सहायता के बदले में हस्ताक्षर किए जाएं, हालांकि सौदे की शर्तों को अभी तक अंतिम रूप नहीं दी गई हैं, शर्तों में बदलाव भी हो सकता है. कुछ अमेरिकी अधिकारियों की इस्लामाबाद की हालिया यात्रा के दौरान समझौते पर चर्चा हुई है, हालांकि अभी यह पता नहीं है कि अमेरिकी सेना को हवाई पट्टी का उपयोग करने की अनुमति देने के बदले पाकिस्तान क्या चाहता है, या फिर वाशिंगटन पाकिस्तान की शर्तों को कितना स्वीकार करने को तैयार है.
वर्तमान में उक्त हवाई क्षेत्र का उपयोग अमेरिकी सैनिकों द्वारा अफगानिस्तान में चल रहे अपने खुफिया अभियानों के लिए करता है. हालांकि, वाशिंगटन को हवाई क्षेत्र के भीतर एक महत्वपूर्ण हवाई गलियारे तक निरंतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक औपचारिक समझौते की आवश्यकता है जो कि उसके सैनिकों के लिए अफगानिस्तान तक पहुंचने के लिए आवश्यक है. इसके महत्व को इस तथ्य से उजागर किया गया है कि यह तब भी महत्वपूर्ण हो जाएगा जब संयुक्त राज्य अमेरिका अपने अमेरिकियों अन्य लोगों को निकालने के लिए अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अपनी उड़ानें फिर से शुरू करेगा. किसी भी औपचारिक समझौते के अभाव में, अमेरिका को पाकिस्तान द्वारा पूर्व सैन्य विमानों अफगानिस्तान की ओर बढ़ने वाले ड्रोन में प्रवेश से इनकार करने की संभावना का सामना करना पड़ता है.