अफगानिस्तान में तालिबान शासन आने के बाद से लोगों की परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही है. कई देशों के अफगानिस्तान सरकार पर प्रतिबंध लगाने के बाद आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. लोगों के कमाई के साधन खत्म हो चुके हैं. अब लोगों के लिए परिवार चलाना बच्चों का पेट पालन मुश्किल भरा साबित हो रहा है. लोग अपनी मेहनत की कमाई बेच बच्चों के खाने का इंतजाम करने को मजबूर हो गए हैं. भूख से बेहाल लोगों ने सड़क पर पलंग, गद्दे, तकिये ही नहीं फ्रिज, टीवी, वाशिंग मशीन, पंखा, एसी, कूलर किचन के सामान बेचने के लिए रख दिए हैं.
अफगानिस्तान में पिछले एक महीने से हालात लगातार बद से बदतर होते जा रहे हैं. तालिबान के कब्जे के बाद विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष अमेरिका के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी होने वाले फंड में कटौती या बंदी के कारण हालात भुखमरी के होने लगे हैं. अफगानिस्तान में भले ही बैंक खुल रहे हो लेकिन उनमें कैश नहीं है. इससे लोगों की जो बचत बैंक में रखी थी वह उन्हें मिल नहीं पा रही. एटीएम भी खाली हैं. अब लोगों के पास अपनी भूख मिटाने के लिए घर का सामान बेचने के अलावा कोी विकल्प नहीं बचा है.
बैंक में कैश की कमी होने के बाद निकासी की सीमा भी निर्धारित कर दी गई है. सात दिन में एक बैंक खाते से सिर्फ 16 हजार रुपये ही निकाले जा सकते हैं. बैंक के बाहर कुछ इस तरह की लाइनें देखी जा रही हैं जैसी नोटबंदी के बाद भारत में देखी गई थीं.
अफगानिस्तान में घरेलू सामान की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो गई है. आटा, दाल, चावल जैसी जरूरी चीजों की कीमत कई गुना बढ़ चुकी है. ऐसे में लोगों के सामने भारी संकट खड़ा हो गया है. लोगों का कहना है कि महीनेभर पहले जो सामान आसानी से मिल जाता था उसके लिए तीन से चार गुना अधिक कीमत वसूली जा रही है.