हिन्दी सिनेमा में कॉमेडी रस हमेशा से ही अपने स्वाद से लोगों को मंत्र मुग्ध करता रहा है। कॉमेडी ने हिन्दी सिनेमा में चले आ रहे चालू मसाला तथा ड्रामे के अतिरिक्त भी लोगों को गुदगुदाने का अवसर दिया। आजकल की मूवीज में कॉमेडी तथा उसके स्तर को देखकर आप अवश्य इसके लिए ‘अश्लील’ शब्द का उपयोग करेंगे। मगर बॉलीवुड के सुहाने सफर में एक वक़्त ऐसा भी था जब कॉमेडी मूवीज ने लोगों के बीच अपनी शानदार पैठ जमाई थी। ड्रामा एवं एक्शन मूवीज के बीच कुछ कॉमेडी से भरी मूवी ऐसी भी हैं जो लोगों को आज भी हंसने पर विवश करती है।
राजकपूर, बी आर चोपड़ा सरीखे फिल्ममेकर्स में एक नाम ऐसा भी था जिसने हल्के अंदाज में ही सही सामाजिक परिवेशों को सिनेमा में उतारने का दम दिखाया। यह ऋषिकेश मुखर्जी ही थे जिन्होने हिन्दी सिनेमा में कॉमेडी को नया आयाम दिया। ऋषिदा की मूवीज हंसी-हंसी में गहरी बातें बोल जाती थीं। आज यानी 30 सितंबर 1922 को कोलकाता में जन्मे मुखर्जी फिल्मों में आने से पहले गणित और विज्ञान का अध्यापन करते थे। उन्हें शतरंज खेलने बहुत अच्छा लगता था।
वही फिल्म निर्माण के संस्कार उन्हें कोलकाता के न्यू थिएटर से प्राप्त हुए। उनकी प्रतिभा को उचित आकार देने में लोकप्रिय डायरेक्टर बिमल राय का भी बड़ा हाथ है। मुखर्जी ने 1951 में मूवी ‘दो बीघा जमीन’ फिल्म में राय के सहायक के तौर पर काम किया था। मुखर्जी ने 1951 में बिमल राय के सहायक निर्देशक के तौर पर अपना क़ॅरियर आरम्भ किया था। उनके साथ 6 वर्ष तक काम करने के पश्चात् उन्होंने 1957 में ‘मुसाफिर’ फिल्म से अपने डायरेक्शन के कॅरियर का आरम्भ किया था।