रायबरेली:हर साल एक लाख रेल पहिए बनाने की जर्मन तकनीक फेल!

लालगंज /रायबरेली: सोनिया गांधी ने 2013 में लालगंज स्थित मॉडर्न रेल कोच फैक्ट्री परिसर में रेल पहिया कारखाना का शिलान्यास किया था। इसका जिम्मा केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के अधीन काम करने वाले राष्ट्रीय इस्पात निगम को दिया गया था। इसके लिए रेल कोच फैक्ट्री ने पहले से अधिग्रहित अपनी जमीन में से 50 एकड़ जमीन रेल पहिया कारखाने को दी थी। दावा था कि वर्ष 2017-2018 से जर्मन तकनीक द्वारा यहां हर वर्ष 1 लाख पहिए बनाए जाएंगे । इसके बाद यह देश की सबसे बड़ी रेल पहिया उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाई हो जाएगी यहां दिलचस्प तथ्य यह है कि यहां 8 सालों में सिर्फ 75 पहियों का ही निर्माण इस फैक्टरी से किया जा सका।

राष्ट्रीय इस्पात निगम की किरकिरी करा रही इस पहिया फैक्ट्री का निरीक्षण राष्ट्रीय इस्पात मंत्री के द्वारा बहुत ही शीघ्र होने वाला है

1683 करोड़ में से 1600 करोड़ रुपए खर्च

सूत्रों के अनुसार रेल पहिया कारखाने में निर्माण कार्य के लिए 1683 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे जिसमें से 16 सौ करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। दावों के विपरीत केवल 75 पहियों का निर्माण ही अभी तक हो सका है
फैक्ट्री से तैयार पहियों की गुणवत्ता की तकनीकी जांच अब तक पूरी नहीं हुई है। 8 साल बाद भी जर्मन तकनीक से बनने वाले रेल पहिया कारखाना अभी ट्रायल में ही है। 1683 करोड़ की लागत से बनने वाले इस कारखाने को 3 साल में पूरा करने का लक्ष्य है।

बयान एसके झा मैनेजर रेल पहिया कारखाना
करोना के चलते जर्मन विशेषज्ञ बाहर चले गए थे। इसकी वजह से काम प्रभावित हुआ है। कारखाना पूरा बनकर तैयार हो चुका है। तीन जर्मन विशेषज्ञ वापस आ चुके हैं। बाकी भी जल्द लौटने वाले हैं। उसके बाद कार्य सुचारू रूप से प्रारंभ हो जाएगा।

सवांददाता: सर्वोदय मौर्य