टोक्योपैरालंपिक अंतिम चरण में जारी है। चीनी विकलांग प्रतिनिधि मंडल शक्तिशाली प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक तालिका में पहले स्थान पर रहा। उल्लेखनीय बात है कि दो दिन के पहले इतिहास में चीनी पैरालंपिक खिलाड़ियों द्वारा हासिल स्वर्ण पदकों की संख्या 500 के पार हो गयी। शानदार उपलब्धियों के पीछे शुछिंग नामक विकलांग तैराक का योगदान भी था। उन्होंने पेइचिंग,लंदन रियो तीन पैरालंपिक में भाग लेकर चीन को 10 स्वर्ण पदक दिलाये थे 12 बार विश्व रिकार्ड तोड़ा था। वे पैरालंपिक की तैराकी में सर्वाधिक स्वर्ण पदक जीतने वाले चीनी खिलाड़ी भी हैं। उनका यकीन है कि एक आदमी का विनाश हो सकता है, लेकिन उसे हराया नहीं जा सकता है।
बचपन में जब शुछिंग 6 वर्ष के थे तो एक सड़क दुर्घटना में उनके दो बांह खत्म हो गये। अगले साल उनकी माता ने उन्हें लेकर एक नकली बांह कंपनी गयी। इस कंपनी के प्रबंधक भी एक विकलांग थे। उन्होंने विकलांग टेबलटेनिस विश्व चैंपियनशिप जीती हुई थी। बातचीत में उन्होंने शुछिंग का शौक पूछा। शुछिंग ने कहा कि वे पानी में खेलना पसंद करते हैं तो मैनेजर ने उनको तैराकी का अभ्यास करने का प्रोत्साहन दिया। बाद में, उनकी माता शुछिंग को तरणताल ले गयीं एक कोच को उनकी स्थिति के बारे में बताया। तैराकी कोच ने बड़ी खुशी से शुछिंग को स्वीकार किया उन्हें बड़ी प्रेरणा दी।
कोच के व्यवस्थित निर्देशन मदद से शुछिंग की प्रगति बहुत तेज थी। दो महीने के अभ्यास के बाद शुछिंग ने मध्य चीन के हनान प्रांत के चौथा विकलांग खेल समारोह में भाग लिया। उस खेल समारोह में शुछिंग ने एक स्वर्ण, एक रजत एक कांस्य पदक जीता। मैच के बाद, उन्होंने खुशी-खुशी मां को बताया कि मां, देखिए, अब मुझे लगता है कि मुझमें अन्य लोगों की तुलना में कोई फर्क नहीं है। मैं भी बढ़िया हूं।
वर्ष 2004 में 12 वर्षीय शुछिंग ने चीनी खेल प्रतिनिधि मंडल में सबसे छोटे खिलाड़ी होने के नाते एथेंस ऑलंपिक में भाग लिया नौवां स्थान प्राप्त किया। यह उनका पहला पैरालंपिक था।