लोकसभा चुनाव के लिए ‘खेल-2024’ पहले ही शुरू हो चुका है। जहां एक ओर कांग्रेस खुद को पुनर्जीवित करने का पूरा प्रयास कर रही है वहीं भाजपा 4 राज्यों-यू.पी., उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में अपने गढ़ को बचाने के लिए प्रयासरत है। इस दौरान पंजाब पर भी सबकी नजर बनी हुई है जहां कई राजनीतिक विश्लेषक यह मान रहे हैं कि यहां आम आदमी पार्टी की जीत हो सकती है जबकि अभी ऐसी भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी।
यह चुनाव सपा-बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं जो पिछले 7 वर्षों में यू.पी. में भाजपा का आक्रमण झेल रहे हैं। लेकिन पूर्व, पश्चिम और दक्षिण के अधिकतर क्षेत्रीय क्षत्रपों के लिए इन विधानसभा चुनावों का कोई खास महत्व नहीं है। पूर्व में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस के कमजोर होने की ताक में है। वह जानती हैं कि उत्तर भारत की राजनीति में उनकी कोई विशेष भूमिका नहीं है इसलिए वह इस संबंध में बेपरवाह हैं क्योंकि कांग्रेस से उनकी नजदीकियां अब इतिहास बन चुकी हैं। अब वह चुनावों को लेकर अपने ही खेल में व्यस्त हैं जिसमें चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उन्हें काफी सक्रिय होकर अपनी सलाह प्रदान कर रहे हैं।
गोपनीय सूत्रों का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में उनका लक्ष्य 50 लोकसभा सीटें हासिल करने का है ताकि वह गैर भाजपा सरकार के निर्माण में अहम भूमिका निभा सकें, चूंकि उनका करिश्मा केवल 42 लो.स. सीटों वाले प. बंगाल तक ही सीमित है, इसे देखते हुए उनका यह लक्ष्य काफी बड़ा है। वह राज्य का उसी प्रकार ध्रुवीकरण करना चाहती हैं जैसा कि 2014 और 2019 के चुनावों में मोदी ने किया था। इस बार उनके पास लोगों को लुभाने के लिए एक नया नारा यह हो सकता है, ‘आप लोग मुझे वोट दीजिए क्योंकि मैं, बंगाल की बेटी, प्रधानमंत्री बन सकती हूं।’
2024 में उन्हें 34 से 37 लोकसभा सीटें मिल सकती हैं लेकिन अतिरिक्त 23 से 15 सीटें हासिल करना मुश्किल काम होगा। वह उत्तर-पूर्व में कांग्रेस का स्थान लेने के लिए प्रयासरत हैं जहां कुल 22 सीटें हैं। वह पहले ही कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री सुष्मिता देव को पार्टी में लाकर उन्हें राज्यसभा में भेज चुकी हैं ताकि असम और त्रिपुरा में मतदाताओं को प्रभावित किया जा सके। वह ओडिशा, झारखंड और बिहार में भी कुछ सीटें पाने के लिए रणनीति बना रही हैं तथा उन राज्यों के लिए भी रणनीतिक प्रबंध कर रही हैं जहां बंगाली वोटरों की संख्या काफी अधिक है।