अहम राष्ट्रीय मुद्दों पर निरंतर राजनीतिक आंदोलनों का सिलसिला जारी रखने के मकसद से कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता में एक नौ सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को भी शामिल किया गया है। पेगासस जासूसी कांड, कृषि कानूनों को रद करने की प्रदर्शनकारियों की मांग और महंगाई के मुद्दे पर विपक्षी दलों के प्रस्तावित आंदोलन के मद्देनजर कांग्रेस का समिति बनाने का फैसला महत्वपूर्ण है।
जनता से जुड़े अहम सवालों के साथ राष्ट्रीय महत्व के प्रमुख मुद्दों पर पार्टी की प्रभावी राजनीतिक पहल की कमजोरी को लेकर कांग्रेस के अंदर ही चिंता और सवाल लंबे अर्से से उठाए जाते रहे हैं। पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के समूह-23 ने भी महत्वपूर्ण मसलों पर विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस की प्रभावी जमीनी मौजूदगी नहीं होने पर सवाल उठाते हुए इसके लिए एक संस्थागत संरचना की जरूरत बताई थी। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस समिति का गठन खासतौर पर विपक्षी दलों के 20 से 30 सितंबर के बीच चलने वाले आंदोलन के मद्देनजर किया है। इस समिति में दिग्विजय और प्रियंका गांधी के अलावा पूर्व महासचिव बीके हरिप्रसाद, लोकसभा सदस्य उत्तम कुमार रेड्डी, पार्टी के सचिव मनीष चतरथ, असम कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रिपुन बोरा, उदित राज, रागिनी नायक और जुबेर खान शामिल हैं।
मालूम हो कि सोनिया ने 20 अगस्त को विपक्षी एकजुटता की पहल के तहत ममता बनर्जी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, एमके स्टालिन समेत विपक्ष के 19 दलों के दिग्गजों की बैठक बुलाई थी। इसी बैठक में पेगासस जासूसी कांड, महंगाई और कृषि कानूनों के खिलाफ 20 से 30 सितंबर के बीच सड़क पर विपक्षी दलों का आंदोलन करने पर सहमति बनी थी। इस लिहाज से कांग्रेस की इस नवगठित समिति की पहली परीक्षा विपक्षी दलों का यह आंदोलन होगी।